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कर्नाटक के नाराज मंत्री आनंद सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलने के बाद कहा, ‘‘इस्तीफा नहीं दे रहा हूं’’

By भाषा | Updated: August 11, 2021 23:43 IST

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बेंगलुरु, 11 अगस्त कर्नाटक में पखवाड़े भर पुरानी बसवराज बोम्मई सरकार एक नाराज मंत्री को मनाने के साथ अपनी पहली बड़ी चुनौती को पार करते नजर आ रही है। दरअसल, बुधवार को पद से इस्तीफे का संकेत देने वाले नाराज मंत्री आनंद सिंह ने बाद में अपना मन बदल लिया।

मंत्री के करीबी सूत्रों ने बताया कि वह ऊर्जा विभाग के साथ-साथ वन विभाग पाने को इच्छुक थे, जो पिछली बी एस येदियुरप्पा सरकार में उनके पास था। उन्होंने बताया, ‘‘लेकिन उनकी इच्छा के विपरित उन्हें पर्यटन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण विभाग दे दिया गया। ’’

मंत्री ने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए नव सृजित जिले विजयनगर के होस्पेट में अपना विधायक कार्यालय भी बंद कर दिया था।

बेंगलुरु में मुख्यमंत्री से मिलने से पहले सिंह ने होस्पेट में कहा था, ‘‘ मेरा राजनीतिक करियर वेणु गोपालकृष्ण मंदिर से प्रारंभ हुआ था। मैं आपसे कहना चाहूंगा कि मुझे नहीं पता कि मेरा राजनीतिक जीवन भी शायद यहीं समाप्त हो जाए। यदि मुझे गोपालकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त रहेगा तो नयी शुरुआत भी हो सकती है।’’

वह मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। इस मंदिर का निर्माण 60 साल पहले उनके दादा शंकर सिंह ने कराया था।

सिंह ने कहा, ‘‘लेकिन, यदि भगवान कहते हैं कि तुम्हारा राजनीतिक जीवन यहीं खत्म हो, तो मैं कृष्णा से आशीर्वाद मांगूगा और अपने जीवन में नयी पारी शुरू करूंगा।’’

सिंह ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की, जिनके साथ राजस्व मंत्री आर अशोक और भाजपा विधायक नरसिम्हा नाइक उर्फ राजू गौड़ा भी थे।

मुलाकात के बाद, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके और सिंह के बीच कोई मतभेद नहीं है तथा दोनों एकजुट हैं।

यह स्वीकार करते हुए कि सिंह एक बेहतर विभाग चाहते हैं, बोम्मई ने कहा कि उन्होंने उन्हें (सिंह को) मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से बताया और उन्हें आश्वस्त किया कि वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से बात करेंगे।

बोम्मई ने कहा, ‘‘उनका यह कहना था कि वह अपनी क्षमता के अनुरूप एक और विभाग ले सकते हैं। ’’

वहीं, सिंह ने कहा, ‘‘यह सच है कि मैंने विभाग में बदलाव करने के लिए कहा था लेकिन मैंने कभी नहीं कहा था कि मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं। इस्तीफा देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।’’

उन्होंने कहा कि बोम्मई ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि एक साथ मिल बैठकर मुद्दे का हल कर लिया जाएगा।

मतभेद दूर हो जाने और सिंह के इस्तीफा नहीं देने का जिक्र करते हुए अशोक ने कहा कि मंत्री 15 अगस्त को विजयनगर जिले में राष्ट्र ध्वज फहराएंगे।

बोम्मई से मिलने से पहले, सिंह और गौड़ा ने पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के आवास पर उनसे मुलाकात की तथा करीब 25 मिनट तक चर्चा की।

बैठक के बाद गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि सिंह ने येदियुरप्पा के समक्ष अपनी बात रखी। जवाब में, लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता ने दोनों से शांत रहने को कहा।

येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से 26 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद बोम्मई ने 28 जुलाई को राज्य के नये मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और चार अगस्त को 29 मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल का विस्तार किया था।

बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने के महज पखवाड़े भर बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा विधायकों और मंत्रियों के एक हिस्से के बीच असंतोष बढ़ता नजर आ रहा है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि विधायक एस ए रामदास, अभय पाटिल, रमेश जरकीहोली, एम पी रेणुकाचार्य, अरविंद बेलाड, बासनगौड़ा पाटिल और उमेश कुमाथली मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने को लेकर नाराज हैं।

मुख्यमंत्री के फैसले को स्वीकार करने वाले नाराज मंत्री एन नागराज (एमटीबी) ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि बोम्मई ने उनसे वादा किया था कि उनका विभाग बदल दिया जाएगा और उन्हें उन पर भरोसा है।

नागराज और सिंह कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के उन 17 विधायकों में शामिल थे जिन्हें 2019 में विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था। बाद में, उनमें से 16 भाजपा में शामिल हो गये और उपचुनाव जीत कर फिर से विधानसभा पहुंच गये।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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