कौन हैं गौरव ढाका?, मरीजों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 23, 2025 17:44 IST2025-07-23T17:43:49+5:302025-07-23T17:44:45+5:30

व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में बेहतर और अधिक आत्मविश्वास से भरा महसूस करता है।

who is Gaurav Dhaka Get rid dental problems permanent teeth in just 48 hours dental implant technique | कौन हैं गौरव ढाका?, मरीजों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई

Gaurav Dhaka

Highlights15 वर्षों का क्लिनिकल अनुभव प्राप्त है।चेहरे की हड्डियों, जबड़े, और दंत संरचना की गहराई से समझ होती है।

देश में दंत चिकित्सा हर दिन व्यापक होती जा रही है, जो नवीनतम तकनीकों और तरीकों के साथ खुद को लगातार अपग्रेड कर रही है। डॉ. गौरव ढाका की Corticobasal इम्प्लांटोलॉजी इन्हीं में से एक नवीनतम डेंटल इम्प्लांट तकनीक है, जिसमें मरीजों को केवल 48 घंटों में स्थायी, फिक्स्ड दांत मिल जाते हैं। डॉ. गौरव ढाका इस तकनीक में अत्यधिक दक्ष और विशेषज्ञ हैं, और डेंटल इम्प्लांटोलॉजी में एक प्रसिद्ध नाम बन चुके हैं। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मरीजों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है।

डेंटल इम्प्लांट क्यों चुनें?

डेंटल इम्प्लांट आपके खोए हुए दांतों का एक विकल्प होते हैं और लगभग आपके प्राकृतिक दांतों की तरह कार्य करते हैं। स्थायी फिक्स्ड दांत प्राप्त करने से दीर्घकालिक मजबूती मिलती है और चेहरा अधिक प्राकृतिक व युवा दिखता है। यह आपको अपने पसंदीदा भोजन का आनंद लेने की आज़ादी देता है और आत्म-विश्वास को बढ़ाता है। कुल मिलाकर, इससे व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में बेहतर और अधिक आत्मविश्वास से भरा महसूस करता है।

डेंटल इम्प्लांट के नुकसान क्या हो सकते हैं?

डॉ. गौरव ढाका बताते हैं कि इम्प्लांट प्लेसमेंट एक कला है, लेकिन इसे सफलतापूर्वक मरीजों की हड्डी की स्थिति और चिकित्सकीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए करना और भी बड़ा काम है। सफल इम्प्लांट की पहचान पहले दिन या शुरुआती समय में नहीं हो सकती। एक सफल डेंटल इम्प्लांट वही माना जाएगा जब मरीज जीवन भर उन दांतों का आनंद ले सके। यदि उचित प्लानिंग और सही तकनीक से इम्प्लांट नहीं किया गया हो तो भविष्य में इसका नकारात्मक असर इम्प्लांट फेलियर के रूप में देखा जा सकता है।

इम्प्लांट के लिए सही डेंटिस्ट कैसे चुनें?

डॉ. गौरव ढाका के अनुसार, कोई भी डेंटिस्ट डिग्री लेकर इम्प्लांट कर सकता है, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि हर मरीज की जबड़े की हड्डी की स्थिति अलग होती है। मरीज़ B को 5–7 साल से डायबिटीज़ हो सकती है, मरीज़ C को ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, और मरीज़ X कैंसर का इलाज करवाते समय कीमोथेरेपी से गुज़रा हो सकता है, जिससे उसकी हड्डी बहुत कमजोर हो गई हो।

इसलिए डॉ. ढाका के अनुसार, जो डेंटिस्ट मरीज की मेडिकल कंडीशन और आवश्यकताओं के अनुसार इम्प्लांट तकनीक को समझता है, वही इम्प्लांट के लिए उपयुक्त और कुशल सर्जन होता है। एक ही अप्रोच सभी मरीजों पर लागू नहीं हो सकती। डॉ. गौरव ढाका एक प्रशिक्षित ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन हैं, जिन्हें 15 वर्षों का क्लिनिकल अनुभव प्राप्त है।

उन्होंने Corticobasal Implantology में मास्टर्स (MS) म्यूनिख, जर्मनी से किया है और इस क्षेत्र में भी उन्हें 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। जहां अधिकतर सामान्य डेंटिस्ट सीमित दंत उपचार प्रदान करते हैं, वहीं डॉ. ढाका एक मैक्सिलोफेशियल सर्जन होने के नाते जटिल मामलों को सर्जिकल दक्षता के साथ संभालते हैं। उनके पास चेहरे की हड्डियों, जबड़े, और दंत संरचना की गहराई से समझ होती है।

साथ ही, MS in Corticobasal Implantology की विशेषज्ञता उन्हें पारंपरिक इम्प्लांट से अलग बनाती है। इस पद्धति में बोन ग्राफ्टिंग की आवश्यकता नहीं होती, उपचार तेज़ होता है और हड्डी की न्यूनतम मात्रा में भी इम्प्लांट संभव होता है। इस प्रकार, वे उन मामलों में भी उपचार कर सकते हैं जो सामान्य डेंटिस्ट की पहुँच से बाहर होते हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी डॉक्टर गौरव ढाका का प्रभावशाली योगदान

डॉ. गौरव ढाका न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी Corticobasal Implantology तकनीक के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वर्ष 2022 में, उन्होंने मोंटेनेग्रो में आयोजित एक प्रतिष्ठित डेंटल कॉन्फ्रेंस में Immediate Loading Dental Implants विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने इस तकनीक की उपयोगिता, प्रक्रिया और क्लिनिकल अनुभव साझा किए।

इसके बाद, 2023 में गोवा में आयोजित

International Conference on Corticobasal Implantology में उन्होंने इस विषय पर और गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने अपने प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से Corticobasal Implantology की जटिलताओं, बायोमैकेनिक्स और केस स्टडीज़ पर अपने अनुभवों को साझा किया, जिसे देश-विदेश से आए विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया।

वर्ष 2024 में, अंटाल्या, टर्की में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी उन्होंने इस क्षेत्र में अपने नवाचारों और आधुनिक दृष्टिकोण को साझा किया। इस प्रस्तुति के लिए उन्हें विशेष सम्मान से नवाज़ा गया, जो उनके वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त कार्य को दर्शाता है। डॉ. गौरव ढाका की यह उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि वे दंत चिकित्सा के क्षेत्र में केवल तकनीकी रूप से दक्ष ही नहीं हैं, बल्कि शोध, शिक्षा और नवाचार में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

Corticobasal इम्प्लांटोलॉजी क्या है और इसके प्रमुख लाभ क्या हैं?

Corticobasal इम्प्लांटोलॉजी एक ऐसी प्रणाली है जो क्रेस्टल बोन के बजाय कॉर्टिकल या बेसल बोन को एंगेज करती है। डॉ. गौरव ढाका के अनुसार, बेसल इम्प्लांट की भविष्यवाणी क्षमता पारंपरिक इम्प्लांट्स की तुलना में कहीं बेहतर है क्योंकि बेसल बोन जीवनभर स्थिर और सुरक्षित रहती है।

इस तकनीक के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

सरल प्रक्रिया (ना कट, ना टांके): बिना किसी कट या टांकों के, यह प्रक्रिया स्वच्छ और तेज होती है जिसमें बहुत कम ब्लीडिंग होती है।

कम या बिना हड्डी वाले मामलों में भी प्रभावी: यह तकनीक उन मामलों में भी काम करती है जहाँ पारंपरिक इम्प्लांट फेल हो जाते हैं।

तत्काल फंक्शनल लोडिंग: मरीज 2 दिन में दांत लगवाकर खाना शुरू कर सकते हैं। लंबे इंतजार की ज़रूरत नहीं।

कोई संक्रमण नहीं (Peri-implantitis): Strategic इम्प्लांटोलॉजी में इम्प्लांट के आसपास संक्रमण का जोखिम काफी कम होता है।

बोन ग्राफ्टिंग या जटिल सर्जरी की ज़रूरत नहीं: मरीज की मौजूदा हड्डी का ही उपयोग किया जाता है जिससे जटिल सर्जरी से बचा जा सकता है और खर्च भी कम होता है।

दर्द और सूजन नहीं: प्रक्रिया कम से कम इनवेसिव होती है, जिससे पोस्ट-प्रोसीजर दर्द और सूजन न के बराबर होती है।

डायबिटीज़ और स्मोकर्स में भी सफल: Strategic इम्प्लांट्स डायबिटिक और हैवी स्मोकर मरीजों में भी प्रभावी रहते हैं।

आज के समय में विशेषज्ञ डेंटल सर्जन केवल दो दिनों में स्थायी दांतों का समाधान देने में सक्षम हैं। कई सर्जन Corticobasal इम्प्लांट तकनीक का उपयोग करते हैं जो विशेष रूप से गंभीर हड्डी की कमी वाले मरीजों के लिए उपयोगी होती है। यह तकनीक जटिल बोन सर्जरी, जैसे साइनस लिफ्ट या रिज स्प्लिट और महंगी बोन ग्राफ्टिंग की आवश्यकता को समाप्त कर देती है। यह कम इनवेसिव प्रक्रिया डायबिटीज़ और स्मोकिंग जैसी स्थितियों में भी कारगर सिद्ध हुई है।

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