देश के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 जन्म दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। डॉ कलाम के पिता मछुआरों के लिए नाव बनाने और बेचने की काम करते थे। अचानक घर की परिस्थिति खराब होने के कारण उन्हें बचपन में ही अखबार बेचना पड़ा था। शुरू से ही कलाम शानदार छात्र रहे थे। बचपन से ही वह अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति बेहद रुचि रखते थे। बाद में कलाम ने लड़ाकू विमान के लिए होने वाली परीक्षा में भाग लिया लेकिन वह चूक गए क्योंकि कुल भर्तियों की संख्या 8 थी और वो 9 नंबर पर थे। मद्रास स्कूल ऑफ़ प्रेसिडेंसी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने साल 1969 में डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक ज्वाइन किया। इसके बाद कलाम ने इसरो (ISRO) में काम करना शुरू कर दिया। कलाम साहब ने मशहूर अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया है।
बता दें कि पोखरण परमाणु टेस्ट में अब्दुल कलाम ने एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी। पोखरण में हुए इस टेस्ट में दुनिया भर की ताकत विरोध कर रही थी लेकिन फिर भी इस परीक्षण की सफलता ने कलाम को पूरे देश का हीरो बना दिया था। साल 2002 में कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपना जीवन बहुत ही साधारण तरीके से व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से कर दिया था इनकार
थुंबा में अपने साथ काम करे कर्मचारियों के बच्चों को कलाम साहब प्रदर्शनी दिखाने के लिए ले गए थे, क्योंकि कर्मचारी ने अपने बच्चों से घुमाने ले जाने का वादा किया था लेकिन काम की व्यस्तता की वजह से भूल गया था। वहीं, एक बार जब उन्हें आईआईटी वाराणसी के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। तब उन्हें वहां दूसरे लोगों के मुकाबले बड़ी कुर्सी पर बैठने को कहा गया था। लेकिन डॉ कलाम इस बात से इनकार कर अन्य लोगों की तरह समान्य कुर्सी पर ही बैठे। राष्ट्रपति रहने के दौरान बहुत नौजवानों के साथ विज्ञान के बारे में चर्चाएं करते थे जिससे वह लोकप्रिय बन गए। उनकी लोकप्रियता का इतना इजाफा हुआ कि वह 'यूथ आइकन' बन गए। इसके साथ ही कलाम को 'लोगों के राष्ट्रपति' के तौर पर भी जाना जाता है।
लम्बे बाल बन गया ट्रेंड
15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वर में जन्में अब्दुल कलाम का जन्म से ही एक कान आधा था। इसे ही छिपाने के लिए उन्होंने जिंदगी भर अपने बालों को बड़ा रखा। हलांकि बाद में उनके यही बाल उनकी पहचान बन गए। आगे चलकर वह उन वैज्ञानिकों की लिस्ट में आ गए जिन्होंने हमेशा लम्बे बाल को स्पोर्ट किया और अब्दुल कलाम को ही देखकर कई लोगों ने अपने बाल को उनके जैसा कर लिया।
जब अपने असिस्टेंट के बेटे को खुद एक्जीबिशन दिखाने चले गए थे आजाद
अब्दुल कलाम हमेशा ही प्रेरणादायक रहे। सिर्फ समाज की ही नहीं बल्कि वह लोगों की समस्या को भी भली-भांति समझते थे।
एक बार अब्दुल कलाम के असिस्टेंट ने उनसे ऑफिस से जल्दी जाने की परमिशन ली थी क्योंकि उसे अपने बेटे को एक्जीबिशन लेकर जाना था मगर काम में वह इतना बिजी हो गया कि जल्दी घर निकल ही नहीं पाया। देर शाम जब वो घर पहुंचा तो उसकी वाइफ और बच्चे दोनों ही घर पर नहीं थे। जब उसने पता लगाने की कोशिश की तो पता चला कि अब्दुल कलाम खुद अपने असिस्टेंट के बच्चे को एक्सीबिजशन घुमाने ले आए थे।
बचपन में बेचते थे अखबार
अब्दुल कलाम को हमेशा ही जानकारी और देश-विदेश में क्या हो रहा है इस बात में रुचि थी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश का ये 11वां राष्ट्रपति बचपन में अखबार बेचा करता था।
प्रख्यात तो ये है कि अब्दुल कलाम को जानकारियों से इतना प्यार था कि वो पहले पूरा अखबार पढ़ लेते थे तब उसे बांटने जाते थे। देश का ये रत्न 27 जुलाई 2015 को हम सभी को छोड़कर चला गया। शिलॉन्ग के आईआईएम में लेक्चर के दौरान आए हार्ट अटैक से अब्दुल कलाम का निधन हो गया।