Bihar encephalitis deaths: लीची नहीं, यह है 110 बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण, समझें और बचाव करें

By उस्मान | Published: June 18, 2019 11:25 AM2019-06-18T11:25:04+5:302019-06-18T11:25:04+5:30

'चमकी' बुखार से अब तक 110 बच्चों की मौत हो गई है और 500 से ज्यादा बच्चे विभिन्न अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इस दिमागी बुखार के फैलने के लिए लीची फल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ लीची की वजह से यह बीमारी नहीं फैली है।

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Bihar encephalitis deaths: लीची नहीं, यह है 110 बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण, समझें और बचाव करें

बिहार में 'चमकी' बुखार (Acute Encephalitis Syndrome (AES) से अब तक 110 बच्चों की मौत हो गई है और 500 से ज्यादा बच्चे विभिन्न अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। इस दिमागी बुखार के फैलने के लिए लीची फल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ लीची की वजह से यह बीमारी नहीं फैली है। 'डाउन टू अर्थ' संगठन ने इस बीमारी को लेकर मुजफ्फरपुर के मशहूर पेडियाट्रिक्स अरुण शाह से बातचीत की है। हम आपको उनसे पूछे गए कुछ अहम सवालों के जवाब बता रहे हैं, जिन्हें जानना बहुत जरूरी है। 

सवाल- साल 2016 में मशहूर पेडियाट्रिक्स जैकब जॉन द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि एईएस के लिए लीची काफी हद तक जिम्मेदार है? 

जवाब- यह पूरी तरह से बेतुका है कि मंत्री और नौकरशाही लीची को दोष दे रहे हैं। जॉन की रिसर्च की गलत व्याख्या की गई है। उसकी मुख्य खोज यह थी कि इस फल में मेथिलीनसाइक्लोप्रोपाइग्लिसिन (MCPG) नामक एक जहरीला तत्व होता है। लेकिन लेखकों ने एईएस के लिए लीची को कभी जिम्मेदार नहीं ठहराया।

इस बीमारी का मुख्य कारण कुपोषण है। यह फल कुपोषित बच्चों में लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसका कारण यह है कि इसमें मौजूद MCPG तत्व हाइपोग्लाइसीमिया (लो शुगर लेवल) को जन्म दे सकता है। इसलिए, यदि एक स्वस्थ बच्चा लीची खाता है, तो वह एईएस से पीड़ित नहीं होगा। केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को स्वीकार करना चाहिए कि कुपोषण इसका कारण है। सरकार को लीची से ध्यान हटाकर हटकर कुपोषण से निपटने की कोशिश करनी चाहिए।

सवाल- कुपोषण हाइपोग्लाइसीमिया का कारण कैसे बनता है?

जवाब- कुपोषित बच्चों के लीवर में ग्लाइकोजन कम स्टोर होता है। इसलिए यदि ग्लाइकोजन स्टोर नहीं हुआ, तो ग्लाइकोजन ग्लूकोज में टूट जाता है। जब इसकी कमी ज्यादा बढ़ जाती है, तो फैट बर्न होने लगता है। यह प्रक्रिया कीटोन्स जैसे उत्पादों द्वारा निर्मित होती है जो एक न्यूरोटॉक्सिन है। इसलिए, यदि कोई बच्चा बिना भोजन किए सोता है, तो यह पूरी शारीरिक प्रक्रिया दिन के घंटे से पूरी हो जाती है और फिर बच्चे को बुखार आ जाता है और कई बार वह चेतना भी खो देता है।

सवाल- MCPG कुपोषित बच्चों को कैसे प्रभावित करता है? 

जवाब- कुपोषित बच्चों के लीची में मौजूद MCPG जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ता है। यह इतना अधिक है कि शुगर लेवल 30 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक गिर जाता है और कभी-कभी शून्य भी हो जाता है। इससे जटिलताएं पैदा होती हैं। इससे सिर्फ कुपोषित बच्चों को ही खतरा है, इस तर्क से भी साबित होता है कि सभी मरने और बीमार होने वाले बच्चे कमजोर और गरीब वर्ग के हैं। लीची खाने वाला वो बच्चा, जो एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता हो और पर्याप्त भोजन प्राप्त करता हो, वो AES से पीड़ित नहीं होता है।

इस बात का रखें ध्यान
चमकी बुखार के लक्षणों में लगातार कुछ दिनों तक तेज बुखार आना, शरीर में कभी ना ख़त्म होने वाली कमजोरी, शरीर में एंठन होना, सुस्ती, सिरदर्द, उल्टी,  कब्ज, बेहोशी, कोमा और लकवा आदि शामिल हैं। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

English summary :
In Bihar, 110 children have been died from Acute Encephalitis Syndrome (AES) and more than 500 children are fighting for life and death in various hospitals. A rumor spreading around the area is that The litchi fruit is spread to this brain fever Being held responsible.


Web Title: Bihar encephalitis deaths, lychee food chamki fever, food to avoid during encephalitis, precaution, symptoms

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