लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान जैसे राज्यों के कामकाज पर निर्भर है यूपी में कांग्रेस की कामयाबी?
By प्रदीप द्विवेदी | Updated: January 13, 2019 11:35 IST2019-01-13T08:06:36+5:302019-01-13T11:35:12+5:30
उधर, यूपी में सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को छोड़ कर एक तरफा गठबंधन घोषित कर दिया है। यदि कांग्रेस यूपी में अकेले चुनाव लड़ती है तो राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के बेहतर कामकाज का बड़ा सहारा मिल सकता है।

लोकसभा चुनाव 2019: राजस्थान जैसे राज्यों के कामकाज पर निर्भर है यूपी में कांग्रेस की कामयाबी?
भाजपा के प्रमुख नेता और उदयपुर से एमएलए पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष होंगे। खबर है कि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने कटारिया को राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त करने की मंजूरी दी है। नई विधानसभा का पहला सत्र 15 जनवरी 2019 से शुरू हो रहा है। राज्यपाल कल्याण सिंह ने 15वीं विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने में कटारिया के सहयोग के लिए कांग्रेस के प्रमुख नेता भंवरलाल शर्मा, परसराम मोरदिया और महादेव सिंह को भी नामांकित किया है। इसके साथ ही, राजस्थान में कांग्रेस सरकार का प्रभावी कामकाज शुरू हो जाएगा।
उधर, यूपी में सपा-बसपा ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को छोड़ कर एक तरफा गठबंधन घोषित कर दिया है। यदि कांग्रेस यूपी में अकेले चुनाव लड़ती है तो राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के बेहतर कामकाज का बड़ा सहारा मिल सकता है।
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विस चुनाव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दस दिन में किसानों की कर्जमाफी का जो सियासी दाव चला था, वह कामयाब रहा था। कांग्रेस तीनों राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। सरकार बनते ही इन तीनों राज्यों में किसान कर्जमाफी का एलान कर दिया गया। राहुल गांधी ने जयपुर किसान रैली में इस कामयाबी पर आभार व्यक्त करते हुए दो संकेत दिए थे, एक- किसान कर्जमाफी लोस चुनाव में भी कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा, दो- कांग्रेस जो वादा करती है, उसे पूरा करती है। लोस चुनाव में यूपी में कांग्रेस, राजस्थान सहित तीन राज्यों के उदाहरण के साथ अपना पक्ष रख कर जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करेगी। इसलिए यूपी में कांग्रेस की कामयाबी राजस्थान जैसे कांग्रेसी राज्यों के कामकाज पर निर्भर है?
यदि इन कांग्रेसी राज्यों ने बेहतर काम करके दिखा दिया तो यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से अलग रहने के बावजूद कांग्रेस अपना प्रदर्शन काफी हद तक सुधार सकती है, क्योंकि जहां भाजपा से नाराज हिन्दू मतदाता कांग्रेस की ओर बढ़ रहे हैं तो मुसलमानों को भी लग रहा है कि केन्द्र में भाजपा से टकराने में केवल कांग्रेस सक्षम है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यूपी में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां पिछले लोस चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी, लिहाजा कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही तो एक दर्जन से ज्यादा सीटें जीत सकती है।