3 साल में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के समय 161 लोगों की मौत, हाथ से मैला ढोने का कोई मामला नहीं, सरकार ने संसद में दी जानकारी
By भाषा | Published: April 6, 2022 03:26 PM2022-04-06T15:26:24+5:302022-04-06T15:29:18+5:30
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा को पूरक सवालों के जवाब में कहा कि प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में कोई भी व्यक्ति हाथ से मैला ढोने का कार्य नहीं कर रहा है।
नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि हाथ से मैला ढोने (मैनुअल स्केवेंजिंग) के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होने की कोई रिपोर्ट नहीं है लेकिन पिछले तीन साल के दौरान सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करते समय हुई दुर्घटनाओं के कारण 161 लोगों की मौत हो गई।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने राज्यसभा को पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में कोई भी व्यक्ति हाथ से मैला ढोने का कार्य नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान के लिए 2013 और 2018 में दो सर्वेक्षण कराए गए थे और 58,098 ऐसे लोगों की पहचान की गई थी। उन्होंने कहा कि 1993 से लेकर 31 मार्च 2022 तक सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 791 लोगों की मौत हो गयी।
उन्होंने बताया कि इस क्रम में संबंधित कानून के तहत 536 प्राथमिकी दर्ज की गयी और 703 पीड़ितों के आश्रितों को यथोचित मुआवजा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 136 आश्रितों को आंशिक भुगतान किया गया है।
उन्होंने हाथ से मैला ढोने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि अब मशीनों से सफाई पर जोर दिया जा रहा है और इस संबंध में कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को 15 लाख रुपये तक के ऋण और पांच लाख रुपये की सब्सिडी देने की भी व्यवस्था की गयी है।