Coronavirus: एम्स के डॉक्टर ने दी चौंकाने वाली जानकारी, इसलिए भी देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले, बढ़ रही मौतों की संख्या

By गुणातीत ओझा | Published: April 24, 2020 08:21 AM2020-04-24T08:21:46+5:302020-04-24T08:25:21+5:30

एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सामाजिक हनन के डर से अधिकांश लोग कोरोना की जांच से बच रहे हैं। जिसके चलते जांच में देरी होती है और मरीज का इलाज देर से शुरू होने पर उसकी जान पर बन आती है।

aiims director dr randeep guleria said stigmatisation discouraging people from coming for coronavirus testing | Coronavirus: एम्स के डॉक्टर ने दी चौंकाने वाली जानकारी, इसलिए भी देश में बढ़ रहे कोरोना के मामले, बढ़ रही मौतों की संख्या

एम्स के डॉक्टर ने कहा- लोगों में छिपे डर के चलते जांच में हो रही देरी की वजह से भी बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले।

Highlightsकोरोना वायरस के प्रसार की एक वजह इसके बारे में फैली भ्रांतियां भी है। लोग समाज से बहिष्कृत होने के डर से बीमारी छिपा रहे हैं और इसका बुरा परिणाम देखने को मिल रहा है।एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सामाजिक हनन के डर से अधिकांश लोग कोरोना की जांच से बच रहे हैं।

नई दिल्ली।कोरोना वायरस के प्रसार की एक वजह इसके बारे में फैली भ्रांतियां भी है। लोग समाज से बहिष्कृत होने के डर से बीमारी छिपा रहे हैं और इसका बुरा परिणाम देखने को मिल रहा है। एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सामाजिक हनन के डर से अधिकांश लोग कोरोना की जांच से बच रहे हैं। जिसके चलते जांच में देरी होती है और मरीज का इलाज देर से शुरू होने पर उसकी जान पर बन आती है। उन्होंने कहा कि मरीज के बीमार होने की पुष्टि जल्दी हो जाए तो उसके उचित इलाज देकर आसानी से बचाया जा सकता है।

डाक्टर गुलेरिया ने कहा कि 80 फीसद कोरोना के  मामलों में सिर्फ दवाओं से ही मरीज को ठीक कर दिया जाता है। 15 फीसद मामलों में दवाओं के साथ ऑक्सीजन की जरूरत होती है। 5 फीसद मरीज ही ऐसे गंभीर होते हैं जिन्हें वेंटीलेटर की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले 90 से 95 फीसद मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हो जा रहे हैं। जांच में देरी फिर इलाज में देरी वाले मामलों में मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि एम्स में कोरोना वायरस के बहुतायत मामले सामने आए है। उन्होंने कहा कि जो मरीज इस बीमारी से लड़कर ठीक हो जा रहे हैं, उनका सम्मान होना चहिए। उन्होंने कहा कि कई दिनों तक अकेले में रहना इतना आसाना नहीं हैं, वो भी जब आपके आसपास हजमत सूट पहने सिर्फ डॉक्टर और नर्स ही दिख रहे हों।  

उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह बीमारी इतनी खतरनाक नहीं है, लेकिन लोग जांच कराने में देरी कर के इसे खतरनाक बना दे रहे हैं। यही कारण है कि मरीजों का सही समय से इलाज न हो पाने के चलते मौत की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीज भेदभाव का सामना कर रहे हैं, जो कि सरासर गलत है। कोरोना जैसे लक्षण होने पर भी लोग सामाजिक बहिष्कार के डर के चलते जांच कराने सामने नहीं आ रहे। वे अस्पताल तभी पहुंचते हैं जब उनकी तबियत काफी बिगड़ चुकी होती है।

उन्होंने कहा कि अब जरूरत इस बात की है कि हम लोग उन मरीजों का पता लगाएं जो झिझक के कारण आगे नहीं आ रहे हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि संक्रमित होने वाले के बारे में भय और दहशत का माहौल न बनाएं।

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