इन दिनों दिल्ली-एनसीआर का मौसम पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। आसपास के पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा फसल जलाने से धुंआ दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है जिसकी वजह से दिल्ली की हवा जहरीले हो गई है। दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स या वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 676 तक पहुंच गया है। यह लेवल बहुत ज्यादा खराब है। गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद और नोएडा की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साफ चेतावनी दी है कि दिवाली आने तक हवा और ज्यादा जहरीली हो सकती है। इसके अलावा लोगों को गाड़ियों का कम इस्तेमाल करने और निर्माण का काम रोकने को कहा है। इतना ही नहीं सरकार की धुंआ निकालने वाली फैक्ट्री पर भी नजर है। डॉक्टर और एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस जहरीली हवा से लोगों को अस्थमा, खांसी, आंखों में जलन, सिरदर्द जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
हाल ही में डबल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि पिछले साल जहरीली हवा के कारण भारत में लगभग एक लाख बच्चों की मौत हो गई थी। जाहिर है अगर इस बार भी लोग प्रदूषण को रोकने में विफल हुए तो, लाखों की मौत हो सकती है। बहुत से लोग स्मॉग को फॉग समझते हैं और इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। आपको बता दें कि स्मॉग और फॉग में भारी अंतर होता है और स्मॉग आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। चलिए जानते हैं कि स्मॉग और फॉग में क्या फर्क होता है।
कोहरा क्या है? कोहरा पानी की बूंदों से बना होता है जो पृथ्वी की सतह के पास दृश्यता यानी विजिबिलिटी को कम करता है। कोहरा एक प्रकार का निम्न स्तरीय मेघ या बारिश होती है जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे वायुमंडल में जलवाष्प के कण उपस्थित रहते हैं और जब ज्यादा ठंड पड़ती है तो यह जलवाष्प ओसांक के नीचे और हिमांक के ऊपर रहती है तो हवा में उपस्थित पानी की बूंदें कोहरे के रूप में दिखाई देती हैं। असल में पानी की ये बारीक बूंदे हवा में तैर रही होती हैं जिससे दृष्यता बहुत कम हो जाती है। कोहरा कई तरह का होता है।
कोहरा मुख्यतः दो प्रकार का होता है। पहला एडवेंक्शन फॉग, दूसरा रेडिऐशन फॉग। एडवेंक्शन फॉग, हवा की दो विपरीत धाराओं के मिलने से बनता है, इनमें एक ठंडी होती है और दूसरी गर्म। रेडियेशन फॉग, साफ और शांत रातों में बनता है। जब धरती की सतह से गर्मी से क्रिया करके कोहरा बना देती है। कोहरे में उपस्थित जल के कणों के कारण आर पार देखना कठिन हो जाता है। जिसके कारण कई बार रेलगाड़ियों के चलने और हवाई जहाजों के उड़ान भरने में भी बाधा आ जाती है।
धुंध भी कोहरे की तरह ही होती है, अंतर बस केवल इतना है कि यह अधिक घनी हो जाती है। जहां कोहरा सर्दियों में दिखाई देता है, वहीं धुंध बरसात के दिनों में हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होती है। धुंध पहाड़ियों और जंगलों वालों क्षेत्रों में अधिक बनती है।
स्मॉग क्या है? स्मॉग शब्द 20वीं शताब्दी की शुरुआत में स्मोक और फॉग के मिश्रण के रूप में उभरा। साल 2011 में इसे ग्राउंड-लेवल ओजोन और अन्य प्रदूषकों के मिश्रण के रूप में परिभाषित किया गया है। पृथ्वी के ऊंचे ओजोन परत के विपरीत ग्राउंड-लेवल ओजोन, बंद गला, खांसी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
धुंआ तब बनता है जब जैविक यौगिक और नाइट्रोजन ऑक्साइड ओजोन बनाने के लिए रासायनिक रूप से सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। ये प्रदूषक यौगिक अक्सर ऑटोमोटिव निकास, कारखानों, बिजली संयंत्रों और यहां तक कि आपके हेयरस्प्रे से भी आते हैं।
स्मोक और फॉग से मिलकर स्मॉग शब्द बना है। यानी फैक्ट्रियों का धुंआ कोहरे के साथ मिलकर जो बादल बनाता है उसे स्मॉग कहते है। अधिकांश बड़े शहरों में बढ़ते यातायात और फैक्ट्री से निकलता धुंआ स्मॉग का कारण बन रहा है। इससे आपको अस्थमा, फेफड़ों के संक्रमण और आंखों की परेशानियां हो सकती हैं। स्मॉग लेवल का पता लगाने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इनेक्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसे प्रदूषण मानक सूचकांक भी कहा जाता है।