अमित शाह का छत्तीसगढ़ चौथी बार जीतने का फार्मूला लीक, 65 सीटों का है टारगेट
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 12, 2018 04:26 PM2018-06-12T16:26:20+5:302018-06-12T16:26:20+5:30
कांग्रेस इस बार किसी भी हाल में रमन सिंह से सत्ता खींचने का प्रयास कर रही है।
रायपुर, 12 जूनः छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होंगे। भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में 15 सालों से सत्ता में है। डॉ. रमन सिंह बीते 15 सालों से वहां के मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस इस बार किसी भी हाल में रमन सिंह से सत्ता खींचने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के मुताबिक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की लहर चल रही है। कांग्रेस ने तेजी कदम बढ़ाते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से चुनावी प्रचार की शुरुआत 15 से ही शुरू करा दी थी। राहुल गांधी ने जैसे कर्नाटक का चुनाव प्रचार खत्म किया था वैसे ही दो दिन के छत्तीसगढ़ के दौरे पहुंच गए थे। इस दौरान कांग्रेस की कई रणनीतियों पर विचार-विमर्श हुआ। कई सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर भी चर्चा हुई।
कांग्रेस की तेजी से जागी बीजेपी ने भी अब पूरा प्लान तैयार कर लिया है। अमित शाह चुनावी मैदान के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। वे पिछले सप्ताह दो दिनों के लिए छत्तीगढ़ गए थे। वहां उन्होंने माहौल का जायजा लिया और अपने फॉर्मूले के बारे में बात की। पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी द्वारा अपनाई जाने वाली संभावित रणनीति को लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा के ‘कोर ग्रुप ’ के साथ चर्चा की।
भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के सदस्य ने बताया कि शाह ने भाजपा के सरगुजा जिला कार्यालय में पार्टी के कोर ग्रुप के साथ एक बैठक की। यह बैठक करीब ढाई घंटे चली। इस ढाई घंटे की बैठक में बातचीत के बाद उन्होंने छत्तीगढ़ बीजेपी के सामने 65 सीटें जीतने का टारगेट रखा। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं।
अमित शाह की बैठक का उद्देश्य राज्य में चुनाव प्रचार के लिए एक खाका तैयार करना था। इसमें मुख्यमंत्री रमन सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी अनिल जैन, भाजपा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव सौदान सिंह, प्रदेश पार्टी इकाई प्रमुख धरमलाल कौशिक, राज्य सभा सदस्य सरोज पांडे और रामविचार नेताम, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पुन्नुलाल मोहीले, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जैसे दिग्गज शामिल हुए।
लेकिन दौरान सबने मिलकर विपक्ष की गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। असल में यह बैठक इसलिए मायने रखती है कि राज्य में भाजपा पिछले 15 साल से सत्ता में है और ऐसा दिखता है कि वह सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। इसका कांग्रेस पूरा फायदा उठाने की तैयारी कर चुकी है। चाहे वह छत्तीसगढ़ की कमान आदिवासियों से ताल्लुक रखने वाले भूपेश बघेल को सौंपने का फैसला हो या फिर पत्रकारों से संबंधित मामलों को जमकर उठाने या फिर आदिवासी इलाकों में लगातार पैदल मार्च निकाला हो।
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ऐसे बीजेपी ने संपर्क से समर्थन को साल 2019 के लिए लागू करने से पहले कांग्रेस छत्तीसगढ़ में विधानसभा के लिए संपर्क से समर्थन अभियान चलाएगी और ऐसे-ऐसे लोगों से आगामी चुनावों में बीजेपी को समर्थन के लिए बात करेगी, जो अभी बीजेपी के साथ नहीं हैं। इसमें वह उन लोगों के पास भी जाएगी, जो किसी और पार्टी में होते हुए भी बीजेपी या एनडीए के प्रति सहज भाव रखते हैं या अपनी पार्टी में खुश नहीं है।
मीडिया प्रकोष्ठ सदस्य के मुताबिक ऐसा लगता है कि प्रदेश के नेताओं और शाह के बीच व्यापक चर्चा हुई। शाह फिलहाल दिल्ली लौट आए हैं।