लाइव न्यूज़ :

India-Canada relations: कनाडा से रिश्ते पटरी पर आने की उम्मीद?, जी-7 शिखर बैठक में खुलकर करेंगे चर्चा

By शोभना जैन | Updated: June 13, 2025 05:15 IST

India-Canada relations: बैठक में आतंकवाद, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन, पश्चिम एशिया संघर्ष जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के अलावा जी-7 देशों के साथ सामरिक साझेदारी, सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाए जाने पर चर्चा होने की संभावना है.

Open in App
ठळक मुद्देतल्ख रिश्तों और तनातनी के बीच कनाडा ने यह न्यौता शिखर बैठक के आखिरी पलों में अचानक कैसे भेजा,देश संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की संभावना के रूप में देख रहे हैं. अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी और कनाडा के शीर्ष नेताओं की भागीदारी होगी.

India-Canada relations: पिछले कुछ वर्षों से तल्खियों के दौर से गुजर रहे भारत-कनाडा रिश्तों के बीच कनाडा के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश में होने वाले जी-7 शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए न्यौता भेजा है. इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सकारात्मक कदम माना जा  रहा है और इससे दोनों देशों द्वारा रिश्तों को वापस पटरी पर लाने की संभावना बतौर देखा जा रहा है. लेकिन इस घटनाक्रम को लेकर कुछ सवाल भी हवा में तैर रहे हैं. तल्ख रिश्तों और तनातनी के बीच कनाडा ने यह न्यौता शिखर बैठक के आखिरी पलों में अचानक कैसे भेजा,

इसके मायने क्या हो सकते हैं? बहरहाल, इस बैठक में आतंकवाद, रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन, पश्चिम एशिया संघर्ष जैसे अहम अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के अलावा जी-7 देशों के साथ सामरिक साझेदारी, सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऊर्जा जैसे अहम क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाए जाने पर चर्चा होने की संभावना है.

लेकिन इस सब के अलावा भारत और कनाडा के लिए यह अवसर इसलिए भी अहम है कि इसे दोनों ही देश संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की संभावना के रूप में देख रहे हैं. शिखर बैठक इसी माह अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में  होगी. इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, जर्मनी और कनाडा के शीर्ष नेताओं की भागीदारी होगी.

लेकिन जी-7 की मेजबानी कर रहे देश इस समूह से इतर देशों को भी न्यौता देते हैं. करीब 10 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी कनाडा की यात्रा करेंगे. इससे पहले अप्रैल 2015 में पीएम मोदी ने कनाडा का दौरा किया था. उस समय स्टीफन हार्पर कनाडा के प्रधानमंत्री थे. 2023 में खालिस्तान समर्थक सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत और कनाडा के संबंध खराब दौर में हैं.

वैसे साल 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो नई दिल्ली आए थे, लेकिन तब भी रिश्तों में जमी बर्फ पिघली नहीं. ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कनाडा की संसद में कनाडाई नागरिक और खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत पर संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था.

भारत ने इस आरोप को राजनीति से प्रेरित बताकर कड़े  शब्दों में खारिज कर दिया था. भारत ने 2020 में हरदीप सिंह निज्जर को ‘आतंकवादी’ घोषित किया था. इस घटना ने दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को बहुत प्रभावित किया था. भारत ने इन आरोपों पर कड़ा विरोध जताया. दोनों देशों ने इसके बाद एक-दूसरे के यहां से अपने वरिष्ठ राजनयिकों को  वापस बुला लिया था.

हालांकि कार्नी ने इस न्यौते के बारे में उठे सवालों को लेकर कनाडा का पक्ष रखते हुए कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है, ऐसे में कुछ ऐसे देशों का भी जी-७ देशों के साथ विचार-विमर्श में शामिल होना तर्कसंगत ही है.  इसके अलावा द्विपक्षीय तौर पर हम दोनों में ही अब कानून क्रियान्वयन क्षेत्र में संवाद जारी रखने पर आपसी सहमति है और इस बारे में कुछ प्रगति भी दिखी है.

प्रधानमंत्री मोदी ने भी उसी भावना से न्यौते का स्वागत किया.कनाडा में भारतीय मूल के लगभग 18 लाख लोग रहते हैं, जिससे ये प्रवासी भारतीयों के लिए एक बड़ा गंतव्य बन गया है. आर्थिक संबंधों की बात करें तो कनाडा के पेंशन फंड्स ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश किया है. आंकड़े दर्शाते हैं कि पेंशन फंड्स से भारत में लगभग 75 अरब कैनेडियन डॉलर का निवेश किया गया है.

भारत में कनाडा की 600 से अधिक कंपनियां काम कर रही हैं, जबकि 1,000 से अधिक कंपनियां भारतीय बाजारों में व्यापार करती हैं.  इसके अलावा कनाडा के पास तेल और गैस का बड़ा भंडार है और तकनीकी सहयोग लंबे समय से चला आ रहा है. बहरहाल ट्रूडो के कार्यकाल में दोनों देश के रिश्तों में इतनी तल्खियां क्यों हावी हो गईं,

खालिस्तान समर्थक आतंकियों को प्रश्रय देने की उनकी घरेलू राजनीति के दांवपेंच ने जनता से जुड़े दोनों देशों के बीच के आपसी रिश्तों को कितना नुकसान पहुंचाया, यह तो विवेचना का मुद्दा है ही, लेकिन यह नया अवसर दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरियों पर लाने की संभावनाओं के नए द्वार खोल सकता है.

ऐसे रिश्ते जहां दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं और सरोकार को समझ सकें, ऐसे संबंध जो आपसी हित, विश्वास और आदर की भावना पर आधारित हों. निश्चय ही मार्क कार्नी एकदम से सब कुछ नहीं बदल देंगे. वह भी घरेलू राजनीति को देखते हुए कदम उठाएंगे लेकिन भारत के लिहाज से भी यह बेहतर अवसर है. उम्मीद है कि हम भी धीरे-धीरे संबंधों को बढ़ाते हुए बातचीत का क्रम स्थापित करेंगे.

टॅग्स :कनाडानरेंद्र मोदीG-7
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमैं पीएम मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह का आभारी हूं?, नितिन नबीन बोले- कार्यकर्ताओं को समर्पित

भारतबिहार से पहले भाजपा अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ और सिक्किम के प्रभारी, 12वीं पास?, नितिन नबीन को बनाकर भाजपा ने सबको चौंकाया

भारतSydney Mass Shooting: पीएम मोदी ने हनुक्का उत्सव के दौरान बोंडी बीच हमले की निंदा की, कहा- 'आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस'

विश्वCanada: दो भारतीयों की गोली मारकर हत्या, स्टडी वीजा पर आए थे विदेश

भारतBJP New President News: नड्डा की जगह क्या शिवराज सिंह चौहान बनेंगे भाजपा के नए अध्यक्ष?, भोपाल और दिल्ली आवास पर सुरक्षा बढ़ाई?

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारजल्दी कीजिए 17 दिन बाकी?, जनवरी 2026 में टेलीविजन की कीमतों में 7-10 प्रतिशत की वृद्धि, रुपये पहली बार 90 प्रति डॉलर आंकड़े को पार

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: संडे की सुबह अपडेट हो गए ईंधन के नए दाम, कई शहरों में हल्का बदलाव

कारोबारहर साल 100 में से 55 भारतीय सर्दियों में घूमने में जाते हैं घूमने?, सबसे आगे गोवा, केरल, राजस्थान और हिमालयी राज्य, देखिए पूरी सूची

कारोबारधान का कटोरा से निकल रहे सीमांचल किसान?, ड्रैगन फ्रूट की फसलें उगाकर बढ़ा रहे हैं आय

कारोबारStock market holidays 2026: एनएसई ने छुट्टियों का कैलेंडर जारी किया, देखें मुख्य तारीखें, वीकेंड की छुट्टियां, मुहूर्त सेशन