पिछले 20 साल की तमाम उपलब्धियां खत्म हो चुकी है, देश छोड़ना दुखद : अफगान सांसद

By भाषा | Published: August 22, 2021 03:12 PM2021-08-22T15:12:28+5:302021-08-22T15:12:28+5:30

All achievements of last 20 years are over, sad to leave country: Afghan MP | पिछले 20 साल की तमाम उपलब्धियां खत्म हो चुकी है, देश छोड़ना दुखद : अफगान सांसद

पिछले 20 साल की तमाम उपलब्धियां खत्म हो चुकी है, देश छोड़ना दुखद : अफगान सांसद

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत द्वारा लोगों को वापस लाने के अभियान के तहत रविवार को हिंडन एयरबेस पर 167 लोगों के साथ आए अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा ने कहा कि ‘‘पिछले 20 साल की सारी उपलब्धियां खत्म हो चुकी है। अब कुछ नहीं बचा और सब शून्य हो चुका है।’’ खालसा और सीनेटर अनारकली होनरयार के साथ-साथ उनके परिवार रविवार सुबह भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सी-17 विमान से काबुल से यहां आए। सिख सांसद ने काबुल और अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर तालिबान के कब्जे के बाद उन्हें, उनके परिवार और उनके समुदाय के कई अन्य सदस्यों को बचाने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। सांसद ने दिल्ली के पास एयरबेस पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत हमारा दूसरा घर है। भले ही हम अफगान हैं और उस देश में रहते हैं, पर लोग अक्सर हमें हिंदुस्तानी कहते हैं।’’ अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और देश के ताजा घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर भावुक हुए खालसा कहा, पिछले 20 वर्षों की सभी उपलब्धियां खत्म हो चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे रोना आ रहा है। सब कुछ खत्म हो गया है। देश छोड़ना बहुत कठिन और दर्दनाक फैसला है। हमने ऐसी स्थिति नहीं देखी थी। सब कुछ छीन लिया गया। सब खत्म हो गया।’’ काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद पिछले सात दिनों के कष्टदायक अनुभव को याद करते हुए, खालसा ने कहा कि स्थिति ‘‘बहुत खराब’’ है। उन्होंने भारत सरकार से शेष फंसे हिंदुओं और सिखों को युद्धग्रस्त देश से बचाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति बहुत खराब है। हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हमारे जीवन को बचाने के लिए भगवान का शुक्र है क्योंकि हमें पिछले कुछ दिनों में कष्टदायक समय का सामना करना पड़ा। भारत सरकार से मेरी अपेक्षा है कि जो लोग अभी भी फंसे हुए हैं उन्हें वापस लाया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान हमें अफगानिस्तान में रहने के लिए कह रहे थे। उन्होंने हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की बात कही। चूंकि तालिबान के इतने सारे समूह हैं, हम नहीं जानते कि किससे बात करें और किस पर विश्वास करें। इसलिए हमने वहां से निकलने का फैसला किया क्योंकि स्थिति गंभीर है।’’ खालसा ने कहा कि लगभग सभी भारतीय और अफगान सिख काबुल और अन्य जगहों पर गुरुद्वारों में शरण ले रहे हैं। करीब 200 अन्य भारतीय और भारतीय मूल के लोग बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तालिबान द्वारा काबुल हवाई अड्डा जाते समय शनिवार को भारतीयों और अफगान सिखों तथा हिंदुओं का कुछ देर के लिए हिरासत में लेने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन सभी को दर्दनाक अनुभवों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हमें भारतीयों से अलग किया...हवाई अड्डे के हर गेट पर 5000-6000 लोग खड़े थे। शुरू में हम अंदर नहीं जा सके।’’ खालसा ने कहा, ‘‘तालिबान के एक शख्स ने हमें परेशान किया। फिर हम वहां से निकल गए और एक गुरुद्वारे में आ गए। हमारे भारतीय मित्रों को भी प्रताड़ित किया गया। यह समझना मुश्किल था कि कौन अच्छा इंसान था और कौन बुरा। फिर रात के करीब आठ बजे, हम एक वीआईपी प्रवेश स्थल से हवाईअड्डे में दाखिल हुए।’’ खालसा ने कहा कि अफगानिस्तान में मंदिर और गुरुद्वारे अभी सुरक्षित हैं।

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Web Title: All achievements of last 20 years are over, sad to leave country: Afghan MP

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