नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने शनिवार को राज्यपाल और उपराज्यपाल कार्यालय को लेकर बड़ा बयान दिया। उनका कहना है कि राज्यपालों और एलजी कार्यालयों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह एक औपनिवेशिक खुमारी है। चड्ढा ने कहा, "गैर-बीजेपी शासित राज्यों में यह चलन देखा जा रहा है कि एलजी या राज्यपाल के जरिए सरकारों/मुख्यमंत्रियों के अधिकार छीने जा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हाल ही में तमिलनाडु में राज्यपाल ने कहा कि विधायक (सेंथिल बालाजी) मंत्री बनने के लायक नहीं हैं। संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि सीएम के पास कैबिनेट चुनने का पूरा अधिकार है। यह प्रवृत्ति देश के लिए खतरनाक है। मुझे लगता है कि राज्यपालों और एलजी कार्यालयों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह एक औपनिवेशिक खुमारी है।"
इससे पहले शुक्रवार को राघव चड्ढा ने ट्वीट करते हुए लिखा था, "अनिर्वाचितों के अत्याचार का एक और मामला। तमिलनाडु के राज्यपाल ने एकतरफा टिप्पणी की है कि एक विधायक मंत्री के रूप में जारी नहीं रह सकता है - ऐसा कुछ जो अनसुना है। संवैधानिक रूप से मंत्रिपरिषद मुख्यमंत्री का एकमात्र विशेषाधिकार है, राज्यपाल का नहीं।"
सिलसिलेवार ट्वीट कर उन्होंने लिखा था, "पंजाब, दिल्ली, बंगाल और तमिलनाडु में हाल की घटनाओं से पता चला है कि कुछ राज्यपाल जरूरत से ज्यादा अपनी सीमा लांघ रहे हैं। पंजाब में राज्यपाल ने विधानसभा का बजट सत्र बुलाने से इनकार कर दिया था और इस आशय के कैबिनेट के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। दिल्ली में एलजी ने लगातार और व्यवस्थित रूप से शासन को पंगु बना दिया है और चुनी हुई सरकार को पंगु बना दिया है।"
आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा ने ये भी लिखा, "हम गैर-बीजेपी राज्यों में जो देख रहे हैं वह एक खतरनाक प्रवृत्ति है। राज्यपाल कानून से ऊपर नहीं हैं। भारत के लोग अपनी सरकारों का चुनाव करते हैं और राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे होते हैं। अनिर्वाचित राज्यपालों की निरंकुशता अनियंत्रित नहीं होनी चाहिए।"