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अमरनाथ यात्रा में 8 से 10 लाख यात्री हो सकते हैं शामिल, सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध लेकिन चिंताएं भी कम नहीं

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: May 16, 2023 16:20 IST

अमरनाथ यात्रा को लेकर जो प्रचारित किया जा रहा है उसे गौर से देखें तो 8 से 10 लाख से अधिक को इस यात्रा में शामिल होने की खातिर न्यौता दिया जा रहा है। आधिकारिक तौर पर संख्या को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। सरकार इसे पर्यटन के रूप में लेना चाहती है।

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ठळक मुद्देएक जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है8 से 10 लाख के करीब श्रद्धालु शामिल हो सकते हैंश्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए सवाल भी उठ रहे हैं

जम्मू: एक जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है। पहली बार यात्रा 62 दिनों की होगी। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन की यह दूसरी अमरनाथ यात्रा है। सरकार इसे पर्यटन के रूप में लेना चाहती है ताकि अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों के बीच कश्मीर की खूबसूरती का प्रदर्शन किया जा सके। इसी कारण अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार डा. नीतिन सेन गुप्ता की रिपोर्ट को एक बार फिर ठंडे बस्ते में डाल 8 से 10 लाख के करीब श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने का न्यौता देने के साथ ही उनके लिए प्रबंध किए जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अमरनाथ यात्रा भी अजीब दास्तान बन गई है। आधिकारिक तौर पर संख्या को लेकर कुछ नहीं कहा जाता है। पर जो आंकड़ा प्रतिदिन श्रद्धालुओं को भिजवाने का तय किया गया है वह ही इस संख्या को 8.60 लाख तक पहुंचाता है। अर्थात प्रतिदिन 20 हजार श्रद्धालुओं को इसमें शामिल होने की अनुमति दी जानी है जिसमें हेलीकाप्टर से शिरकत करने वाले नहीं गिने गए हैं।

इन आंकड़ों का मजेदार तथ्य यह है कि अक्सर इस यात्रा में कश्मीर से भी हजारों स्थानीय निवासी शामिल होते हैं। कश्मीर में पहले से ही घूम रहे लोगों के साथ ही सुरक्षाकर्मी भी इसमें शामिल होते रहते हैं लेकिन उनके आंकडे़ को सरकार सरकारी तौर पर शामिल करने की इच्छुक नहीं रही है। अमरनाथ यात्रा को लेकर जो प्रचारित किया जा रहा है उसे गौर से देखें और पढ़ें-सुनें तो 8 से 10 लाख से अधिक को इस यात्रा में शामिल होने की खातिर न्यौता दिया जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन को कि उम्मीद है कि यात्रा में इतने लोग अवश्य शामिल होंगें और उनमें से आधों को पर्यटक बना उनके बीच वह कश्मीर की खूबसूरती को बेच पाएगी। इसके लिए अमरनाथ यात्रा पैकेजों को भी बेचने का कार्य जारी है। यह बात अलग है कि सरकार के इन प्रयासों से कई पक्ष नाराज भी हैं। वे कहते हैं ‘कश्मीर की खूबसूरती की ओर लोगों को आकर्षित करने के और भी तरीके हो सकते हैं लेकिन अगर आप लोगों को अमरनाथ यात्रा के नाम पर न्यौता दे रहे हैं तो आप भयानक गलती कर रहे हैं। वर्ष 1995 की अमरनाथ त्रासदी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’

सच्चाई यही है कि वर्ष 1995 की अमरनाथ त्रासदी से कोई सबक नहीं सीखा गया। तब प्राकृतिक आपदा से 300 अमरनाथ यात्री मौत का ग्रास बन गए थे। उसके बाद भी अक्सर प्राकृतिक आपदा कहर ढहाती रही। आतंकियों का कहर जो बरपता रहा सो अलग। अमरनाथ त्रासदी के उपरांत डा. नीतिन सेन गुप्ता जांच आयोग की रपट को लागू कर दिया गया। यात्रा में हिस्सा लेने वालों की संख्या 75000 तक निर्धारित करने के साथ-साथ शामिल होने वालों की आयु सीमा भी तय कर दी गई। चिकित्सा प्रमाणपत्र के साथ ही पंजीकरण अनिवार्य कर दिया। मगर यह सब ढकोसले ही साबित हुए।

पिछले 28 सालों के दौरान अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या स्पष्ट करती है कि शामिल होने वाले 75 हजार के स्थान पर 4 लाख तक पहुंच गए थे। हर बार सरकार की ओर से लोगों को उत्साहित भी किया गया।

टॅग्स :अमरनाथ यात्राजम्मू कश्मीरमनोज सिन्हाSrinagarभारतीय सेना
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