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अजमल असम के दुश्मन, भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए मैं अतिवादी हूं: हिमंत बिस्व सरमा

By भाषा | Updated: February 14, 2021 19:41 IST

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गुवाहाटी, 14 फरवरी एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल को ‘असम का दुश्मन’ करार देते हुए असम के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि वह भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए एक अतिवादी हैं।

पूर्वोत्तर जनतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के समन्वयक सरमा ने अजमल पर असम की संस्कृति के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह तबतक पहचान की राजनीति की बात करते रहेंगे जबतक लोकसभा सदस्य एवं विपक्षी नेता राजनीति परिदृश्य में रहेंगे।

आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूआईयूडीएफ) प्रमुख अजमल धुबरी सीट से लोकसभा सदस्य हैं और उनकी पार्टी के 14 विधायक विधानसभा में हैं जिनमें अधिकतर असम के अल्पसंख्यक बहुल सीटों से जीत कर आते हैं।

आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला करने के लिए यूआईयूडीएफ ने कांग्रेस एवं चार अन्य पार्टियों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया है।

सरमा ने कहा, ‘‘हां, मैं इस धरती पर भारतीय एवं असमी संस्कृति की रक्षा के लिए अतिवादी हूं। अगर किसी ने मुझे यह तमगा दिया है तो कृपया करके मेरा आभार एवं धन्यवाद उन लोगों तक पहुंचा दें।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या ध्रुवीकरण की राजनीति में वह और अजमल बराबर हैं तो असम के वित्तमंत्री ने कहा कि एआईयूडीएफ प्रमुख कुछ ऐसा कर रहे हैं जो ‘असमी संस्कृति के विपरीत है’ जबकि वह तो असमी संस्कृति की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं।

सरमा ने कहा, ‘‘मैं भारतीय राष्ट्रवाद की रक्षा करने का प्रयास कर रहा हूं। दो अतिवादी होने चाहिए, इसलिए अगर उत्तरी ध्रुव है तो दक्षिण ध्रुव भी होगा। अगर बदरुद्दीन अजमल गायब हो जाते हैं तो हम भी गायब हो जाएंगे। तब हम विकास की तथा कुछ और बात करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जबतक बदरुद्दीन अजमल होंगे, तबतक हम विकास एवं पहचान की राजनीति की बात करेंगे। अगर यह मुझे अतिवादी बनाता है तो मैं इससे खुश हूं।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अजमल बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों के मसीहा हैं? तो वरिष्ठ भाजपा नेता ने व्यक्तिगत रूप से उन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन अजमल के ‘संस्थान के तौर पर या जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं’ उसपर अपनी राय व्यक्त की।

सरमा ने कहा, ‘‘संभवत: यह असम की राजनीति का सबसे खतरनाक दौर है। वह (अजमल) कट्टरपंथी संगठनों से पैसा ला रहे हैं। समाज सेवा के नाम पर वह नेटवर्क बना रहे हैं जो असम की संस्कृति के हित में नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मैं उन्हें एक व्यक्ति नहीं बल्कि ऐसे लोगों का प्रतीक मानता हूं जो हमारे दुश्मन हैं।’’

126 सदस्यीय विधानसभा के आगामी चुनाव में भाजपा की प्रचार रणनीति के बारे में पूछे जाने पर असम सरकार में मंत्री सरमा ने कहा कि पार्टी चुनाव समिति को अबतक अंतिम रूप नहीं दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रचार करने का उनकी अपनी ‘थीम’ है।

सरमा ने कहा, ‘‘प्रचार का मेरा व्यक्तिगत थीम सांस्कृतिक द्वंद्व है। जाती-माटी-भेटी एक रक्षात्मक बयान था। अब, समय अगले पांच साल के लिए आक्रमक होने का है, संस्कृति की जीत होनी चाहिए।’’

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 के चुनाव में भाजपा का नारा बांग्लादेशी घुसपैठियों से असमी लोगों की जाति-माटी-भेटी की रक्षा था।

सरमा ने कहा, ‘‘यह रुख हमारे विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन कार्यों के अनुरूप भी होगा। मैंने वर्ष 2026 तक के लिए अपनी रणनीति तैयार की है। यह स्वस्थ क्षेत्रवाद और पूर्ण राष्ट्रवाद की होगी। मजबूत राष्ट्रवाद के साथ सकारात्मक क्षेत्रवाद होना चाहिए।’’

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित कराने पर वरिष्ठ भाजपा नेता कहा कि अब राज्य में यह चुनावी मुद्दा नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब असम में अहम मुद्दा है कि लड़कों को ‘बुलेट मिलेगा या ‘स्प्लेंडर’। लोग असम सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाने में व्यस्त हैं कि उसने लड़कियों को स्कूटी दी और अब लड़कों को ‘बुलेट’ मिलेगा या ‘स्प्लेंडर’ मिलेगा।’’

सरमा ने कहा, ‘‘कांग्रेस देश से पीछे है। अगर देश ने 50 साल की प्रगति की है तो कांग्रेस उससे 50 साल पीछे है। वह उन मुद्दों को उठा रही है जो पुराने हैं और जो पहले ही बेकार हो चुके हैं। हम नए मुद्दों के साथ आएंगे जो युवा लोगों के दिमाग में ताजे हैं।’’

उल्लेखनीय है कि असम सरकार के अधीन शिक्षा विभाग की एक योजना के तहत उच्च माध्यमिक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी लाने वाली हजारों लड़कियों को स्कूटी दी गई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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