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Aadhaar Card Offline Verification: बिना इंटरनेट होगा आधार कार्ड का वेरिफिकेशन, धोखाधड़ी से रहेंगे सेफ; जानें प्रोसेस

By अंजली चौहान | Updated: December 1, 2025 05:34 IST

Aadhaar Card Offline Verification: यूआईडीएआई ने अब अपनी ऑफलाइन सत्यापन प्रणाली शुरू की है जो नियमित पहचान जांच के लिए एक स्मार्ट, सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर रही है।

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Aadhaar Card Offline Verification: अपने जरूरी दस्तावेजों का वेरिफिकेशन कराना आज के समय में बहुत जरूरी काम है। आधार कार्ड पर पर्सनल जानकारी को सुरक्षित रखना और भी जरूरी हो गया है। इसलिए, UIDAI ने अब अपना ऑफलाइन वेरिफिकेशन सिस्टम लॉन्च किया है जो रेगुलर आइडेंटिटी चेक के लिए एक स्मार्ट और सुरक्षित विकल्प के तौर पर उभर रहा है। इससे पहले, पहचान के डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होने वाले आधार कार्ड अक्सर फोटोकॉपी या डिजिटल स्क्रीनशॉट के जरिए शेयर किए जाते थे। ये ऐसे तरीके हैं जिनसे लोगों की आइडेंटिटी चोरी हो सकती है।

आधार ऑफलाइन वेरिफिकेशन क्या है?

ऑफलाइन वेरिफिकेशन एक सुरक्षित तरीका है जिससे लोग अपना पूरा आधार नंबर या सेंसिटिव पर्सनल डिटेल्स शेयर किए बिना अपनी पहचान साबित कर सकते हैं। फिजिकल कार्ड देने के बजाय, यूज़र डिजिटली साइन की हुई फ़ाइल या सुरक्षित QR कोड दिखा सकते हैं। इस डेटा में वेरिफिकेशन के लिए जरूरी सिर्फ कम से कम डेमोग्राफिक जानकारी होती है और इसे बदला या गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

वेरिफिकेशन फाइल या QR कोड डिजिटली साइन किया हुआ होता है, जिससे असली होना पक्का होता है और छेड़छाड़ नहीं होती। इसमें कोई बायोमेट्रिक्स या डेटाबेस लुकअप शामिल नहीं होता, जिसका मतलब है कि आपकी आधार डिटेल्स पूरी तरह से आपके कंट्रोल में रहती हैं।

इसे कहाँ इस्तेमाल किया जा सकता है?

ऑफलाइन तरीका रोज़मर्रा की उन स्थितियों में तेजी से काम का होता जा रहा है जहाँ आइडेंटिटी प्रूफ रेगुलर मांगा जाता है। इसमें शामिल हैं:

होटल चेक-इन

कॉन्सर्ट, इवेंट और गैदरिंग में एंट्री

वर्कप्लेस या रेजिडेंशियल सोसाइटी में एक्सेस

रिटेल या सर्विस-बेस्ड आइडेंटिटी चेक

फोटोकॉपी जमा करने के बजाय, जिन्हें शायद बिना सहमति के डुप्लीकेट या स्टोर किया जा सकता है, लोग एक सिक्योर QR कोड या डिजिटल फाइल शेयर कर सकते हैं जो इस्तेमाल के बाद एक्सपायर हो जाती है। 

इससे प्रोसेस न केवल सुरक्षित होता है बल्कि यूजर्स और वेरिफाई करने वाली अथॉरिटीज दोनों के लिए तेज भी होता है।

यह फाइनेंशियल फ्रॉड को क्यों कम करता है?

आइडेंटिटी थेफ़्ट अक्सर आधार की फोटोकॉपी के गलत हाथों में पड़ जाने जैसी आसान चीज़ से शुरू होती है। फ्रॉड करने वालों ने ऐसी जानकारी का इस्तेमाल लोन के लिए अप्लाई करने, बिना इजाज़त अकाउंट खोलने, SIM कार्ड लेने या पर्सनल कम्युनिकेशन तक एक्सेस पाने के लिए किया है। ऑफ़लाइन वेरिफ़िकेशन इस रिस्क को काफ़ी कम कर देता है। क्योंकि सिर्फ़ कुछ, नॉन-सेंसिटिव जानकारी ही शेयर की जाती है और क्योंकि शेयर किए गए डेटा का फ़ाइनेंशियल सर्विस के लिए दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, इसलिए क्रिमिनल्स के पास ऐसा कुछ नहीं बचता जिसका इस्तेमाल फ्रॉड वाले ट्रांज़ैक्शन के लिए किया जा सके।

आधार ऑफ़लाइन वेरिफ़िकेशन को तेज़ी से अपनाना भारत में प्राइवेसी-फ़ोकस्ड डिजिटल आइडेंटिटी प्रैक्टिस की ओर एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। यूज़र्स को यह कंट्रोल देकर कि वे कौन सा डेटा शेयर करें और फोटोकॉपी सर्कुलेट करने की ज़रूरत को खत्म करके, यह तरीका सुविधा से समझौता किए बिना पर्सनल सिक्योरिटी को मज़बूत करता है।

जैसे-जैसे ज़्यादा ऑर्गनाइज़ेशन इस तरीके को अपनाएंगे, यह पूरे देश में सुरक्षित, बिना किसी परेशानी के आइडेंटिटी वेरिफिकेशन का नया स्टैंडर्ड बन सकता है।

टॅग्स :आधार कार्डयूआईडीएआई
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