हर महिला को पता होनी चाहिए सर्वाइकल कैंसर से जुड़ीं ये 3 जरूरी बातें

By उस्मान | Published: November 27, 2019 07:08 AM2019-11-27T07:08:59+5:302019-11-27T07:08:59+5:30

रिपोर्ट के अनुसार, 75 फीसदी महिलाएं बीमारी के बढ़ जाने के बाद ही इसकी जांच कराती हैं और केवल 19 फीसदी महिलाओं को इस बीमारी का पता पहले चल पाता है।

3 things about Cervical cancer every woman should know | हर महिला को पता होनी चाहिए सर्वाइकल कैंसर से जुड़ीं ये 3 जरूरी बातें

हर महिला को पता होनी चाहिए सर्वाइकल कैंसर से जुड़ीं ये 3 जरूरी बातें

Highlightsमहिलाओं में होने वाले गर्भाशय के कैंसर को एंडोमेट्रिअल कार्सिनोमा कहते हैंकेवल 19 फीसदी महिलाओं को इस बीमारी का पता पहले चल पाता है

गर्भाशय की अंदरूनी परत को एंडोमेट्रियम कहते हैं। इसी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनती हैं। महिलाओं में होने वाले गर्भाशय के कैंसर को एंडोमेट्रिअल कार्सिनोमा कहते हैं। इसमें गर्भाशय की स्वस्थ कोशिकाएं अनियमित रूप से बढ़कर गांठ का रूप लेने लगती हैं जिनके कैंसरग्रस्त होने की आशंका बढ़ती है।

गर्भाशय का कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 75 फीसदी महिलाएं बीमारी के बढ़ जाने के बाद ही इसकी जांच कराती हैं और केवल 19 फीसदी महिलाओं को इस बीमारी का पता पहले चल पाता है।

1) प्लास्टिक युक्त सैनिटरी पैड से कैंसर का खतरा
हाल ही में उत्तराखंड के चंपावत जिले की एक सामाजिक कार्यकर्ता ने राज्य चालित किशोरी स्वच्छता कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्लास्टिक युक्त सैनिटरी पैड पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उनका दावा है कि ये पैड महिलाओं में त्वचा संबंधी रोग के अलावा गर्भाशय के कैंसर का भी कारण बन रहे हैं। 

सामाजिक कार्य के लिए तिलु रौतेली पुरस्कार की विजेता रीता गहतोरी ने कहा कि ग्रामीण महिलाएं जो दूर-दराज के इलाकों से पानी या चारा लाने के लिए अक्सर बाहर ही रहती हैं उनमें यह जोखिम सबसे ज्यादा होता है। उन्होंने कहा, 'मुझे चिकित्सकों ने बताया है कि किशोरी स्वच्छता कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा गांवों में वितरित किए जा रहे ऐसे सैनिटरी पैड त्वचा रोग का कारण बन सकते हैं। लापरवाही की सूरत में उन्हें लगाए रखने से गर्भाश्य का कैंसर होने का भी खतरा हो सकता है।  

2) गर्भाशय के कैंसर का पता लगाएगा नया उपकरण
हाल ही में आईआईटी दिल्ली के अनुसंधानकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित ऐसी हार्डवेयर प्रणाली विकसित की है जो कुछ ही मिलीसेकंड में मलेरिया, तपेदिक, आंत में मौजूद परजीवियों और गर्भाशय के कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकती है। यह अनुसंधान न्यूरोमॉर्फिक प्रणाली बनाने पर केंद्रित है जिसका प्रयोग सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए किया जाएगा जहां मानव विशेषज्ञों की पहुंच सीमित है। 

आईआईटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्राध्यापक मानन सूरी ने कहा, 'स्वास्थ्यसेवा एवं निदान संबंधित अनुप्रयोगों के लिए 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' प्रारूप के कई सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, लेकिन इस वक्त की जरूरत यह है कि इन प्रारूपों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकने वाले कम ऊर्जा की खपत करने वाले उपकरण में कैसे प्रभावी ढंग से ढालें ताकि कम संसाधनों वाले स्थानों पर ये पहुंच सकें। 

3) सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के लिए तेज करें प्रयास : डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2030 तक गर्भाशय के कैंसर को पूरी तरह खत्म करने के लिए दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से प्रयासों को तेज करने की अपील की है। डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि इन राष्ट्रों को इस बीमारी से निपटने के लिए टीकाकरण, जांच, निदान और उपचार सेवाओं को विस्तार देने की जरूरत है। 

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने एक बयान में डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से 2030 तक गर्भाशय कैंसर को खत्म करने के प्रयासों को और तेज करने की अपील की। 

बयान में सिंह के हवाले से कहा गया, 'देशों को गर्भाशय के कैंसर की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए टीकाकरण, जांच, निदान और उपचार सेवाओं को हर किसी के लिए, हर कहीं तक पहुंचाना होगा।' 

उन्होंने कहा कि उचित रणनीतियों और टीकाकरण, जांच, उपचार एवं देखभाल के लिए दिशा-निर्देशों को शामिल कर राष्ट्रीय गर्भाशय कैंसर नियंत्रण योजनाओं को मजबूत करने की जरूरत है।  

Web Title: 3 things about Cervical cancer every woman should know

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