लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीबी) ने अपने चार दिवसीय सत्र के दौरान उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश किए जाने के बाद कहा कि वो समान नागरिक संहिता को कभी नहीं मानेंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार एआईएमपीएलबी के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने 'समान संहिता' की प्रकृति पर सवाल उठाते हुए चिंता व्यक्त की कि क्या किसी समुदाय को छूट दी गई है।
उन्होंने कहा, "जहां तक यूसीसी का सवाल है, हमारी राय है कि हर कानून में एकरूपता नहीं लाई जा सकती और अगर आप किसी समुदाय को इस यूसीसी से छूट देते हैं तो फिर इसे एक समान कोड कैसे कहा जा सकता है?"
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ''ऐसी किसी समान नागरिक संहिता की कोई जरूरत नहीं थी एआईएमपीएलबी की कानूनी टीम विधानसभा के समक्ष मसौदा पेश होने के बाद इसका अध्ययन करेगी और फिर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।"
वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज विधानसभा में यूसीसी बिल पेश कियास जिसके बाद सदन स्थगित कर दिया गया। इस विधेयक में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और संबंधित मामलों से संबंधित कानून शामिल हैं।
उत्तराखंड सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने आरोप लगाया कि यूसीसी लागू करने का कदम ध्रुवीकरण का प्रयास है।
असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा, "उत्तराखंड की सरकार ध्रुवीकरण के लिए यूसीसी को विधानसभा में लाई है, लेकिन इसे लागू करना उनके लिए संभव नहीं है। यह कहीं से भी व्यावहारिक नहीं है।"
इस बीच, असम सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है। उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मसौदा रिपोर्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2 फरवरी को इस संबंध में एक घोषणा की थी।
सीएम सरमा ने घोषणा की कि राज्य सरकार सक्रिय रूप से उत्तराखंड यूसीसी रिपोर्ट का आकलन कर रही है और आगामी बजट सत्र के दौरान बहुविवाह पर प्रतिबंध पर निर्णय होने की उम्मीद है।