Health News: सभी तरीकों के कैंसर में पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित मरीजों का बचने का चांस बहुत कम होता है क्योंकि यह सबसे देरी में पता चलता है। ऐसे में जब ये पता चलता है तब काफी देर हो जाता है और इस हालत में मरीज को बचाया नहीं जा सकता है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इस चीज को बदल दिया है और इसकी मदद से अब समय से पहले पैंक्रियाटिक कैंसर का पता लगाना अब संभव हो गया है।
हाल ही में हुए एक स्टडी में यह पता चला है कि पैंक्रिएटिक कैंसर की शुरुआती निदान संभव हो सकता है जिससे रोग के उपचार को जल्दी और प्रभावी बनाने की संभावना होती है। ऐसे में इस स्टडी में क्या और खुलासा हुआ है, आइए जान लेते है।
स्टडी में क्या खुलासा हुआ है
नेचर मेडिसिन में छपि हाल के एक अध्ययन से यह पता चला है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बड़े समूहों की जांच करके पहले ही इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कौन से मरीजों को पैंक्रियाटिक कैंसर हो सकता है जिससे उन्हें जल्दी और प्रभावी इलाज मिल सके। यही नहीं एआई मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण करके इस बात का पता लगाने में सक्षम है कि कौन से मरीजों को पिछले तीन साल में पहले ही पता चला है कि उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका और डेनमार्क के बहुत सारे मरीजों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को देखा और एआई मॉडल को यह सीखाया कि मरीजों के प्रतिरोधी प्रतिरक्षा प्रणाली, पेट में पीलिया, डायबिटीज, पीलिया, पेट में पीलिया, मरीजों के लक्षण और स्वास्थ्य समस्याओं से कैंसर होने का खतरा कैसे पता लगाएं।
एआई से डॉक्टरों और मरीजों को मिल सकती है मदद- जानकार
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों को अधिक जोखिम है उन्हें अधिक जांच करानी चाहिए। इससे स्क्रीनिंग को सस्ता और बेहतर बन सकता है। यही नहीं स्टडी में यह भी कहा गया है कि स्क्रीनिंग लोगों को लंबे समय तक जीने में मदद कर सकती है। अध्ययन के सह-लेखक क्रिस सैंडर के अनुसार, एक एआई से डॉक्टरों और मरीज दोनों को मदद मिल सकती है।