BJP की लोकसभा चुनाव 2019 की रणनीति लीक, इन 7 प्रदेशों में झोंकने जा रही है पूरी ताकत
By भाषा | Published: June 10, 2018 11:38 AM2018-06-10T11:38:55+5:302018-06-10T13:03:10+5:30
देश की 60 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष से कम होने को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने खासतौर पर कोरोमंडल को फोकस किया है।
नई दिल्ली, 10 जून: भारतीय जनता पार्टी साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के संदर्भ में कोरोमंडल समुद्रतट के किनारे बसे दक्षिणी एवं पूर्वी तटीय राज्यों में पूर्वोत्तर की तर्ज पर छोटे दलों को साथ लाने की संभावना पर विचार कर रही है।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु के अलावा ओडिशा एवं पश्विम बंगाल जैसे इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है।
पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा ने करीब दो वर्ष पहले छोटे राजनीतिक दलों के साथ नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (नेडा) का गठन किया था। इस गठबंधन के संयोजन की जिम्मेदारी कांग्रेस से भाजपा में आए असम के वरिष्ठ नेता हेमंत विश्व शर्मा को दिया गया था और यह गठजोड़ पांच राज्यों में सरकार बनाने में सफल रहा ।
समझा जाता है कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रहने के बाद भाजपा नेतृत्व दक्षिण भारत की रणनीति पर मंथन कर रहा है । इसमें क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल के विषय पर भी विचार किया गया है।
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पार्टी सूत्रों ने ‘भाषा’ को बताया कि दक्षिण में इस रणनीति को आगे बढ़ाने के लिये दो महासचिवों राम माधव और मुरलीधर राव को जिम्मेदारी दी गई है।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का जोर कोरोमंडल के तट पर बसे राज्यों की 150 से अधिक सीटों पर है। इनमें पश्चिम बंगाल (42 सीट), तमिलनाडु (39 सीट), ओडिशा (21 सीट), आंध्रप्रदेश (25 सीट), तेलंगाना (17 सीट), केरल (20 सीट) महत्वपूर्ण है जहां क्षेत्रीय दलों का दबदबा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्रप्रदेश में भाजपा ने तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा) के साथ गठबंधन किया था और इस गठबंधन को चुनाव में अच्छी सफलता मिली थी। हालांकि आंधप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मुद्दे पर तेलगू देशम पार्टी और भाजपा का गठबंधन टूट गया है।
समझा जाता है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा की प्रदेश इकाई वाईएसआर कांग्रेस के साथ सहयोग पर जोर दे रही है ।
आंध्रप्रदेश से संबद्ध पार्टी के एक नेता ने बताया कि सभी संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है । इसके साथ ही संगठन को भी लगातार मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
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पूर्वोत्तर की तरह गठजोड़ की कवायद के तहत तमिलनाडु में भाजपा विजयकांत के डीएमडीके, ई आर ईश्वरन की केएमडीके, एस रामदास की पीएमके, वायको की एमडीएमके, ए सी षणमुगम की पीएनके जैसे छोटे दलों के साथ सहयोग की संभावना पर भी विचार कर रही है।
केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीएम के नेतृत्व वाले (एलडीएफ़) गठबंधन का ही बीते चार दशक से शासन रहा है। ऐसे में भाजपा राज्य में तीसरी ताकत के रूप में उभरने का पूरा प्रयास कर रही है। इस क्रम में भाजपा इस राज्य में भारत धर्मा जना सेना (बीडीजेएस) जैसे संगठनों के साथ सहयोग की संभावना पर विचार कर रही है।
ओडिशा में साल 2000 से बीजद प्रमुख और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में सरकार है और भाजपा को लगता है कि ओडिशा में सरकार विरोधी रुख का उसे लाभ मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस वहां कमजोर हुई है । इसी को ध्यान में रखने हुए पिछले वर्ष ओडिशा में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक ओडिशा में आयोजित की गई थी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक जैसे प्रदेशों पार्टी संगठन के कार्यों पर सीधे नजर रख रहे हैं जिसमें बूथ स्तर तक से फीडबैक लिये जा रहे हैं । इनमें विस्तारक योजना, बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने और शक्ति केंद्रों एवं शक्ति प्रमुखों की सुव्यवस्थित श्रृंखला तैयार करने का कार्यक्रम शामिल है।
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देश की 60 प्रतिशत आबादी के 35 वर्ष से कम होने को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने खासतौर पर कोरोमंडल के इन राज्यों में अपने अभियान के केंद्र में युवाओं एवं दलितों समेत समाज के कमजोर वर्ग को रखा है ।