मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में बाधा बन रहा सामाजिक डर, जल्दी निदान से उपचार आसान, विशेषज्ञ

By संदीप दाहिमा | Updated: September 16, 2025 20:34 IST2025-09-16T20:33:50+5:302025-09-16T20:34:13+5:30

विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए देखभाल को सुलभ बनाने में सामाजिक डर और जागरूकता की कमी प्रमुख बाधाओं में शामिल हैं। उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि बेहतर इलाज के लिए शुरुआती निदान जरूरी है।

Social fear is becoming a hindrance to mental health care, early diagnosis makes treatment easier: Expert | मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में बाधा बन रहा सामाजिक डर, जल्दी निदान से उपचार आसान, विशेषज्ञ

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में बाधा बन रहा सामाजिक डर, जल्दी निदान से उपचार आसान, विशेषज्ञ

Highlightsमानसिक स्वास्थ्य देखभाल में बाधा बन रहा सामाजिक डर, जल्दी निदान से उपचार आसान, विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए देखभाल को सुलभ बनाने में सामाजिक डर और जागरूकता की कमी प्रमुख बाधाओं में शामिल हैं। उन्होंने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि बेहतर इलाज के लिए शुरुआती निदान जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की देखभाल करने वाली संस्था ‘ईमोनीड्स’ की संस्थापक और मनोवैज्ञानिक डॉ. नीरजा अग्रवाल ने कहा, “लोग मानसिक बीमारी को स्वीकार करने से भी हिचकिचाते हैं।” उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी को एक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचानना जरूरी है और इसे व्यक्तित्व दोष के रूप में नहीं बल्कि उसी रूप में माना जाना चाहिए। डॉ. अग्रवाल ने कहा, “जैसे मधुमेह और रक्तचाप के लिए आजीवन उपचार की आवश्यकता होती है, ठीक वैसे ही ‘सिजोफ्रेनिया’ या ‘बाइपोलर डिसऑर्डर’ जैसी स्थितियों के लिए भी जीवन भर उपचार कराना होता है।” दिल्ली स्थित एम्स की डॉ. दीपिका दाहिमा ने भी कहा कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य का निदान नहीं हो पाने से जुड़े सबसे बड़े कारणों में से एक सामाजिक डर है।

उन्होंने कहा, “सिर्फ बीमारी ही लोगों को कमजोर नहीं बनाती, बल्कि उससे जुड़ी शर्म, राज और चुप्पी भी उन्हें कमजोर बनाती है। कई घरों में मनोरोग निदान को अभी भी पारिवारिक सम्मान, विवाह की संभावनाओं या सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए खतरा माना जाता है। यह सांस्कृतिक बोझ दुख को और बढ़ा देता है, लोगों को अलग-थलग करता है और उन्हें समय पर इलाज कराने से रोकता है।” डॉ. अग्रवाल ने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए चिकित्सीय सलाह का पालन करने में निरंतरता की जरूरत पर जोर दिया और कहा, “तभी मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।” ‘ईमोनीड्स’ में डॉ. अग्रवाल की सहयोगी डॉ. प्रेरणा चौधरी ने एक किस्से का जिक्र किया और बताया कि एक लड़की की शादी सिर्फ इस वजह से टूटने की कगार पर पहुंच गयी थी क्योंकि उसके माता-पिता ने उसकी शादी से पहले उसे दवा देना बंद कर दिया था। मनोवैज्ञानिक ने कहा, “लड़की ‘सिजोफ्रेनिया’ से पीड़ित है। उसके पति ने उसकी मानसिक बीमारी का हवाला देते हुए शादी के तुरंत बाद उसे छोड़ दिया था।” ‘सिजोफ्रेनिया’, एक गंभीर और दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है। डॉ. चौधरी ने बताया, “डेढ़ साल तक नियमित दवा और उपचार के दौरान लड़की की हालत में सुधार हो रहा था लेकिन जब उसकी शादी तय हो गई, तो उसके परिवार वालों ने उसकी दवाइयां बंद कर दीं।”

उन्होंने बताया, “शादी के तुरंत बाद लड़की की बीमारी फिर से उभर आई और लक्षण दिखाई देने लगे, और अंततः उसे उसके माता-पिता के पास वापस भेज दिया गया।” चिकित्सक ने कहा, “सिजोफ्रेनिया’ के लिए आजीवन उपचार की आवश्यकता होती है। अब उसने हमारे यहां फिर से इलाज शुरू कर दिया है।” डॉ. अग्रवाल ने बताया कि ‘सिजोफ्रेनिया’ के कारण अत्यधिक क्रोध, भ्रम, धीमी गति से काम करना और सामाजिक कौशल में कमी हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह आघात से प्रेरित या वंशानुगत हो सकता है। सीताराम भरतिया अस्पताल के परामर्शदाता मनोचिकित्सक डॉ. जितेंद्र जाखड़ ने शीघ्र निदान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब मानसिक स्वास्थ्य की बात आती है तो मनोचिकित्सक अक्सर ‘अनुपचारित बीमारी की अवधि’ वाक्यांश का प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा, “इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति जितना अधिक समय तक अनुपचारित मानसिक स्वास्थ्य समस्या के साथ जीता है, उसका ठीक होना उतना ही कठिन होता जाता है। जिस प्रकार अनुपचारित मधुमेह समय के साथ अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है, उसी प्रकार अनुपचारित अवसाद, चिंता या मनोविकृति मस्तिष्क, भावनाओं और दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है।” विशेषज्ञों के अनुसार, जब मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान जल्दी हो जाती है, तब उपचार बेहतर तरीके से होता है।
 

Web Title: Social fear is becoming a hindrance to mental health care, early diagnosis makes treatment easier: Expert

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