यूपी की सीएचसी में तैनात 438 डॉक्टरों ने मानदेय पाने के लिए सीएम योगी को लिखा पत्र

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 28, 2025 18:06 IST2025-09-28T18:06:40+5:302025-09-28T18:06:47+5:30

उत्तर प्रदेश में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले जूनियर डॉक्टरों को सरकार की नीति के तहत सरकारी अस्पतालों में दो वर्ष तक सेवा देना अनिवार्य है. इस नियम के तहत हर साल सरकार मेडिकल कॉलेज और सीएचसी और पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जूनियर डॉक्टरों की तैनाती करती है.

438 doctors posted at CHCs in UP wrote to CM Yogi seeking their honorarium | यूपी की सीएचसी में तैनात 438 डॉक्टरों ने मानदेय पाने के लिए सीएम योगी को लिखा पत्र

यूपी की सीएचसी में तैनात 438 डॉक्टरों ने मानदेय पाने के लिए सीएम योगी को लिखा पत्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बॉन्ड भरने के बाद लंबे समय तक बिना सूचना के अस्पतालों से गायब रहने वाले डॉक्टरों को योगी सरकार बर्खास्त करने तक का कठोर फैसला लेने में देर नहीं करती. वही सरकार प्रदेश के विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में बॉन्ड के तहत सेवा दे रहे जूनियर डॉक्टरों को तीन माह से मानदेय नहीं दे रही है. 

ऐसे में यह जूनियर डॉक्टर मानदेय पाने के लिए जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय का चक्कर लगा रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें मानदेय नहीं मिला तो अब मजबूर होकर इन डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखकर उनसे मानदेय दिलाने का आग्रह किया है. 

इन डाक्टरों का यह भी कहना है कि उन्हे मेडिकल कालेजों में तैनात जूनियर डाक्टरों से कम मानदेय मिलाया है, इसके बाद भी उन्हे अपना मानदेय पाने के लिए भटकना पड़ रहा हैं. इस व्यवस्था को ठीक किया जाए और उन्होंने तीन माह का बकाया मानदेय दिया जाए. ताकि वह भी दीपावली का त्योहार खुशी के साथ माना सके.  

डॉक्टरों की पहल का हुआ असर : 

उत्तर प्रदेश में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले जूनियर डॉक्टरों को सरकार की नीति के तहत सरकारी अस्पतालों में दो वर्ष तक सेवा देना अनिवार्य है. इस नियम के तहत हर साल सरकार मेडिकल कॉलेज और सीएचसी और पीएचसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जूनियर डॉक्टरों की तैनाती करती है. सीएचसी और पीएचसी पर तैनात किए जाने वाले डॉक्टरों को एक बॉन्ड भी भरना होता है. इस बॉन्ड के अनुसार यदि  कोई जूनियर डॉक्टर दो साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा नहीं देगा तो उसे सरकार को दस लाख रुपए देने होंगे. ऐसा ही बॉन्ड भरने वाले वर्ष 2019 बैच के 438 डॉक्टरों को प्रदेश के विभिन्न सीएचसी में तैनात किया गया. 

इन डॉक्टरों का कहना है कि बीते तीन माह से उन्हे मानदेय नहीं मिला है. जबकि उन्हे मेडिकल कॉलेजों में काम कर रहे अपने समकक्ष डॉक्टरों से कम मानदेय मिलता है. सीएचसी में तैनात डॉक्टरों का यह भी कहना है कि मेडिकल कालेजों में तैनात डॉक्टरों को लेवल 10 और 5400 ग्रेड पे के आधार पर हर महीने लगभग एक लाख से एक लाख बीस हजार रुपए मानदेय मिलता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी में कार्यरत डॉक्टरों को सिर्फ 50,000 से 60,000 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है. यह मानदेय कम है और भेदभावपूर्ण भी है. 

डॉक्टरों का कहना है कि कम वेतन मिलने के अलावा सीएचसी में काम करने की परिस्थितियाँ भी बहुत असुरक्षित हैं. यहाँ न तो रहने की सुविधा है और न ही सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था. हर डॉक्टर रोज़ 30 से 50 किलोमीटर की यात्रा करके ड्यूटी पर आता है. महिला डॉक्टरों के लिए ग्रामीण केंद्रों पर रहना और भी मुश्किल और असुरक्षित है, क्योंकि किसी भी समय कोई भी व्यक्ति केंद्र में आकर विवाद कर सकता है. ऐसे हालातों में कार्य कर रहे डॉक्टर जब तीन माह से मानदेय नहीं पाए तो उन्होंने अपनी व्यथा सीएम और डिप्टी सीएम को पत्र लिखकर बताई. 

डॉक्टरों की इस पहल का असर हुआ और राज्य के स्वास्थ्य महानिदेशालय डा. रतनपाल सिंह सुमन सक्रिय हो गए और उन्होंने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को बॉन्ड के तहत सीएचएस पर तैनात किए गए डॉक्टरों को उनके मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यही नहीं उन्होने सीएचसी पर तैनात डॉक्टरों की मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के बराबर समान वेतन और सुविधाएं देने की मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है. 

डॉक्टरों के मानदेय का अंतर

सीएचएस पर तैनात डॉक्टरों का कहना है कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में तैनात डॉक्टरों को सीएचसी में तैनात डॉक्टरों की तुलना में कहीं अधिक मानदेय मिल रहा है. मेडिकल कॉलेजों में जूनियर रेजिडेंट को और डेमोंस्ट्रेटर को एक लाख से एक लाख बीस हजार रुपए मानदेय मिलता है. जबकि सीएचसी में तैनात डॉक्टरों को जिले के आधार पर 50 से 65 हजार रुपए ही दिए जाते हैं. 

लखनऊ जैसे शहरों में सीएचसी में तैनात डॉक्टरों 50 हजार और चित्रकूट, सोनभद्र जैसे पिछड़े जिलों में तैनात डॉक्टरों को 65 हजार रुपए मानदेय देने प्रावधान है. सीएचसी पर तैनात डॉक्टरों की इस मांग पर स्वास्थ्य महानिदेशालय डा. रतनपाल सिंह सुमन का कहना है कि जिलों की ग्रेडिंग की गई है, उसके अनुसार ही मानदेय तय है. सरकार को डॉक्टरों की मांग के बारे में बताकर उसका हल निकाला जाएगा. 

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