दो वयस्क आदमी को अपने पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही वे चाहे किसी भी धर्म के हों, इलाहाबाद हाईकोर्ट
By भाषा | Updated: September 16, 2021 22:07 IST2021-09-16T22:05:56+5:302021-09-16T22:07:50+5:30
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने मुस्लिम महिला शिफा हसन और उसके हिंदू साथी द्वारा दायर की गयी एक याचिका पर यह आदेश पारित किया।

युवक और युवती ने उच्च न्यायालय का रुख किया और उनका कहना है कि उनकी जान को खतरा है।
प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि दो वयस्क व्यक्तियों को अपने पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही वे चाहे किसी भी धर्म के हों।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने मुस्लिम महिला शिफा हसन और उसके हिंदू साथी द्वारा दायर की गयी एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। इन याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी इच्छा से साथ में रह रहे हैं।
अदालत ने शिफा हसन और उसके साथी को सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि इनके संबंधों को लेकर इनके माता पिता तक आपत्ति नहीं कर सकते। पीठ ने कहा, “इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि दो वयस्क व्यक्तियों के पास अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। चूंकि यह याचिका दो ऐसे लोगों द्वारा दायर की गई है जो एक दूसरे से प्रेम करने का दावा करते हैं और वयस्क हैं, इसलिए हमारे विचार से कोई भी व्यक्ति उनके संबंधों को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता।”
पीठ ने पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन याचिकाकर्ताओं को उनके माता पिता द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी तरह से परेशान न किया जाए। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि युवती ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए एक आवेदन भी दाखिल किया है।
इस आवेदन पर जिलाधिकारी ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मंगाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, युवक का पिता इस विवाह को लेकर राजी नहीं है, लेकिन उसकी मां राजी है। उधर, हसन के मां बाप इस शादी के खिलाफ हैं। इसे देखते हुए युवक और युवती ने उच्च न्यायालय का रुख किया और उनका कहना है कि उनकी जान को खतरा है।