कश्मीर: नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एलएएचडीसी (लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद)-कारगिल चुनावों में कांग्रेस-एनसी गठबंधन की जीत के बाद कांग्रेस पार्टी को बधाई देते हुए कहा कि यह चुनावी नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी के समान हैं।
उमर अब्दुल्ला ने सोशल प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर किये एक पोस्ट में कहा, "बीजेपी को आज कारगिल में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी के साथ हमारे मजबूत गठबंधन को मिली इस जीत की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है।"
उन्होंने भाजपा को मिली चुनावी बार पर हमला करते हुए कहा, "यह परिणाम उन सभी ताकतों और पार्टियों को एक संदेश है, जिन्होंने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से जम्मू, कश्मीर और लद्दाख राज्य को लोगों की बिना सहमति के विभाजित किया है।"
अब्दुल्ला ने 'एक्स' पर उपराज्यपाल पद को निशाने पर लेते हुए कहा, "इन चुनाव परिणामों को भारतीय जनता पार्टी के लिए किसी चेतावनी से कम नहीं हैं। अब समय आ गया है कि राजभवन और अनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पीछे छुपना बंद करें और जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के लिए लोगों की इच्छा को स्वीकार करें। लोकतंत्र की मांग है कि लोगों की आवाज़ सुनी जाए और उनका सम्मान किया जाए।”
वहीं कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी जयराम रमेश ने एलएएचडीसी जीत का श्रेय राहुल गांधी की लद्दाख में हुई भारत जोड़ो यात्रा को दिया।कांग्रेस नेता रमेश ने एक्स पर कहा, "एलएएचडीसी के रुझान आ रहे हैं। कारगिल के चुनावों में भाजपा के लगभग पूर्ण सफाए की ओर है। यह राहुल गांधी द्वारा पिछले महीने लद्दाख में भारत जोड़ो यात्रा जारी रखने का सीधा प्रभाव है।"
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के अलावा इस जीत पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रमुख महबूब मुफ्ती ने कहा, "नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कारगिल में अपनी जीत दर्ज करते हुए देखकर खुशी हो रही है। यह 2019 के बाद पहला चुनाव है और लद्दाख के लोगों ने अपनी बात कही है।"
मालूम हो कि कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को 26 सीटों में से 22 सीटें (10 कांग्रेस और 12 नेशनल कॉन्फ्रेंस) मिली हैं, जबकि भाजपा ने सिर्फ 2 सीटें जीती हैं, वहीं 2 सीटें स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीती हैं। भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में यह पहला चुनाव था।