परिवर्तन की राह पर उड़ान भरते जेल कैदी...जयपुर में ’आशाएं’ बंदियों के जीवन में ला रही उम्मीद की नई किरण

By अनुभा जैन | Published: October 16, 2022 02:13 PM2022-10-16T14:13:18+5:302022-10-16T14:13:18+5:30

जयपुर सेंट्रल जेल की अनूठी पहल 'आशाएं', राजस्थान में अपनी तरह की पहली जेल की दुकान है जहां कैदियों द्वारा मास्टर कारीगरों के प्रशिक्षण के तहत कलाकृतियों को तैयार किया जाता है।

'Ashayein' in Jaipur central jail bringing new ray of hope in the lives of prisoners | परिवर्तन की राह पर उड़ान भरते जेल कैदी...जयपुर में ’आशाएं’ बंदियों के जीवन में ला रही उम्मीद की नई किरण

जयपुर-आगरा रोड पर स्थित, घाटगेट के पास जयपुर सेंट्रल जेल की अनूठी पहल (फोटो- अनुभा जैन)

जयपुर: जेल को एक भयानक जगह माना जाता है जहां अपराधी अपना जीवन अंधेरी कालकोठरियों में गुजारते हैं। ये किसी की जिंदगी में आगे बढ़ने की आशाओं पर 'पूर्णविराम' जैसा है। लेकिन अब ये बात पुरानी हो चली है। आज 21वीं सदी में एक आशावादी सोच के साथ और अभिनव प्रयोगों का रचनात्मक वातावरण देती देश की अधिकतर जेलें कैदियों के लिये कारागृह से ज्यादा सुधारगृह बनती जा रही हैं।

जयपुर आगरा रोड पर स्थित, घाटगेट के पास जयपुर सेंट्रल जेल पूरी तरह से एक ऐसा ही सुधार गृह है, जो कैदियों की रिहाई के बाद बेहतर जीवन जीने के इरादे से उन्हें पेशेवर कौशल प्रदान करके उनके जीवन को बदल रहा है।

जयपुर सेंट्रल जेल की अनूठी पहल 'आशाएं', राजस्थान में अपनी तरह की पहली जेल की दुकान है जहां कैदियों द्वारा मास्टर कारीगरों के प्रशिक्षण के तहत कलाकृतियों को तैयार किया जाता है, जिनमें कपड़ा उद्योग के विशेषज्ञ मार्तंड सिंह, चित्रकार कलाकार यशवंत श्रीवास्तव जैसे प्रसिद्ध डिजाइनर, बांग्लादेश के प्रसिद्व फैशन डिजाइनर बीबी रसेल, डिजाइनर डुओ अब्राहम और ठाकोर और राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद के प्रोफेसर,  व कई अन्य नामी गिरामी कलाकार शामिल हैं।

दुकान का उद्घाटन राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया के द्वारा किया गया था। शहर के बाजार में जेल परिसर के बाहर स्थित, इस दुकान में जैसे ही मैंने प्रवेश किया वहां का माहौल बेहद सुकून भरा था। दुकान में घुसते ही सामने की बड़ी दीवार को देख मैं बेहद मोहित हुई जिसे बंदियों द्वारा खूबसूरती से चित्रकारी कर पेंट किया गया था।

दुकान में अधिकांश वस्तुओं को समाज की जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है। दो खंडों में विभाजित इस दुकान में जहां एक ओर महिला कैदियों द्वारा तैयार रजाई, बेडस्प्रेड, मेज़पोश, लहंगा, टोट बैग, स्कर्ट, टाई और डाई दुपट्टे, नैपकिन, अचार, मसाले, बर्तन, लिफाफे, और हस्तनिर्मित पेपर बैग प्रदर्शित किए गये हैं। अन्य खंड के उत्पाद जिनमें पुरुष कैदियों द्वारा डिजाइन फर्नीचर, कूलर, दीवार पेंटिंग, कालीन और की गई जैविक सब्जियां प्रदर्शित की गई हैं। 

ये आइटम बहुत मामूली कीमतों पर उपलब्ध हैं और मूल्य सीमा 10 रुपये के लिफाफे से लेकर 10,000 रुपये की दीवार पेंटिंग तक होती है। गौरतलब है कि कैदी खुद अपने जेल के कपड़े डिजाइन कर रहे हैं। आइटम न केवल जयपुर सेंट्रल जेल के पुरुष और महिला कैदियों द्वारा बल्कि भीलवाड़ा, अजमेर, जोधपुर और उदयपुर जेलों के जेल कैदियों द्वारा डिजाइन किए जाते हैं।

आशाएं दुकान के पास, पिंक सिटी के जेल विभाग ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के संयुक्त सहयोग से 2020 में अपनी तरह का पहला “आशाएं फिलिंग स्टेशन“ पेट्रोल पंप खोला है जिसे जेल के कैदियों द्वारा संचालित किया जा रहा है और ये कैदी जयपुर सेंटरल जेल व राजस्थान की विभिन्न जेलों से यहां ट्रांसफर कर नियुक्त किये गये हैं। इस अनूठी पहल का उद्देश्य कैदियों को पैसा कमाने के अवसर प्रदान करना है।

कैदियों को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें रु. 300/- प्रति दिन दिया जाता है। पंप से होने वाली आय जेल विकास बोर्ड को जाती है जिसे विभिन्न जेल पुनर्वास कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है।

मेरे साथ हुये साक्षात्कार में, जयपुर जेल के तत्कालीन सुपरिटेंडेंट राकेश मोहन शर्मा ने कहा, “हम इस पेट्रोल पंप को पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की बिक्री के साथ सफलतापूर्वक चला रहे हैं जिससे प्रति दिन 11-12 लाख की कमाई हो रही है। रिहाई के बाद, इन कैदियों को हमारे द्वारा दिए गए प्रशिक्षण और इन उपक्रमों के माध्यम से प्राप्त अनुभव के कारण बाहर जाकर काम करने की एक उज्ज्वल संभावना मिलती है। अब तक, हमने 100 से अधिक प्रशिक्षित कैदियों को रिहा किया है जिन्हें पेट्रोल पंपों पर एक विक्रेता के रूप में अपने गृहनगर जाकर अच्छी नौकरियां मिली हैं।''

उन्होंने कहा, ''इस तरह की पहलों के पीछे एकमात्र कारण बंदियों को सही दिशा देना और उन्हें सुरक्षित आजीविका कमाने में मदद करना है। जिन कैदियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है या 7 साल से अधिक कारावास भोग रहे हैं, उन्हें पेट्रोल पंप पर काम करने या दुकान में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। उत्पन्न राजस्व का उपयोग कैदियों के कल्याण या जेल के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जाता है। ”

पहले कैदी बिना किसी ज्ञान के शौकिया तौर पर उत्पाद तैयार करतेे थे जिससे मात्र 15 से 20 रूपये उनकी प्रति दिन कमाई के साथ वे उत्पाद जेल व सरकारी महकमों के उपयोग में ले लिये जाते थे। लेकिन, जेल विभाग की आशाएं पहल से इन बंदियों को 100-300 रुपए प्रतिदिन मिल रहे हैं। इस आय से बंदी खुद को सुरक्षित महसूस करने के साथ इन पैसों को अपने व अपने परिवार पर खर्च करने के लिये स्वतंत्र होने के साथ जरूरतों को पूरा करते हैं। जेल अधिकारियों के इस अग्रणी प्रयास को राजस्थान सरकार का पूरा समर्थन है।

जेल (राजस्थान) के महानिदेशक राजीव दासोट ने कहा, “इन उपक्रमों को चलाने से हमारा उद्देश्य यह है कि जब भी कैदी समाज में वापस जाता है तो समाज में उसका एकीकरण बहुत सहज होना चाहिए।''

गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “इस पहल ने जनता के बीच जेल अधिकारियों की सकारात्मक छवि बनाई है और इन कैदियों के लिए करुणा की भावना भी पैदा की है। बंदियों की गहरी भागीदारी उनकी संतुष्टि के स्तर को दर्शाती है।“

जयपुर जेल परिसर के बंदी जैविक सब्जियां भी पैदा करते हैं और इन सब्जियों को बंदियों के मेस में भी उपलब्ध कराते हैं। इन बंदियों को उनके अच्छे आचरण व व्यवहार से इन कैदियों को जहां 4 से 3 महिने तक की अवधि का रेमिशन या साधारण शब्दों में 4 से 3 महिने तक की अवधि जो भी निर्धारित की जाये के लिये घर जाने का मौका दिया जाता है अन्यथा उन्हें ओपन जेल में शिफ्ट करने का सुनहरा अवसर भी रहता है।

अपने नाम के अनुरूप, आशाएं कैदियों के निष्क्रिय जीवन में आशा की एक नई किरण ला रही है जो अंततः उन्हें प्रदान किए गए पेशेवर कौशल के माध्यम से एक सम्मानजनक और स्थिर जीवन की ओर ले जाएगी।

Web Title: 'Ashayein' in Jaipur central jail bringing new ray of hope in the lives of prisoners

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