रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने किया आर्टिकल 370 हटाने का समर्थन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 6, 2019 12:52 IST2019-08-06T12:52:58+5:302019-08-06T12:52:58+5:30
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 खत्म किया। आज जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में पेश हुआ। इस मामले पर लोकसभा में चर्चा जारी है...

फोटो क्रेडिट: ANI
रायबरेली से कांग्रेस विधायक आदिति सिंह ने आर्टिकल 370 हटाए जाने पर बयान दिया है। अदिति ने कहा कि मैं पूरी तरह से इस फैसले के सपोर्ट मे हूं। यह जम्मू कश्मीर को मेनस्ट्रीम से जोड़ने का काम करेगा। यह ऐतिहासिक फैसला है।
इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। एक विधायक के नाते मैं इस फैसले का स्वागत करती हूं। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 खत्म किया। अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव जब राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया तो लोगों ने समर्थन किया तो विरोध भी किया। लेकिन सरकार के इस फैसले पर समर्थकों की संख्या ज्यादा रही। इस मसले पर कांग्रेस सदन के अंदर ज्यादा मजबूत नजर नहीं आई। शाम होते-होते पार्टी इस मसले पर बंटी हुई नजर आई। कांग्रेस के कई नेताओं ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया।
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाला आर्टिकल 370 खत्म किया। आज जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में पेश हुआ। इस मामले पर लोकसभा में चर्चा होगी। बता दें कि आर्टिकल 370 के खात्मे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है। इस चर्चा के दौरान लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी बहस हुई।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र पर नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया, जिसपर गृह मंत्री अमित शाह ने ऐतराज जताया। शाह ने पूछा- आप बताएं कि कौन सा नियम तोड़ा गया। अधीर बोले- पूरे राज्य को जेलखाना बना दिया, पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल में बंद कर दिया गया है।
अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि आप (बीजेपी) पीओके के बारे में कुछ सोच भी रहे हैं, आपने सभी नियमों का उल्लंघन किया और एक राज्य को रातों रात केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया।
अमित शाह के एक जवाब में उनसे सवाल करते हुए अधीर रंजन ने कहा कि आप कहते हैं कि यह एक आंतरिक मामला है लेकिन 1984 से यूएन द्वारा इसकी निगरानी की जा रही है। क्या ये आंतरिक मामला है? हमने शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया क्या वह आंतरिक मामला है या द्विपक्षीय मामला है?