भीमा-कोरेगांव हिंसा से संबंध में 5 गिरफ्तारी मामला: चार्जशीट दाखिल करने को पुलिस को मिला और ज्यादा समय
By भाषा | Published: September 2, 2018 04:44 PM2018-09-02T16:44:47+5:302018-09-02T16:44:47+5:30
पुणे के समीप कोरेगांव भीमा में संपन्न इस कार्यक्रम में उत्तेजक भाषण दिये गये जिसके बाद अगले दिन हिंसा हुई।
पुणे (महाराष्ट्र), दो सितंबर: पुणे की एक अदालत ने माओवादियों के साथ कथित संबंधों को लेकर जून में गिरफ्तार किये गये पांच व्यक्तियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर करने के लिए रविवार को 90 दिनों का और समय दिया।
इस मामले के जांच अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त शिवाजी पवार ने बताया कि अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विशेष अदालत के न्यायाधीश के डी वधाने ने पुलिस द्वारा की गयी समय बढ़ाने की मांग मान ली।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अदालत पहुंचे और हमने कहा कि जांच चल रही है। ऐसे में हमने आरोपपत्र दायर करने के लिए और 90 दिन मांगे। ’’ पुलिस इस मामले में नयी गिरफ्तारियों का हवाला देते हुए इन पांच व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए 90 दिन का समय बढ़ाने की मांग को लेकर शनिवार को अदालत पहुंची थी।
पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे में हुए एलगार परिषद कार्यक्रम के संदर्भ में माओवादियों के साथ कथित संबंध की जांच के संदर्भ में जून में सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था। पुणे के समीप कोरेगांव भीमा में संपन्न इस कार्यक्रम में उत्तेजक भाषण दिये गये जिसके बाद अगले दिन हिंसा हुई।
पवार ने कहा, ‘‘90 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि तीन सितंबर को समाप्त हो रही है। इस मामले में पांच नयी गिरफ्तारियों के बाद जांच अब भी जारी है। ’’
अट्ठाइस अगस्त को पुलिस ने देश के विभिन्न स्थानों से पांच और वामपंथी कार्यकर्ताओं-- वरनोन गोंजालविस, अरुण फरेरा, वरवर राव, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि इन पांचों को छह सितंबर तक नजरबंद रखा जाए। सामान्य मामलों में पुलिस को गिरफ्तारी के 90 दिनों के अंदर आरोपपत्र दायर करना होता है, अन्यथा आरोपी को जमानत मिल सकती है।
पवार के मुताबिक यूएपीए के तहत जांच यदि 90 दिनों के अंदर पूरी नहीं होती है तो आरोपपत्र दायर करने की अवधि 180 दिनों तक बढ़ायी जा सकती है। इस मामले में यूएपीए लगाया गया है।
इस बीच, यरवदा केंद्रीय जेल के अधिकारियों ने जून में गिरफ्तार पांच आरोपियों को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर अन्य जेल में स्थानांतरित करने की मध्य जुलाई में इजाजत मांगी थी। अदालत छह सितंबर को इस अर्जी पर अपना फैसला सुना सकती है।