महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख धन शोधन के मामले में एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं हुए। उन्होंने कहा कि वह अपनी आजादी की रक्षा के लिए ‘कानूनी विकल्पों’ का सहारा ले रहे हैं। यह पांचवी बार है जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 71 वर्षीय नेता ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। देशमुख ने अपने वकील द्वारा जांच अधिकारी को भेजे तीन पन्नों के जवाब में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ‘‘मुझे प्राथिमिकी रद्द करने की याचिका सहित दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत उपलब्ध सभी कानूनी विकल्पों का उचित इस्तेमाल करने की छूट दी है।’’ उन्होंने कहा कि वह अपनी आजादी की रक्षा के लिए ‘ एक -दो दिन में’ कानूनी उपचारात्मक विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं। देशमुख ने आगे कहा कि वह ‘कानून का अनुपालन करने वाले नागरिक’ हैं और इसलिए एजेंसी से अनुरोध करते हैं कि उनका बयान ‘‘ अदालत (अदालतों) द्वारा उचित आदेश पारित होने तक’’ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दर्ज किया जाए।’’ हालांकि, अबतक स्पष्ट नहीं है कि ईडी का अगला कदम क्या होगा। ईडी ने 16 अगस्त को उच्चतम न्यायालय द्वारा संघीय एजेंसी की किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद देशमुख और उनके बेटे ऋषिकेश को पांचवी बार समन भेजा था। उच्चतम न्यायालय में, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि देशमुख को सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने की आजादी है। देशमुख ने पिछले महीने वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि वह शीर्ष अदालत में उनकी याचिका पर फैसला आने के बाद ईडी के समक्ष पेश होंगे। गौरतलब है कि ईडी ने देशमुख को महाराष्ट्र पुलिस में चल रहे कथित 100 करोड़ रू के रिश्वत सह वसूली गिरोह मामले के आधार पर धनशोधन निषेध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज प्राथमिकी में समन भेजा है। इस आरोप की वजह से देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पडा था।
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