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अनिता भटनागर जैन : प्रशासनिक दायित्व के साथ रचनात्मकता को भी बखूबी निभाया

By भाषा | Updated: November 28, 2021 10:51 IST

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नयी दिल्ली, 28 नवंबर कुछ लोगों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हाथ आजमाना और उनमें महारत हासिल कर लेने का हुनर खूब आता है, फिर चाहे वह अभिनय हो, नौकरशाही या फिर साहित्य। कहने को ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे से एकदम अलहदा हैं, लेकिन अनिता भटनागर जैन ने इन तीनों ही क्षेत्रों में बेहतरीन उपलब्धियां हासिल की हैं और ये तीनों क्षेत्र उनकी शख्सियत का हिस्सा हैं।

वर्ष 1975 में नाटकों से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अनिता एक समय दूरदर्शन का चर्चित चेहरा हुआ करती थीं। उन्होंने अनुपम खेर के निर्देशन में एक नाटक में अभिनय करने के अलावा कुछ फिल्मों में भी काम किया। यह उनके व्यक्तित्व का पहला रंग था।

साल 1985 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनीं और विभिन्न सरकारी विभागों में अपने दायित्वों को बखूबी निभाते हुए अक्टूबर 2020 में सेवानिवृत्त हुईं। बाद में, उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें लोकसेवा अधिकरण में सदस्य के तौर पर नामित किया। यह अनिता के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू है।

इस वर्ष हाल ही में उन्हें बाल कथा साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए अमृतलाल नागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने बच्चों को पर्यावरण के प्रति सजग करने के लिए बहुत सी कहानियों की रचना की है। इसके अलावा वह महानगरों में परिंदों की कम होती संख्या को चिंतित हुईं तो उन्होंने ‘दिल्ली की बुलबुल’ के नाम से एक सुंदर कहानी संग्रह की रचना की। उन्होंने बच्चों के नैतिक विकास और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रखने के लिए ‘कुम्भ’ और ‘गरम पहाड़’ के नाम से कहानी संग्रह की रचना की। यह उनके व्यक्तित्व का तीसरा हिस्सा है।

दो नवंबर 1959 को जन्मीं अनिता ने लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट से शिक्षा ग्रहण करने के बाद समाजशास्त्र में एमए किया और पर्यावरण संरक्षण कानूनों पर स्नातकोत्तर डिप्लोमा करने के अलावा जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर हार्वर्ड से ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स किया। पर्यावरण संरक्षण और बच्चों में नैतिकता को बढ़ावा देने वाली उनकी किताबों का छह भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उनके 50 से अधिक लेख तथा यात्रा संस्मरण विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।

पिछले दो दशक से वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही हैं और उन्होंने एक लाख बच्चों के साथ बाल पर्यावरण वाहिनी की स्थापना की है। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होंने ‘‘‘हमारी पृथ्वी हमारा घर’’ नाम से एक फिल्म का निर्माण भी किया, जिसे यूनेस्को द्वारा प्रदर्शित किया गया।

प्रशाासनिक अधिकारी के तौर पर उन्हें उत्तर प्रदेश में खेलों के विकास और खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने वर्तमान खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के लिए आधुनिकतम सुविधाओं और नवीनतम साजो-सामान की व्यवस्था करने के साथ ही पूर्व खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को आर्थिक सहायता तथा सम्मान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए। उन्होंने देश-विदेश की प्रतिस्पर्धाओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को भी सम्मानित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।

राज्य में अधिक से अधिक लड़कियां खेलों में शिरकत करें, इसके लिए अनिता भटनागर जैन ने स्कूल स्तर पर प्रतिभा पहचान के लिए मासिक आधार पर उनके प्रदर्शन पर नजर रखनी शुरू की। इसका नतीजा यह हुआ कि विभिन्न खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी।

अनिता भटनागर जैन की उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसमें और भी कड़ियां जुड़ती रहेंगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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