पटना: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक सर्वे में ऑनलाइन गेम खेलने के मामले में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सर्वे में आयोग ने बताया ने देश भर में ऑनलाइन गेम खेलने में बिहार पहले स्थान पर है। प्रदेश में करीब 79 फीसदी किशोर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। जिसमें 7 साल से लेकर 17 साल के बच्चे सबसे अधिक है। वहीं सर्वे ने आयोग ने ये भी खुलासा किया है कि बिहार के 79 फीसदी बच्चे 24 घंटे में से करीब 8 घंटा समय फोन पर गेम खेलने में बिताते हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जुलाई से अगस्त 2024 में बिहार के दो लाख बच्चों पर सर्वे किया। जिसमें पता चला कि प्रदेश के बच्चे ऑनलाइन गेमिंग में अपना समय सबसे अधिक बिताते हैं। सर्वे में बिहार पहले स्थान पर तो वहीं दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र है। इन दोनों राज्यों में 75 फीसदी बच्चे ऑनलाइन गेम खेलते हैं।
बिहार में सर्वे के दौरान आयोग ने करीब दो लाख बच्चों से प्रश्नोत्तरी भरवाया। इसमें बच्चों ने अपनी बातों को रखा। करीब दो लाख बच्चों में से 79 हजार बच्चों ने नियमित हर रोज सात से आठ घंटे गेम खेलने की बात को स्वीकारी। वहीं इन बच्चों में से अधिकतर बच्चे ने रात में गेम खेलने की बात लिखी। बच्चे रात में गेम खेलना इसलिए पसंद करते हैं ताकि उन्हें कोई तंग ना करे।
वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों में ऐसे ही सर्वे कर रिपोर्ट तैयार कर के उसे राज्य बाल सर्वेक्षण आयोग को सौंपा है। आयोग की रिपोर्ट ना सिर्फ चौंकाने वाले हैं बल्कि अभिभावकों को परेशान भी करने वाला है।
आयोग ने ब्लू व्हेल चुनौती, चोकिंग गेम, गैलर चुनौती, दालचीनी चुनौती, टाइड पॉड चुनौती, अग्नि परी, मरियम का खेल, पांच उंगली पट्टिका, काटने की चुनौती, नमक और बर्फ चुनौती, चार्ली चार्ली आदि ऑनलाइन गेमों को खतरनाक बताया है।
गेम में असफलता के कारण 50 फीसदी बच्चे तनाव में रहते हैं। वहीं लगातार बैठने से कमर, सिर और कंधा दर्द की समस्या होती है। ऑनलाइन गेमिंग की लत से बच्चों को गलत संगत में ले जा रहे। 60 फीसदी से अधिक बच्चे अभिभावकों के हजारों रुपये ऑनलाइन गेमिंग के चक्कर में बर्बाद कर चुके हैं।
वहीं कई बच्चे ऐसे हैं जो अपने साथी से कर्ज लेकर गेम खेल रहे हैं। राज्य में ऐसे कर्जे में डूबे हुए किशोरों की संख्या 45 फीसदी से अधिक है।