देश भर में प्याज की बढ़ रही कीमतों से लोग परेशान हैं। इसी बीच एक खबर आई कि आंध्र प्रदेश में सोमवार को 25 रूपए प्रति किलो की दर से प्याज खरीदने के लिए लाइन में लगे बुजुर्ग की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई है। खबरों के मुताबिक, बुजुर्ग लाइन में लगकर सब्सिडी वाले प्याज को खरीदना चाहते थे।
आपको बता दें कि प्याज की बढ़ती कीमतों व लोगों की परेशानी को देखते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए भाजपा सरकार पर हमला किया है। सामना के माध्यम से शिवसेना ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में जोरदार पतझड़ जारी है। परंतु सरकार मानने को तैयार नहीं है। प्याज की कीमत २०० रुपए किलो हो गई है। वहीं, देश की वित्तमंत्री सीतारमण कहती हैं कि‘मैं प्याज-लहसुन नहीं खाती इसलिए प्याज के बारे में मुझे मत पूछो।’सीतारमण का यह बयान ना सिर्फ बचकाना बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है।
अपने चुटीले अंदाज में सामना ने छापा कि श्री मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं थे तब प्याज की बढ़ती कीमतों पर विरोध करते थे। उन्होंने एक बार कहा था कि‘प्याज जीवनावश्यक वस्तु है। यदि ये इतना महंगा हो जाएगा तो लोग प्याज को लॉकर्स में रखने लगेंगे।’ आज जब मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तो प्याज को लॉकर में रखने वाली स्थिति आ गई है। बेहोश व्यक्ति को प्याज सुंघाकर होश में लाया जाता है। परंतु दुर्भाग्य है कि मंहगाई की मार से अब बाजार से प्याज ही गायब हो गया है। इसके अलावा सामना ने छापा है कि हमारी अर्थव्यवस्था ‘बीमार’ है, परंतु मोदी सरकार उसे भी स्वीकार करने को तैयार नहीं। इसलिए बीमारी छिपाने से अर्थव्यवस्था में दाद हो गया और उस पर चोरी-छिपे खुजलाने की मजबूरी। खुजलाओगे तो गुनहगार अथवा देशद्रोही ठहराया जाएगा। इस तरह से हमारी अर्थव्यवस्था छटपटाती और व्याकुल होती दिख रही है। हम सिर्फ चिंता व्यक्त कर सकते हैं। ‘जय जय रघुराम समर्थ’ कहने के सिवा और कोई पर्याय भी कहां है!