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कोविड से मां की मौत के बाद सात साल के अंकुश पर आ गयी परिवार को पालने की जिम्मेदारी

By भाषा | Updated: May 25, 2021 00:17 IST

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बलिया (उत्तर प्रदेश), 24 मई जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र का दलनछपरा गांव में कोविड ने एक परिवार के ही चार बच्चे अनाथ कर दिये और महज सात साल के खेलने व पढ़ने की आयु में अंकुश पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है ।

अंकुश को कोविड से शिकार बनी अपनी माँ की तेरहवीं भी करनी है तथा अपने मासूम तीन भाई व बहनों की परवरिश भी ।

कोविड के कहर ने जिले में बहुतेरे परिवार के हँसते खेलते माहौल को तबाह कर दिया है । बिहार की सरहद से सटे जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित दलनछपरा गांव के अंकुश के पिता संतोष पासवान की तीन साल पहले कैंसर के चलते मौत हो गई थी, पिछले दिनों अंकुश की माँ पूनम देवी भी कोविड की शिकार हो गयी ।

माँ की असामयिक मृत्यु के बाद परिवार के काजल, रूबी, रेनू उर्फ सुबी और अंकुश अनाथ हो गए हैं । सभी पांच साल से लेकर दस साल उम्र के हैं, सात साल के अंकुश पर खेलने की उम्र में ही अपनी मां के श्राद्ध कर्म से लेकर परिवार की परवरिश तक की बड़ी जिम्मेदारी निभाने का बोझ अचानक आ गया है । अंकुश अब पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ उठाने को तैयार है, इतनी मासूम उम्र में भी उसके हौसले बुलंद हैं ।

उसका कहना है कि हम लोगों से चंदा मांगकर अपनी आगे की पढ़ाई करेंगे और पुलिस बनेंगे । हालांकि अंकुश की बहनों का कहना है कि अब सब कुछ भगवान भरोसे है । वह कहती हैं कि अब हम लोग दूसरे के खेतों में मजदूरी कर गुजर बसर करेंगे ।

जिलाधिकारी अदिति सिंह से इस मामले में जिला प्रशासन के कदम को लेकर पूछा गया , लेकिन उन्होंने कोई जबाब नही दिया । हालांकि जिला प्रशासन द्वारा शाम को जारी बयान में बताया गया है कि चारों अनाथ बच्चों की परवरिश उनकी दादी फुलेश्वरी देवी विधवा पेंशन से मिलने वाली धनराशि से करती हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश में पात्र महिलाओं को प्रतिमाह विधवा पेंशन के रूप में महज 500 रुपए प्राप्त होते हैं।

मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा के निर्देशानुसार महिला कल्याण विभाग की टीम दलनछपरा पहुंच कर बच्चों की दादी फुलेश्वरी देवी से मिली। फुलेश्वरी रेनू व अंकुश को शेल्टर होम भेजने के लिए तैयार हैं। इसके बाद दो बच्चों को विभाग द्वारा संचालित स्पॉन्सरशिप योजनान्तर्गत लाभान्वित किये जाने के लिए महिला कल्याण विभाग की टीम ने फार्म भरवा लिया है।

बैरिया के उप जिलाधिकारी प्रशांत नायक ने बताया कि यह प्रकरण उनकी जानकारी में है । उन्होंने बताया कि इन बच्चों के परिवार का कोई और सदस्य देखभाल की जिम्मेदारी लेता है तो इनके भरण पोषण के लिए हर महीने दो हजार रुपये छात्रवृत्ति के रूप में 18 वर्ष की उम्र होने तक दिये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यदि कोई जिम्मेदार नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति बाल संरक्षण केंद्र के माध्यम से बच्चों को शेल्टर होम में रखा जाएगा।

गौरतलब है कि इस गांव में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद का ससुराल है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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