Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों में इस बार चार श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो यात्रा में शिरकत करने के लिए सैकड़ों किमी पैदल चल कर इसमें शामिल हुए हैं। यह सच है कि भारत के विभिन्न राज्यों से चार यात्री गुरुवार को अमरनाथ की अपनी तीर्थयात्रा के 33वें दिन काजीगुंड पहुंचे थे और अब वे अमरनाथ गुफा में दर्शन भी कर चुके हैं।
उन्होंने 850 किलोमीटर से अधिक पैदल यात्रा करने के बाद पवित्र गुफा की ओर अपनी यात्रा जारी रखते समय पत्रकारों से बात करते हुए अपने मिशन के बारे में बताया। उनमें से एक मोहन सिंह भंडारी ने ने पत्रकारों के साथ अपने विचार साझा किया कि वे देवभूमि उत्तराखंड से हरिद्वार से अमरनाथ तक 850 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं। भंडारी ने जोर देकर कहा कि पैदल यात्रा का मुख्य उद्देश्य रास्ते में विभिन्न लोगों से मिलना है।
भंडारी कहते थे कि टीवी समाचार चैनलों पर कश्मीर में यहां और वहां क्या हो रहा है, इस बारे में अलग-अलग खबरें होती हैं। वास्तव में, यदि हम किसी स्थान पर जाते हैं, तो हम वहां के लोगों से मिलते हैं और एक नया अनुभव प्राप्त करते हैं। हम स्थानीय लोगों के बारे में जानकारी इकट्ठा करते हैं। हम उस अनुभव को हासिल करने के लिए यह पदयात्रा कर रहे हैं।
भंडारी ने कश्मीरियों के समर्थन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे बहुत अच्छे लोग हैं और बहुत मददगार हैं। वीरवार को उनकी यात्रा का 24वां दिन था और वे औसतन हर दिन लगभग 30-35 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। वे कहते थे कि अब जब हम कश्मीर पहुंच चुके हैं, तो पहलगाम पहंुचने में बस एक या दो दिन का समय लगेगा। हालांकि समाचार भिजवाए जाते समय वे दर्शन कर वापस भी लौट रहे थे।
इसी तरह पैदल आने वाले उत्तर प्रदेश के एक जिले लखीमपुर खीरी के एक अन्य यात्री हन्ना प्रसाद ने कहा कि वह बाबा बर्फानी की की यात्रा पैदल ही कर रहे हैं। वे कहते थे कि पैदल यात्रा का उद्देश्य लोगों को पैदल यात्रा करने के लिए प्रेरित करना है। कार से यात्रा करने वाले लोगों और पैदल यात्रा की कठिनाइयों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पैदल यात्रा के अलग-अलग लाभ हैं। सबसे पहले, हम फिट रहते हैं। दूसरे, लोग प्रेरित होते हैं। तीसरे, हमें सड़कों के बारे में जानकारी मिलती है और हम जिन लोगों से मिलते हैं उनकी संस्कृति को जान पाते हैं।
प्रसाद ने कहा कि वह वर्तमान में अपने पांचवें राज्य में हैं, उन्होंने अब तक चार राज्यों की यात्रा की है। उन्होंने कहा कि मुझे घर से निकले 33 दिन हो गए हैं। वे कहते थे कि लोगों को जम्मू कश्मीर आना चाहिए, विभिन्न स्थानों की यात्रा करनी चाहिए और बिना किसी तनाव के आनंद लेना चाहिए। वे कहते थे कि पूरी यात्रा के दौरान लोगों ने अच्छा आतिथ्य प्रदान किया।