नरोदा पाटिया: हाई कोर्ट का फैसला- कम हुई बाबू बजरंगी की सजा, माया कोडनानी समेत 17 बरी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 20, 2018 11:34 AM2018-04-20T11:34:29+5:302018-04-20T11:41:14+5:30

साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में 97 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। निचली अदालत ने माया कोडनानी को 28 साल की सजा सुनाई थी।

naroda patiya riots case gujarat high court announce verdict babu bajrangi guilty maya kodnani freed | नरोदा पाटिया: हाई कोर्ट का फैसला- कम हुई बाबू बजरंगी की सजा, माया कोडनानी समेत 17 बरी

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अहमदाबाद, 19 अप्रैलः गुजरात हाई कोर्ट  साल 2002 में नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या के मामले में शुक्रवार (20 अप्रैल) को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने मामले की मुख्य अभियुक्त और पूर्व बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 17 अभियुक्तों को बरी कर दिया है। हाई कोर्ट ने दोषी बाबू बजरंगी की सजा कम करके उसे 21 साल कैद की सजा सुनायी है। निचली अदालत ने बाबू बजरंगी को आखिरी साँस तक कैद में रहने की सजा सुनायी थी। हाई कोर्ट जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस एएस सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। 28 फरवरी 2002 को नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 मुस्लिम मारे गए थे। अगस्त 2012 में एसआईटी की विशेष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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माया कोडनानी गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। पेशे से डॉक्टर कोडनानी साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान राज्य सरकार में मंत्री थीं। माया कोडनानी को निचली अदालत ने 28 साल कारावास की सजा सुनायी थी। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हाई कोर्ट में माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी थी। निचली अदालत ने सात अभियुक्तों को 21 साल की सजा सुनायी थी। निचली अदालत ने नरोदा पाटिया के नरसंहार के 29 अभियुक्तो को बरी कर दिया था।


निचली अदालत ने कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक अन्य बहुचर्चित आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को मृत्यु पर्यंत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास और शेष अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किये जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जजों ने नरोदा पाटिया के उस घटनास्थल का दौरा किया था जहां 28 फरवरी 2002 को नरसंहार में 97 मुस्लिमों की जान चली गई थी। इस बीच कई जजों ने अपील की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें जस्टिस अकील कुरैशी, एमआर शाह, केएस झावेरी, जीबी शाह, सोनिया गोकनी और आरएस शुक्ला शामिल हैं।

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