"स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं प्रोटीन पाउडर": ICMR ने किया प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का आग्रह, जानें क्या है कारण

By मनाली रस्तोगी | Updated: May 11, 2024 14:19 IST2024-05-11T14:02:46+5:302024-05-11T14:19:47+5:30

Protein Powders Are Not Good For Health, Says The Indian Council of Medical Research | "स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं प्रोटीन पाउडर": ICMR ने किया प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का आग्रह, जानें क्या है कारण

"स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं प्रोटीन पाउडर": ICMR ने किया प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का आग्रह, जानें क्या है कारण

Highlightsआईसीएमआर ने प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने का आग्रह किया हैबड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर का लंबे समय तक सेवन या उच्च प्रोटीन सांद्रता का सेवन अस्थि खनिज की हानि और गुर्दे की क्षति जैसे संभावित खतरों से जुड़ा हैदिशा-निर्देशों में कहा गया कि शेष कैलोरी मेवा, सब्जियों, फलों और दूध से लेनी चाहिए

नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारतीयों के लिए संशोधित आहार दिशानिर्देश जारी करते हुए शारीरिक गठन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘प्रोटीन सप्लीमेंट’ से बचने का आग्रह किया है और नमक का सेवन सीमित करने, शर्करा तथा अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन में कमी लाने और खाद्य लेबल पर लिखी जानकारी पढ़ने को कहा है। 

शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय के अंतर्गत कार्य करने वाले हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने बुधवार को भारतीयों के लिए जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) को रोकने संबंधी संशोधित दिशानिर्देश जारी किए। 

संबंधित दिशा-निर्देशों का मसौदा आईसीएमआर-एनआईएन की निदेशक डॉ. हेमलता आर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक समिति द्वारा तैयार किया गया है और यह कई वैज्ञानिक समीक्षाओं से गुजरा है। इसमें सत्रह दिशानिर्देश सूचीबद्ध किए गए हैं। 

दिशा-निर्देशों में एनआईएन ने कहा कि बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर का लंबे समय तक सेवन या उच्च प्रोटीन सांद्रता का सेवन अस्थि खनिज की हानि और गुर्दे की क्षति जैसे संभावित खतरों से जुड़ा है। 

इनमें यह भी कहा गया है कि शर्करा का सेवन कुल ऊर्जा सेवन का पांच प्रतिशत से कम होना चाहिए तथा संतुलित आहार में अनाज तथा मोटे अनाज से 45 प्रतिशत तथा दालों, फलियों तथा मांस से 15 प्रतिशत से अधिक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। दिशा-निर्देशों में कहा गया कि शेष कैलोरी मेवा, सब्जियों, फलों और दूध से लेनी चाहिए। 

इनमें कहा गया कि कुल वसा का सेवन 30 प्रतिशत ऊर्जा से कम या उसके बराबर होना चाहिए। एनआईएन ने कहा कि दालों और मांस की सीमित उपलब्धता तथा उच्च लागत के कारण भारतीय आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनाज पर बहुत अधिक निर्भर है और इसके परिणामस्वरूप आवश्यक महत्वपूर्ण पोषक तत्वों (आवश्यक अमीनो एसिड और आवश्यक फैटी एसिड) तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन कम हो पाता है। 

आवश्यक पोषक तत्वों का कम सेवन चयापचय प्रक्रिया को बाधित कर सकता है और कम उम्र से ही इंसुलिन प्रतिरोध तथा संबंधित विकारों का खतरा बढ़ा सकता है। अनुमान से पता चलता है कि भारत में कुल बीमारियों का 56.4 प्रतिशत हिस्सा अस्वास्थ्यकर आहार के कारण है। स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि से कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) तथा उच्च रक्तचाप (एचटीएन) का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है और टाइप 2 मधुमेह को 80 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। 

एनआईएन ने कहा, "स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर समय से पहले होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा टाला जा सकता है।" इसने कहा कि शर्करा और वसा से युक्त अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन में वृद्धि, कम शारीरिक गतिविधि और विविध खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के चलते सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और मोटापे की समस्या बढ़ जाती है।

(भाषा इनपुट के साथ)

Web Title: Protein Powders Are Not Good For Health, Says The Indian Council of Medical Research

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