फांसी के लिए मुंबई से पुणे ले जाने का कसाब का गोपनीय सफर ऐसे हुआ पूरा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 26, 2018 09:19 AM2018-11-26T09:19:19+5:302018-11-26T09:19:19+5:30
कुछ चुनिंदा अधिकारियों को कसाब को आर्थर रोड जेल के 'अंडा सेल' से पुणे के येरवड़ा केंद्रीय कारावास ले जाने की जिम्मेदारी थी.
मुंबई: मुंबई हमले के इकलौते जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी देने के लिए मुंबई से पुणे ले जाने का अभियान अति गोपनीय था. कूट वाक्य से उसके पुणे जेल पहुंचने की पुष्टि की गई थी, जहां दूसरे दिन उसे फांसी दे दी गई. इस अभियान में शामिल रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 'पार्सल रिच्ड फॉक्स्ड' से पुष्टि की गई कि जिस वाहन से कसाब को ले जाया जा रहा था वह पुणे जेल पहुंच चुका है.
इस पूरे अभियान में इस तरह के सात कूट-शब्द और कूट-संदेश इस्तेमाल किए गए थे और 'पार्सल रिच्ड फॉक्स्ड' उनमें से एक था. यह दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच का अंतिम कूट-संदेश था. इन कूट-शब्दों और कूट-वाक्यों को सिर्फ गिनती के लोग जानते थे. जिनमें तत्कालीन गृह मंत्री आर. आर. पाटिल और कुछ शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल थे. कुछ चुनिंदा अधिकारियों को कसाब को आर्थर रोड जेल के 'अंडा सेल' से पुणे के येरवड़ा केंद्रीय कारावास ले जाने की जिम्मेदारी थी.
इसमें 'फोर्स वन' कमांडो दल के पुलिसकर्मी आधुनिक हथियारों से लैस होकर कसाब के वाहन के साथ चल रहे थे. राज्य आरक्षित पुलिस के अधिकारियों का एक दल वाहन से कुछ पीछे था ताकि किसी को शक नहीं हो. यह अभियान इतना गोपनीय था कि इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों के हैंडसेट और मोबाइल फोन बंद कर दिए गए थे. उन्हें एक बैग में बंद कर दिया गया था. बस दो हैंड सेट चल रहे थे. तीन घंटे के इस सफर के दौरान कसाब ने एक लफ्ज नहीं कहा. तीन बजे तड़के जब उसे येरवड़ा जेल के अधिकारियों को सौंपा गया तब भी उसके माथे पर कोई शिकन नहीं थी.