सोनभद्र मामले पर आदित्यनाथ की बड़ी कार्रवाई: जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक हटाये गये, कई पर मुकदमे

By भाषा | Published: August 4, 2019 08:07 PM2019-08-04T20:07:21+5:302019-08-04T20:07:21+5:30

गत 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में करीब 90 बीघा जमीन को लेकर हुए विवाद में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया के पक्ष की तरफ से हुई गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 28 अन्य जख्मी हो गये थे। 

Adityanath's big action on Sonbhadra case: District Magistrate and Superintendent of Police were removed, many sued | सोनभद्र मामले पर आदित्यनाथ की बड़ी कार्रवाई: जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक हटाये गये, कई पर मुकदमे

सोनभद्र मामले पर आदित्यनाथ की बड़ी कार्रवाई: जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक हटाये गये, कई पर मुकदमे

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में विवादित जमीन को लेकर पिछले महीने हुए सामूहिक कत्लेआम के मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को हटाते हुए प्रकरण से जुड़े कई अफसरों और कर्मचारियों पर मुकदमे दर्ज करने के आदेश दिये।

मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सोनभद्र मामले में राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव और वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित अलग—अलग समितियों की कल मिली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए सोनभद्र के जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक सलमान जफर ताज पाटिल को हटाते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गयी है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 17 दिसम्बर 1955 को इस जमीन को आदर्श कृषि सहकारी समिति के नाम गलत तरीके से अंतरित करने का आदेश पारित करने वाले तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण मालवीय, अगर जीवित हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं। इसके अलावा वर्ष 1989 में राबट्र्सगंज के तत्कालीन परगनाधिकारी अशोक कुमार श्रीवास्तव और तहसीलदार जयचंद सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं।

योगी ने बताया कि वर्ष 1989 में गलत तरीके से सोसाइटी के नाम दर्ज जमीन को अपने नाम से दर्ज कराने के मामले में आईएएस अफसर प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा और आईएएस अधिकारी भानुप्रताप शर्मा की पत्नी विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही शुरू की गयी है।

उन्होंने बताया कि आदर्श कृषि सहकारी समिति के जीवित सदस्यों पर ग्राम सभा की जमीन हड़पने के आरोप में भारतीय दण्ड विधान की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं। इसके अलावा तत्कालीन उपजिलाधिकारी घोरावल, घोरावल के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी समेत इस विवाद से जुड़े सभी घटनाक्रमों से सम्बन्धित ऐसे अफसरों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि सोनभद्र के सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार को निलम्बित कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं। इसके अलावा घोरावल के उपजिलाधिकारी विजय प्रकाश तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। साथ ही पूर्व में निलम्बित घोरावल के पुलिस क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह, उपनिरीक्षक लल्लन प्रसाद यादव, निरीक्षक अरविंद मिश्र और बीट आरक्षी सत्यजीत यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये गये हैं।

योगी ने बताया कि अदालत के समुचित आदेश के बिना विवादित जमीन को खाली कराने के लिये ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया के पक्ष से एक लाख 42 हजार रुपये जमा कराने पर तत्कालीन अपर पलिस अधीक्षक अरुण कुमार दीक्षित के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और मुकदमा दर्ज करने और कृषि सहकारी समितियां—वाराणसी के सहायक निबन्धक विजय कुमार अग्रवाल को निलम्बित करते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि घोरावल के पुलिस क्षेत्राधिकारी विवेकानंद तिवारी, अभिषेक कुमार सिंह, राहुल मिश्र, निरीक्षक मूलचंद चौरसिया, आशीष कुमार सिंह, शिव कुमार मिश्र, पदमकांत तिवारी, मुख्य आरक्षी सुधाकर यादव, कन्हैया यादव और आरक्षी प्रमोद प्रताप के खिलाफ पक्षपातपूर्ण निरोधात्मक कार्रवाई करने के आरोप में विभागीय कार्यवाही करने के आदेश दिये गये हैं।

योगी ने बताया कि मुकदमे दर्ज कर इस पूरे मामले की जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) करेगी। एसआईटी की अध्यक्षता उप महानिरीक्षक-एसआईटी जे. रवीन्द्र गौड़ करेंगे। एसआईटी में अपर पुलिस अधीक्षक अमृता मिश्रा और तीन पुलिस इंस्पेक्टर भी शामिल होंगे। एसआईटी के महानिदेशक आर.पी. सिंह इस टीम के काम की निगरानी करेंगे।

उन्होंने बताया कि तत्कालीन तहसीलदार राबट्र्सगंज द्वारा 17 दिसम्बर 1955 को पारित आदेश के बाद उससे सम्बन्धित सभी कार्यवाहियों को 'अविधिक' घोषित करते हुए पूरी जमीन ग्रामसभा में नियमानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत दर्ज होने के बाद ग्रामीणों को नियमानुसार कृषि कार्य के लिये पट्टे पर दिये जाने के आदेश भी दिये गये हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विवाद की जड़ 10 अक्टूबर 1952 को आदर्श कृषि सहकारी समिति के गठन से पड़ी थी। बिहार से कांग्रेस के तत्कालीन विधान परिषद सदस्य महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह और दुर्गा प्रसाद राय ने अपने 12 नातेदारों के साथ मिलकर गठित की थी। सिंह ने वर्ष 1955 में उम्भा और सपही गांव में ग्राम पंचायत की 1300 से अधिक बीघा जमीन को इस सोसायटी के नाम पर तहसीलदार मालवीय से साठगांठ करके गलत तरीके से दर्ज कराया था।

सोसाइटी से जुड़े लोग सोनभद्र के नहीं बल्कि बिहार के निवासी थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उस गलत काम के परिणामस्वरूप 1989 में सोसाइटी की जमीन को व्यक्तिगत नामों पर दर्ज किया गया। ये सारे विवाद यहीं से खड़े हुए। इन दोनों गांवों के रहने वाले लोग खासकर अनुसूचित जनजाति से जुड़े लोगों को वर्ष 2017 में इस जमीन को बेचे जाने का पता लगा तो विवाद बढ़ गया, जिसका दुष्परिणाम 17 जुलाई 2019 को घोरावल में सपा से जुड़े यज्ञदत्त के हाथों दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में सामने आया।

मालूम हो कि गत 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में करीब 90 बीघा जमीन को लेकर हुए विवाद में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया के पक्ष की तरफ से हुई गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 28 अन्य जख्मी हो गये थे। 

Web Title: Adityanath's big action on Sonbhadra case: District Magistrate and Superintendent of Police were removed, many sued

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