लाइव न्यूज़ :

लिव-इन-रिलेशनशिप पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी, कहा- विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 1, 2023 13:24 IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है और फिल्में और टीवी धारावाहिक इसमें योगदान दे रहे हैं।

Open in App
ठळक मुद्देलिव-इन-रिलेशनशिप पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अहम टिप्पणी धारावाहिकों और वेब सीरीज पर भी टिप्पणी कीकहा- विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है

प्रयागराज: अपनी लिव-इन पार्टनर से बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देते हुए, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन काम कर रहा है और फिल्में और टीवी धारावाहिक इसमें योगदान दे रहे हैं।

टीवी धारावाहिकों और वेब सीरीज के कंटेट पर टिप्पणी करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि हर सीजन में साथी बदलने की अवधारणा को "स्थिर और स्वस्थ" समाज की पहचान नहीं माना जा सकता है। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि विवाह संस्था किसी व्यक्ति को जो सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है,  लिव-इन-रिलेशनशिप से उसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है।

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने टिप्पणी की, "लिव-इन-रिलेशनशिप को इस देश में विवाह की संस्था के अप्रचलित होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहां विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। हम भविष्य में अपने लिए एक बड़ी समस्या खड़ी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और स्वतंत्र लिव-इन-रिलेशनशिप को एक प्रगतिशील समाज के लक्षण के रूप में दिखाया जा रहा है।  युवा ऐसे दर्शन की ओर आकर्षित हो जाते हैं, क्योंकि वे दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं।"

न्यायालय का यह भी मानना ​​था कि जिस व्यक्ति के पारिवारिक रिश्ते मधुर नहीं हैं, वह राष्ट्र की प्रगति में योगदान नहीं दे सकता। लिव-इन रिश्तों का जिक्र करते हुए, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यह भी कहा कि एक रिश्ते से दूसरे रिश्ते में जाने से कोई संतुष्टिदायक अस्तित्व नहीं मिलता है और ऐसे रिश्तों से पैदा होने वाले बच्चों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पीठ ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों के माता-पिता जब अलग हो जाते हैं तब वे समाज पर बोझ बन जाते हैं। वे गलत संगत में पड़ जाते हैं और अच्छे नागरिकों की राष्ट्रीय हानि होती है।  लिव-इन-रिलेशनशिप से पैदा हुई कन्या शिशु के मामले में, अन्य दुष्प्रभाव भी होते हैं जिनके बारे में विस्तार से बताना संभव नहीं है। अदालतों को रोजाना ऐसे मामले देखने को मिलते हैं।

टॅग्स :Allahabad High Courtहिन्दी सिनेमा समाचारहाई कोर्टHigh Court
Open in App

संबंधित खबरें

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar: फिल्म में दानिश पंडोर निभा रहे हैं उज़ैर बलूच का किरदार, कराची का खूंखार गैंगस्टर जो कटे हुए सिरों से खेलता था फुटबॉल, देखें उसकी हैवानियत

बॉलीवुड चुस्कीगूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की गई फिल्में 2025, जिन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, देखें पूरी लिस्ट

बॉलीवुड चुस्कीबहन कृतिका की हल्दी सेरेमनी में कार्तिक आर्यन का डांस, देखें तस्वीरें

बॉलीवुड चुस्कीWATCH: कार्तिक आर्यन ने बहन की हल्दी की रस्म में किया सलमान खान का चर्चित टॉवल डांस, भोजपुरी सॉन्ग में भी हिलाई कमरिया

भारतफिर खुलेगी आईएएस संतोष वर्मा की फाइल, हाईकोर्ट ने पुलिस जांच को दी मंजूरी

भारत अधिक खबरें

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: कहां से आया 'जय भीम' का नारा? जिसने दलित समाज में भरा नया जोश

भारतMahaparinirvan Diwas 2025: आज भी मिलिंद कॉलेज में संरक्षित है आंबेडकर की विरासत, जानें

भारतडॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज, पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

भारतIndiGo Crisis: लगातार फ्लाइट्स कैंसिल कर रहा इंडिगो, फिर कैसे बुक हो रहे टिकट, जानें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए