एक्सपर्ट्स का दावा, भारत में सोराइसिस बीमारी से 3 करोड़ लोग पीड़ित, जानें इस चर्म रोग के 10 लक्षण और बचाव
By उस्मान | Published: November 11, 2021 04:12 PM2021-11-11T16:12:21+5:302021-11-11T16:14:30+5:30
सोराइसिस में त्वचा के किसी भी हिस्से में बीमारी हो सकती है जैसे सर में नाखून में जोड़ो में अथवा हाथ पैर में हो सकती है।
बदलते मौसम में कई त्वचा रोगों का खतरा होता है जिसमें एक सोराइसिस भी है। जयपुर के सवाई मानसिंह चिकित्सालय के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश माथुर ने बताया कि सोराइसिस बीमारी से विश्व में लगभग दस करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित है तथा भारत में तीन करोड़ से ज्यादा लोगों को इससे जूझना पड़ता है।
दिनेश माथुर ने बताया कि सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है जो एक अति सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली के परिणामस्वरूप होती है और त्वचा पर चकत्ते से प्रकट होती है। अतिरिक्त त्वचा कोशिकाएं लाल धब्बे बनाती हैं जो खुजली और कभी-कभी पूरे शरीर पर होती हैं।
उन्होंने बताया कि सोरायसिस एक पुरानी लम्बी चलने वाली बीमारी है जो अक्सर आती और जाती है। सोराइसिस में त्वचा के किसी भी हिस्से में बीमारी हो सकती है जैसे सर में नाखून में जोड़ो में अथवा हाथ पैर में हो सकती है।
सोरायसिस लक्षण
सोरायसिस लक्षण लोगों में अलग-अलग होते हैं और सोरायसिस के प्रकार पर निर्भर करते हैं। सोरायसिस के निशान खोपड़ी या कोहनी पर छोटे हो सकते हैं, या शरीर के अधिकांश हिस्से को कवर कर सकते हैं। त्वचा का लाल होना, उभरा होना, उभरे हुए पैच होना, लाल पैच पर सफेद धब्बे, सूखी त्वचा जिसमें दरार और खून हो, पैच के आसपास दर्द, खुजली और जलन होना, नाखूनों का मोटा होना, जोड़ों में दर्द या सूजन होना सोरायसिस के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं।
सोरायसिस से बचने के लिए खाएं ये चीजें
1) छाछ
आयुर्वेद तक्रधारा के इलाज के अनुसार, सोरायसिस की बीमारी में शुद्ध किए हुए औषधीय छाछ का प्रयोग किया जाता है। इससे स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं।
2) नीम
नीम के पत्ते सोरायसिस के इलाज में काफी कारगर होते हैं। नीम का तेल पोषक तत्वों से भरपूर है और इससे सोरायसिस और कील-मुंहासों के इलाज में भी मदद मिलती है। इसे खरोचों व छोटे घावों पर भी लगाया जा सकता है। नीम का तेल त्वचा की शुष्कता और खुजलाहट दूर करता है।
3) सन के बीज
सन के बीज में ऐसे पदार्थ होते हैं जो शरीर में सूजन कम करते हैं जैसे ओमेगा 3 फैटी ऐसिड्स। साथ ही इनमें ऐंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं, जो हॉर्मोन के सिक्रीशन ( स्राव) में बैलेंस बनाए रखते हैं। सन के कच्चे या भुने हुए बीज खाने से स्किन साफ रहती है।
4) एंटी-इंफ्लेमेटरी वाली चीजें
जामुन, चेरी और पत्तेदार साग, सैमन, सार्डिन और अन्य मछली, जड़ी-बूटियां और मसाले, जैसे थाइम, ऋषि, जीरा और अदरक, जैतून का तेल, बीज, और नट्स आदि का खूब सेवन करें।
5) विषैले तत्व पैदा करने वाले खाने से बचाव
आयुर्वेद के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनका खाने के दौरान गलत कॉम्बिनेशन शरीर में विषैले तत्व पैदा कर सकता है। जैसे कि मिल्कशेक और दही कभी एक साथ न खाएं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)