Ahmedabad case: कोर्ट ने कहा-ऐसे लोगों को समाज में रहने की अनुमति देना निर्दोष लोगों को खाने वाले ''आदमखोर तेंदुए'' को खुला छोड़ने के समान

By भाषा | Published: February 20, 2022 02:44 PM2022-02-20T14:44:57+5:302022-02-20T14:47:14+5:30

2008 Ahmedabad serial blasts case: विशेष अदालत ने आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को शुक्रवार को मौत की सजा सुनाई। इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को मौत होने तक उम्रकैद की सुजा सुनाई।

2008 Ahmedabad serial blasts case Man-Eater Leopard Allowing them to remain in society dangerous Court Said Convicts | Ahmedabad case: कोर्ट ने कहा-ऐसे लोगों को समाज में रहने की अनुमति देना निर्दोष लोगों को खाने वाले ''आदमखोर तेंदुए'' को खुला छोड़ने के समान

11 अन्य को आपराधिक साजिश और यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मौत होने तक उम्रकैद की सजा सुनायी।

Highlightsधमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे।अदालत के इस फैसले की प्रति शनिवार को वेबसाइट पर उपलब्ध हुई। अदालत ने कहा कि उसकी राय में इन दोषियों को मृत्युदंड दिया जाना उचित होगा।

2008 Ahmedabad serial blasts case:  गुजरात की एक विशेष अदालत ने अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले पर अपने फैसले में कहा है कि इस मामले के 38 दोषी मौत की सजा के लायक हैं, क्योंकि ऐसे लोगों को समाज में रहने की अनुमति देना निर्दोष लोगों को खाने वाले ''आदमखोर तेंदुए'' को खुला छोड़ने के समान है।

अदालत के इस फैसले की प्रति शनिवार को वेबसाइट पर उपलब्ध हुई। अदालत ने कहा कि उसकी राय में इन दोषियों को मृत्युदंड दिया जाना उचित होगा, क्योंकि यह मामला ‘‘अत्यंत दुर्लभ’’ की श्रेणी में आता है। उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को शुक्रवार को मौत की सजा सुनाई। इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को मौत होने तक उम्रकैद की सुजा सुनाई। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक अन्य घायल हो गए थे।

यह पहली बार है, जब किसी अदालत ने इतने दोषियों को मौत की सजा एक साथ सुनाई है। विशेष न्यायाधीश ए आर पटेल ने अपने आदेश में कहा, '' दोषियों ने एक शांतिपूर्ण समाज में अशांति उत्पन्न की और यहां रहते हुए राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया। उनके मन में संवैधानिक तरीके से चुनी गई केंद्र और गुजरात सरकार के प्रति कोई सम्मान नहीं है और इनमें से कुछ सरकार और न्यायपालिका में नहीं, बल्कि केवल अल्लाह पर भरोसा करते हैं।'' उन्होंने कहा कि सरकार को खासकर उन दोषियों को जेल में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है, जिन्होंने कहा है कि वे अपने ईश्वर के अलावा किसी पर विश्वास नहीं करते। उन्होंने कहा कि देश की कोई भी जेल, उन्हें हमेशा के लिए जेल में नहीं रख सकती।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यदि इस प्रकार के लोगों को समाज में रहने की अनुमति दी जाती है, तो यह एक आदमखोर तेंदुए को लोगों के बीच छोड़ने के समान होगा। इस प्रकार के दोषी ऐसे आदमखोर तेंदुए की तरह होते हैं, जो बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं, पुरुषों और नवजात समेत समाज के निर्दोष लोगों और विभिन्न जातियों एवं समुदायों के लोगों को खा जाता है।’’ अभियोजन ने विस्फोट का षड्यंत्र रचने वालों और बम लगाने वालों समेत मामले के सभी 49 दोषियों को मौत की सजा सुनाए जाने का अनुरोध किया था।

अदालत ने 38 दोषियों के बारे में कहा, ‘‘इस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां करने वाले लोगों के लिए मृत्युदंड ही एक मात्र विकल्प है, ताकि शांति स्थापित रखी जा सके और देश एवं उसके लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।’’ अदालत ने 11 अन्य दोषियों को मौत होने तक कारावास की सजा देते हुए कहा कि उनका अपराध मुख्य षड्यंत्रकारियों की तुलना में कम गंभीर था।

उसने कहा, ‘‘यदि उन्हें मौत होने तक कारावास में रखे जाने से कम सजा दी जाती है, तो ये दोषी फिर से इसी प्रकार के अपराध करेंगे और अन्य अपराधियों की भी मदद करेंगे। यह निश्चित है।’’ कुछ दोषियों ने दलील दी थी कि उन्हें मुसलमान होने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। इसके जवाब में अदालत ने कहा कि वह इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि भारत में करोड़ों मुसलमान कानून का पालन करने वाले नागरिकों के तौर पर रह रहे हैं। अदालत ने कहा, ‘‘जांच अधिकारियों ने केवल इन्हीं लोगों को गिरफ्तार क्यों किया?

यदि अन्य लोग संलिप्त होते, तो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया जाता। जांच अधिकारी जिम्मेदार लोग हैं।’’ लोक अभियोजक अमित पटेल ने पत्रकारों को बताया था कि अदालत ने 38 दोषियों को फांसी, जबकि 11 अन्य को मौत होने तक उम्रकैद की सजा सुनायी है। अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत 38 को मौत की सजा सुनायी, जबकि 11 अन्य को आपराधिक साजिश और यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मौत होने तक उम्रकैद की सजा सुनायी।

अदालत ने 48 दोषियों में से प्रत्येक पर 2.85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और एक अन्य पर 2.88 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने धमाकों में मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये तथा मामूली रूप से घायलों को 25-25 हजार रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

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