नरोदा पाटिया: 97 लोगों की जनसंहार की कहानी, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ इस मामले में

By भारती द्विवेदी | Updated: June 26, 2018 10:04 IST2018-06-26T10:04:49+5:302018-06-26T10:04:49+5:30

2008 में सुप्रीम कोर्ट ने उस घटना की जांच पुलिस के बजाए स्पेशल जांच टीम (SIT) को सौंपी। जिसके बाद सात साल बाद 2009 के अगस्त में नरोदा पाटिया जनसंहार का मुकदमा शुरू हुआ।

3 others culprit get 10 year sentence in naroda patia case see details | नरोदा पाटिया: 97 लोगों की जनसंहार की कहानी, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ इस मामले में

नरोदा पाटिया: 97 लोगों की जनसंहार की कहानी, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ इस मामले में

नई दिल्ली, 26 जून: साल 2002 में गुजरात में हुए नरोदा पाटिया जनसंहार मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (25 जून) को तीन दोषियों पीजी राजपूत, राजकुमार चौमल और उमेश भड़वाड को  को दस साल की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति हर्ष देवानी और न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया की खंड पीठ ने 3 दोषियों 10 साल की कठोर सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। निचली अदालत ने साल 2012 में इन तीनों ही दोषियों को बरी कर दिया था।

क्या था नरोदा पाटिया जनसंहार 

27 फरवरी 2002 में अचानक गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां के जलने की खबर आई। और देखते ही देखते साबरमती की आग की लपटें पूरे गुजरात में फैल गई। गोधरा कांड के ठीक एक दिन बाद यानी 28 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद ने बंद का आह्नान किया। उस बंद के दौरान अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में हिंसक भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी। हिसंक भीड़ द्वारा किए गए उस जनसंहार में ज्यादातर मरने वाले अल्पसंख्यक समुदाय से थे।

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2008 में सुप्रीम कोर्ट ने उस घटना की जांच पुलिस के बजाए स्पेशल जांच टीम (SIT) को सौंपी। जिसके बाद सात साल बाद 2009 के अगस्त में नरोदा पाटिया जनसंहार का मुकदमा शुरू हुआ। 62 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। सुनवाई के दौरान 327 लोगों का बयान दर्ज हुआ। बयान दर्ज कराने वालों में विक्टिम के अलावा, पत्रकार, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी को मौत हो गई। अगस्त 2012 में बजरंग दल के नेता बाबू  बजरंगी और नरेंद्र मोदी सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी समेत 32 लोग जनसंहार के दोषी पाए गए। जबिक 29 लोगों को आरोपमुक्त कर दिया गया।  

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एसआईटी कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी को 28 साल, बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाकी आरोपियों को 21 साल की सजा दी गई थी। दोष साबित होने के बाद आरोपियों ने एसआईटी कोर्ट के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट में जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। सुनवाई पूरी होने के बाद अगस्‍त 2017 में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्ष‍ित रख लिया। 20 अप्रैल 2018 को सबूतों के अभाव में माया कोडनानी को जहां निर्दोष करार दिया गया, वहीं बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की अवधि घटाकर 21 साल कर दी गई।

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Web Title: 3 others culprit get 10 year sentence in naroda patia case see details

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