मोहन भागवत के "हर मस्जिद में 'शिवलिंग' नहीं खोजने" वाले बयान पर भड़के ओवैसी ने कह दी यह बात, पढ़िये यहां
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 3, 2022 11:15 PM2022-06-03T23:15:44+5:302022-06-03T23:24:12+5:30
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत के बयान से स्पष्ट जाहिर होता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया और मस्जिद गिराने की साजिश में शामिल हुआ था। क्या अब वो ज्ञानवापी के मामले में भी ऐसा ही कुछ करने में यकीन रखते हैं?
हैदराबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा "हर मस्जिद में 'शिवलिंग' खोजने की कोई जरूरत नहीं वाले" बयान पर भड़के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को कहा कि मोहन भागवत के बयान से स्पष्ट जाहिर होता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया और मस्जिद गिराने की साजिश में शामिल हुआ।
ओवैसी ने कहा कि संघ प्रमुख भागवत के बयान लगता है कि वो ज्ञानवापी के मुद्दे में भी इसी तरह की मंशा रखते हैं। ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी विवाद में इस्लामिक विश्वास के मुद्दे शामिल हैं और अदालत इस पर कानूनी तौर से जो फैसले ले, उसे सभी को स्वीकार करना चाहिए।
हैदराबाद से लोकसभा सांसद ओवैसी ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए संघ प्रमुख के बयान पर विरोध दर्ज कराते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किये।
जिनमें से पहले ट्वीट में ओवैसी ने कहा, ‘ज्ञानवापी को लेकर भागवत के भड़काऊ भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि बाबरी के लिए आंदोलन ‘ऐतिहासिक कारणों से’ आवश्यक था। दूसरे शब्दों में संघ ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया। क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?’
1. Bhagwat’s incendiary speech on #Gyanvapi mustn’t be ignored. He said an agitation for #Babri was necessary “for historical reasons”. In other words, RSS didn’t respect SC & participated in demolition of masjid. Does this mean that they’ll do something similar on Gyanvapi also? pic.twitter.com/9lk4lAUI7A
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 3, 2022
ओवैसी ने कहा कि भागवत भले कहते हैं कि आज के मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, लेकिन भारतीय संविधान के आधार पर वे सभी भारत के नागरिक हैं। इसके साथ ओवैसी ने एक सवाल भागवत की ओर दागते हुए पूछा कि क्या होगा यदि कल कोई यह कहना शुरू कर दे कि उनके (भागवत) पूर्वजों का बौद्ध धर्म से जबरन परिवर्तन करवाया गया था।
इसके अलावा ओवैसी ने दूसरे ट्वीट में कहा, "इन मुद्दों पर "आश्वासन" देने वाला मोहन मोहन या नड्डा कौन है? उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है। इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय स्पष्ट करे कि वह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के कानून पर कायम हैं। उन्होंने संविधान की शपथ ली है। अगर वह इस पर कायम रहते हैं, तो ऐसे सभी हिंदुत्ववादियों को रोकना होगा।"
2. Who is Mohan or Nadda to give an “assurance” on these issues? They hold no constitutional posts. Let @PMOIndia give a clear message that he stands by 1991 law. He has taken an oath on the Constitution. If he stands by it, all these Hindutva upstarts would have to stop
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 3, 2022
अलगे ट्वीट में ओवैसी कहते हैं, "विहिप बनने से पहले अयोध्या संघ के एजेंडे में कभी नहीं था। 1989 में भाजपा के पालनपुर अधिवेशन में अयोध्या एजेंडे को खुद से जोड़ा। आरएसएस अयोध्या मसले पर बयान देकर राजनीतिक दोहरेपन को सिद्ध कर रही है। संघ के जोकर काशी, मथुरा और कुतुब मीनार सहित मुद्दों को उठाने का काम कर रहे हैं।"
3. Before VHP was formed, Ayodhya wasn’t even on the Sangh’s agenda. It was only in 1989 with BJP’s Palanpur resolution that Ayodhya became part of the agenda.RSS has perfected political doublespeak. All of the jokers raising Kashi, Mathura, Qutub, etc have direct link to Sangh
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 3, 2022
आरोपों की श्रंखला में ओवैसी ने अपने अगले ट्वीट में कहा, "यह संघ की एक पुरानी रणनीति है कि जब मुद्दे बाद में अलोकप्रिय हो जाते हैं और उन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है तो संघ को किसी गोडसे या फिर सावरकर की याद आ जाती है।"
इसके साथ ही ओवैसी यह भी कहते हैं, "बाबरी आंदोलन के दौरान संघ के कुछ लोग कहते थे कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेंगे और कुछ लोग कहते थे कि ये आस्था का मामला है और अदालत इसका फैसला नहीं कर सकती है।"
4. It’s an old Sangh tactic to disown things when they’re unpopular while owning them later on (anyone remember Godse & his “friend” Savarkar?)
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 3, 2022
5. Even during Babri agitation; some’d say we’ll follow SC’s orders while others said this is a matter of astha & court cannot decide pic.twitter.com/YtNSd8QNBY
ओवैसी ने कहा कि बेहतर होगा कि हमारी अदालत इस विवाद को जड़ से खत्म कर दें। अगर इन चीजों को ऐसे ही बढ़ने दिया जाता रहा तो इसका मतलब होगा कि भीड़तंत्र को उत्साहित करना और संघ प्रमुख इसी तरह की कोशिश कर रहे हैं।