बिहार: स्कूलों में पढ़ाने के बाद अध्यापकों द्वारा जातीय जनगणना कराने को लेकर आहत हैं शिक्षक, किसी टीचर ने कविता के जरिए बयां किया अपना दुख
By एस पी सिन्हा | Published: January 7, 2023 09:42 PM2023-01-07T21:42:21+5:302023-01-07T21:56:56+5:30
आपको बता दें कि टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। ऐसे में संघ ने चिट्ठी लिख कर कहा है कि शिक्षकों से जाति आधारित गणना कराने के लिए स्कूल के शिक्षण कार्य से मुक्त किया जाए।
पटना:बिहार में पढ़ाने के साथ-साथ कभी जनगणना, पशु गणना, मतगणना सहित कई कार्य लिए जाने से शिक्षक परेशान हैं। उनके मूल कार्यों के अलावे अतिरिक्त कार्य में लगा दिए जाने से शिक्षक इसलिए आहत हैं क्योंकि उनसे कहा जा रहा है कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाना है और छुट्टी के बाद मोहल्लों में जाकर जाति गणना करनी है।
जातीय गणना कार्य को लेकर क्या बोली एक शिक्षिका
जातीय गणना कार्य में लगी एक शिक्षिका ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हमलोगों से कहा गया है कि बच्चों को स्कूल में पूरे समय पढ़ाना भी है और उसके बाद जाति आधारित गणना भी करनी है। यानी सुबह साढ़े 9 बजे से 4 बजे तक बच्चों को पढ़ाना है और उसके बाद गणना कार्य करना है। यह बहुत मुश्किल काम है।
इस पर बोलते हुए शिक्षिका ने आगे कहा है कि बेहतर हो कि हम लोगों को किसी एक काम में लगाया जाए ताकि हम लोग काफी लगन से इसे कर सकें। उन्होंने कहा है कि सरकार को चाहिए कि हम लोगों को एक काम में लगाए।
मामले में टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ ने सीएम को चिट्ठी भी लिखा है
आपको बता दें कि इनका दर्द इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि कई शिक्षकों को जाति गणना कार्य के लिए जो वार्ड एलॉट किए गए हैं वे स्कूल से काफी दूर भी है। ऐसे में स्कूली ड्यूटी के अलावा जाति आधारित गणना पर यह शिक्षकों का वर्ग नाराज है।
ऐसे में टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक संघ ने इसको लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कि शिक्षकों से जाति आधारित गणना कराने के लिए स्कूल के शिक्षण कार्य से मुक्त किया जाए। इसबीच किसी शिक्षक ने अपना दर्द कविता के माध्यम से बयां किया है, जो अब वायरल हो रहा है।
शिक्षिक द्वारा लिखा हुआ कविता हो रहा है वायरल
गौर करने वाली बात यह है कि सोशल मीडिया पर किसी शिक्षक का एक कविता जमकर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि कविता में शिक्षक ने अपने दर्द को बयान किया है। ऐसे में शिक्षिक ने कविता में लिखा है
"हे प्रगणक ! ठंड से मत डर गणना कर भवन गिन मकान गिन इंसान गिन सर्दी-गर्मी क्या है ? माया है ' माया महागठनी .. । माया से ऊपर उठ सर्दी से कोई नहीं मरता सर्दी से यदि इंसान मरते तो साईबेरिया में कोई जिंदा नहीं बचता। हे वीर प्रगणक !
तू भी ठंड में मरने से मत डर अपने रक्त में उबाल ला अस्थि-मज्जा को धारदार बना, दधीचि बन अपने अस्थियों का बज्र बना पुष्प की जिन जनों के पथों पर बिछने की अभिलाषा है, उनमें तेरा भी नाम होगा। संघ के भरोसे मत बैठ!
संघ खुद तेरे भरोसे बैठा है गीजर में नहाये ब्लोअर के मंद-मंद बहते समीर वाले कमरे में बैठे अधिकारियों ने सायं चार बजे के बाद गणना का आदेश दिया है उनका आभार मान उन्होंने शहादत का अवसर प्रदान किया है कर्तव्य पथ पर शहादत सबके नसीब में नहीं है शीत निद्रा केवल श्रीहरि के हिस्से है तू इससे बाहर निकल चल, गणना कर। घबरा मत।
जोश और जुनून जगा देशभक्ति के तराने सुन वीर- रस की कविताएं गा तेरे पूर्वजों ने हिमयुग झेला है तुझसे यह सर्दी नहीं झेली जाती ? जबकि विषधर सरीसृप भी बिलों में दुबके पड़े हैं। तू बाहर निकल खेतों को नाप ले मेड़ों को कुचल डाल।
मत भूल, तू मास्टर है तू भले हाड़-मांस का बना है लेकिन सरकार तुझे जंगरोधी इस्पात से बना मानती है सरकार की राजनैतिक महात्वाकांक्षा पूर्त्ति का तू सबसे सुयोग्य साध्य है। हर एक सरकारी गैरसरकारी योजना तेरे भरोसे है सरकार और समाज के भरोसे पर खड़ा उतर एक रानी ने अपनी नंग-धड़ंग जनता को उपदेश दिया था, 'रोटी नहीं मिलती तो केक खा!' तू भी ठंड लगे तो गाना गा ! तू प्रेमचंद का हल्कू नहीं है पूस की रात का शोक मत मना चल, गणना कर, भवन गिन, मकान गिन, इंसान गिन।"