अनुच्छेद 370ः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कश्मीर में टेलीफोन की शतप्रतिशत लाइनें काम कर रही हैं, स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 1, 2019 18:32 IST2019-10-01T18:32:31+5:302019-10-01T18:32:31+5:30

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा कि घाटी में टेलीफोन की शतप्रतिशत लाइनें काम कर रही हैं और दिन के दौरान लोगों के आवागमन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।

Article 370: Supreme Court said - 100% telephone lines are working in Kashmir, balance between freedom and security is necessary | अनुच्छेद 370ः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कश्मीर में टेलीफोन की शतप्रतिशत लाइनें काम कर रही हैं, स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन जरूरी

पीठ ने केन्द्र को इन याचिकाओं पर जवाब देने और याचिकाकर्ताओं को इसके बाद अपने प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया।

Highlightsघाटी में यदि मोबाइल और इंटरनेट सुविधायें बहाल की गयीं तो सीमा पार से फर्जी व्हाट्सऐप संदेश आने शुरू हो जायेंगे।याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कश्मीर मे संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है और पत्रकारों के आवागमन पर प्रतिबंध है।

उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म करने के बाद कश्मीर घाटी में लगी पाबंदियों का मुद्दा उठने पर मंगलवार को कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कहा कि घाटी में टेलीफोन की शतप्रतिशत लाइनें काम कर रही हैं और दिन के दौरान लोगों के आवागमन पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।

जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि घाटी में यदि मोबाइल और इंटरनेट सुविधायें बहाल की गयीं तो सीमा पार से फर्जी व्हाट्सऐप संदेश आने शुरू हो जायेंगे और यह यहां हिंसा भड़का सकते हैं।

कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला और फाउण्डेशन आफ मीडिया प्रोफेशनल्स के अध्यक्ष प्रणंजय गुहा ठाकुरता सहित अनेक याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि कश्मीर मे संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है और पत्रकारों के आवागमन पर प्रतिबंध है।

पीठ ने केन्द्र को इन याचिकाओं पर जवाब देने और याचिकाकर्ताओं को इसके बाद अपने प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही इस मामले को नवंबर के दूसरे सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दिया। पीठ ने घाटी में पाबंदियों से संबंधित नौ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये कहा,‘‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना होगा।’’

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही शीर्ष अदालत ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी की याचिका पर कहा कि यह बन्दीप्रत्यक्षीकरण याचिका थी और उन्हें न्यायालय ने राहत दे दी है। पीठ ने येचुरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन से कहा, ‘‘आपने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। वह अनुरोध अब उपलब्ध नहीं है क्योंकि उस व्यक्ति -मोहम्मद यूसुफ तारिगामी-ने खुद भी अनुच्छेद 370 को चुनौती देते हुये शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। यह एक सीमित मुद्दे के बारे में थी। अब आप और क्या राहत चाहते हैं?’’

रामचन्दन ने कहा कि वह चाहते हैं कि तारिगामी की हिरासत को गैरकानूनी घोषित किया जाये या फिर पांच अगस्त के बाद उन्हें हिरासत में रखने को न्यायोचित ठहराने के लिये प्राधिकारियों से कहा जाये। इस पर पीठ ने कहा कि जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय सुचारू ढंग से काम कर रहा है और याचिकाकर्ता राहत के लिये वहां जा सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप चाहते हैं कि आपकी याचिका पर यहां सुनवाई होनी चाहिए, तो यह सामान्य प्रक्रिया के तहत ही आयेगी और यदि आप चाहते हैं कि आपकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई हो तो आपको जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय जाना होगा।’’

रामचन्द्रन ने जोर दिया कि इस मामले पर शीर्ष अदालत को ही विचार करना चाहिए, इसके बाद पीठ ने केन्द्र को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुये इसे नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया। इसी से संबंधित एक अन्य मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार यह नेता कश्मीर गया था। अत: उसकी याचिका में किये गये पहले अनुरोध पर अमल हो चुका है।

अहमदी ने कहा कि उनके अन्य अनुरोध अभी भी शेष हैं और प्राधिकारियों को न्यायालय को बताना चाहिए कि कानून के किन प्रावधानों के तहत घाटी में लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया है। मेहता ने पीठ से कहा कि दिन के समय घाटी में लोगों के आने जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और परिस्थितियों को देखते हुये रात के समय आवागमन पर पाबंदी लगायी जाती है। पीठ ने मेहता को लोगों के आवागमन पर पाबंदियों के बारे में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने अस्पतालों में इंटरनेट संचार सेवा बहाल करने के लिये समीर कौल की याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुये उन्हें जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया।

अनुराधा भसीन, पूनावाला और ठाकुरता की याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि इस मामले में हस्तक्षेप के लिये कितने आवेदन दायर किये गये हैं। पीठ ने घाटी में पाबंदियों से संबंधित मसले पर अब कोई नया आवेदन दायर करने पर रोक लगा दी। मेहता ने पूनावाला के याचिका दायर करने के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि वह टीवी की शख्सियत हैं और राज्य के निवासी नहीं है। इस पर, नयायमूर्ति गवई ने सवाल किया, ‘‘क्या यह तहसीन पूनावाला वही व्यक्ति है जिसने नागपुर मामले में हमारे खिलाफ कुछ आरोप लगाये थे?’’

न्यायमूर्ति गवई निश्चित ही न्यायाधीश बी एच लोया की मृत्यु के मामले का जिक्र कर रहे थे। पूनावाला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है लेकिन घाटी में पाबंदियों का मामला गंभीर है और इस पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वे घाटी में पूरी तरह सब कुछ ठप होने से प्रभावित हैं क्योंकि अधिकांश अस्पताल श्रीनगर में होने की वजह से लोग बहुत परेशान हो रहे हैं।

मीनाक्षी आरोड़ा ने सवाल किया, ‘‘किस अधिसूचना के तहत कश्मीर घाटी में सब कुछ ठप किया गया है, सरकार को न्यायालय को यह बताना चाहिए।’’ मेहता ने ऐसे किसी भी दावे को गलत बताया और कहा कि घाटी में अस्पताल सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं और पांच अगस्त से मध्य सितंबर तक लाखों लोगों ने चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाया है।

मेहता ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सुविधाओं पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है और सारे अस्पताल सुचारू ढंग से काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगर इंटरनेट सेवायें बहाल की गयीं तो वहां फेक न्यूज का प्रवाह होने लगेगा। उन्होंने कहा कि अनेक इलाकों में लोगों और पत्रकारों के लिये इंटरनेट के स्टाल स्थापित किये जा रहे हैं। पीठ ने कश्मीर घाटी में पाबंदियों से संबंधित इन सभी मामलों को नवंबर महीने के लिये सूचीबद्ध करते हुये केन्द्र को इन याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। 

Web Title: Article 370: Supreme Court said - 100% telephone lines are working in Kashmir, balance between freedom and security is necessary

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