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2008 मालेगांव ब्लास्ट: विशेष अदालत ने दस्तावेजों को दबाने के लिए NIA को लगाई फटकार, अभियुक्तों से संबंधित आवाज के नमूनों की रिपोर्ट कोर्ट में नहीं किया पेश, जानें

By अनिल शर्मा | Updated: December 15, 2022 08:21 IST

जांच के दौरान एटीएस ने एक साजिश की बैठक की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग बरामद की गई थी, जिसे 2009 में फोरेंसिक साइंसेज लैब, कलिना को विश्लेषण के लिए भेजा गया था। ऑडियो का विश्लेषण करनेवाले फोरेंसिक एक्सपर्ट को हाल ही में अदालत में गवाह के रूप में पेश किया गया था जिसने रिपोर्ट तैयार की थी।

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ठळक मुद्दे29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में लगे बम विस्फोट में छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए।मामले की जांच पहले एटीएस कर रही थी बाद में एनआईए को सौंप दिया गया था।एनआईए ने मामले में अभियुक्तों से संबंधित आवाज के नमूनों की रिपोर्ट कोर्ट में पेश नहीं किया था।

मुंबई: एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए कोर्ट) के न्यायाधीश ने हाल ही में पिछले 13 वर्षों से अदालत में एक महत्वपूर्ण फोरेंसिक रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करके दस्तावेजों को दबाने के लिए फटकार लगाई। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अभियुक्तों से संबंधित आवाज के नमूनों का विश्लेषण हाल ही में सामने आया जिसे फोरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा किया गया था और अदालत ने इसकी जांच की थी।

जांच के दौरान एटीएस ने एक साजिश की बैठक की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग बरामद की गई थी, जिसे 2009 में फोरेंसिक साइंसेज लैब, कलिना को विश्लेषण के लिए भेजा गया था। ऑडियो का विश्लेषण करनेवाले फोरेंसिक एक्सपर्ट को हाल ही में अदालत में गवाह के रूप में पेश किया गया था जिसने रिपोर्ट तैयार की थी। विश्लेषण के मुताबिक आवाज के नमूने मामलों के अभियुक्तों- रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी अलियास दयानंद पांडे और प्रसाद पुरोहित की आवाज से मिलते पाये गये। हालांकि, यह विश्लेषण एटीएस द्वारा अदालत में प्रस्तुत नहीं किया गया था।

गौरतलब है कि 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में लगे बम विस्फोट में छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। विस्फोट की पहली बार महाराष्ट्र विरोधी आतंकवाद विरोधी दस्ते ने जांच की थी। बाद में अप्रैल 2011 में इसे एनआईए को सौंप दिया गया।

पिछले महीने जब फोरेंसिक विशेषज्ञ को जब गवाही देने के लिए बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लिया जाना चाहिए था। अपनी याचिका में, गवाह ने दावा किया कि उन्होंने 2009 में रिपोर्ट तैयार की थी और यह भी कहा कि उन्होंने अगले साल नौकरी छोड़ दी थी। ऑडियो जांच करनेवाले विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि कागजात इन सभी वर्षों में कलिना लैब के पास थे और उन्हें अब केवल दस्तावेज मिले हैं। इस याचिका का एनआईए ने समर्थन किया था जबकि डिफेंस वकीलों ने इसका विरोध किया।

दस्तावेजों को स्वीकार करने के लिए याचिका को खारिज करते हुए विशेष अदालत ने पाया कि, "गवाह द्वारा स्थानांतरित आवेदन यह नहीं बताता है कि 2010 के बाद से उन दस्तावेजों का संरक्षक कौन था, जब गवाह ने नौकरी छोड़ दी थी, या जिनकी हिरासत से उन दस्तावेजों को लाया गया है, उन दस्तावेजों की प्राप्ति के मोड और तरीके, क्यों उन दस्तावेजों को बेल्टेड स्टेज पर दायर किया जाता है, जिसने उन्हें उन दस्तावेजों को जांचने वाले अधिकारी को सौंपने से रोका। ये सभी प्रश्न आवेदन में अनुत्तरित हैं और इन बिंदुओं पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया। ”

एनआईए जज ने पाया कि “गवाह के अनुसार, उन्होंने हाल ही में एफएसएल से उन दस्तावेजों को एकत्र किया है। उन दस्तावेजों को इकट्ठा करना और इसे बिना किसी विणरण/ स्पष्टीकरण के कई वर्षों की चूक के बाद रिकॉर्ड पर दाखिल करना, उन दस्तावेजों को दबाने का काम किया गया था।''

 

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