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अमरनाथ यात्रा पर 29 सालों से आतंकी हमलों का सिलसिला जारी, दी जा रही धमकियां

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 19, 2022 16:58 IST

आतंकियों ने वर्ष 2000 में सबसे अधिक 35 श्रद्धालुओं को पहलगाम में मौत के घाट उतार दिया था। वर्ष 2001 में 12, वर्ष 2002 में 10 को मार डाला था। हालांकि वर्ष 2003 में आतंकी अमरनाथ यात्रा मार्ग पर कोई हमला नहीं कर पाए थे लेकिन उन्होंने अमरनाथ यात्रा संपन्न कर वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होने जा रहे 8 श्रद्धालुओं को जरूर मार डाला था।

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ठळक मुद्देआतंकी वर्ष 2003 से लेकर 2016 तक अमरनाथ यात्रा को कोई क्षति पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।सुरक्षा व्यवस्था से लेकर आतंकियों और अलगाववादी नेताओं के रूख भी इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं।

जम्मू: अमरनाथ यात्रा पर वर्ष 1993 से ही आतंकियों द्वारा हमले किए जा रहे हैं तथा उसके संचालन पर धमकियों का दौर भी इसी वर्ष से आरंभ हुआ था जो आज भी जारी है। अमरनाथ यात्रा पर सबसे पहला हमला विदेशी आतंकियों ने 1993 में किया था जब उस पर प्रतिबंध लगाते हुए हरकतुल अंसार ने श्रद्धालुओं को धमकी दी थी कि शामिल होने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। जब धमकी बेअसर हुई तो आतंकी हमले में तीन की जान चली गई। इसी प्रकार का हमला उसके अगले साल भी हुआ। मरने वालों की तादाद अधिक नहीं थी। दो की जान जरूर गई थी।

फिर सुरक्षा प्रबंधों में सख्ती का परिणाम था कि अगले 6 साल तक आतंकी अमरनाथ यात्रा को कोई क्षति नहीं पहुंचा पाए। पर उसके अगले चार साल अमरनाथ श्रद्धालुओं के लिए भारी साबित हुए। चौंकाने वाली बात यह थी कि वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2003 तक के चार हमलों के दौरान अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति लंबे चौड़े दावे किए जाते रहे थे। तब आतंकियों ने हर साल हमला किया था।

आतंकियों ने वर्ष 2000 में सबसे अधिक 35 श्रद्धालुओं को पहलगाम में मौत के घाट उतार दिया था। वर्ष 2001 में 12, वर्ष 2002 में 10 को मार डाला था। हालांकि वर्ष 2003 में आतंकी अमरनाथ यात्रा मार्ग पर कोई हमला नहीं कर पाए थे लेकिन उन्होंने अमरनाथ यात्रा संपन्न कर वैष्णो देवी की यात्रा में शामिल होने जा रहे 8 श्रद्धालुओं को जरूर मार डाला था।

देखा जाए तो आतंकी वर्ष 2003 से लेकर 2016 तक अमरनाथ यात्रा को कोई क्षति पहुंचाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। इसके पीछे के कई कारण हैं। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर आतंकियों और अलगाववादी नेताओं के रूख भी इसके लिए जिम्मेदार रहे हैं। हालांकि इतना जरूर था कि 2003 के बाद 2016 तक कोई आतंकी हमला अमरनाथ श्रद्धालुओं पर इसलिए नहीं हुआ था क्योंकि कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी अमरनाथ श्रद्धालुओं को कश्मीरियों का मेहमान निरूपित करते रहे थे। 

दरअसल यह कश्मीरी जनता का दबाव होता था ताकि रोजी रोटी चलती रहे। जानकारी के लिए अमरनाथ यात्रा को कश्मीर के पर्यटन व्यवसाय की रीढ़ माना जाता रहा है। पर इस रीढ़ को अक्सर आतंकी गुट विचारधारा के चलते तोड़ने की कोशिश जरूर करते रहते हैं।

टॅग्स :अमरनाथ यात्राजम्मू कश्मीरआतंकी हमला
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