रिसर्च: तो इसलिए पारंपरिक खानों से ज्यादा जंक फूड पसंद करते हैं बच्चे

By मेघना वर्मा | Published: March 7, 2018 05:23 PM2018-03-07T17:23:25+5:302018-03-07T17:23:25+5:30

बहुत ज्यादा फास्ट फूड खाने के चलते आने वाले 2030 तक चाइना में रहने वाले लगभग एक चौथाई बच्चे बचपन में जानलेवा रोगों का शिकार हो जाएंगे।  

Survey reveals real reason why children love fast food more | रिसर्च: तो इसलिए पारंपरिक खानों से ज्यादा जंक फूड पसंद करते हैं बच्चे

रिसर्च: तो इसलिए पारंपरिक खानों से ज्यादा जंक फूड पसंद करते हैं बच्चे

अक्सर आपके बच्चे भी सुपर मार्केट या दुकानों में जाकर चिप्स, कोल्ड्रिंक जैसे फास्ट फूड खाने की जिद करते होंगे। अलग-अलग ब्रांड्स के चिप्स और फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक के नाम उन्हें याद होते हैं। अगर आपके बच्चे को भी बड़े ब्रांड्स और फास्ट फूड के नाम याद हैं तो वह पारंपरिक खानों को खाना कम पसंद करता होगा। हाल ही में हुए रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो बच्चे बड़े ब्रांड जैसे केएफसी, डोमिनोज, कोका-कोला आदि के ब्रांड लोगो को ज्यादा अच्छे से पहचानते हैं वो फास्ट फ़ूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं और उन्हें पारंपरिक खाना पसंद नहीं होता।  जिसे खाकर वो बचपन में ही मोटापे या अन्य बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।  

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के अनुसंधान सहयोगी प्रोफेसर डीना बोरोजोस्की ने कहा, "क्यों आपके बच्चे लस्सी और किसी भी पारंपरिक व्यंजन के बदले फ्राइड चिकन या प्रोसेस्ड फूड खाने की जिद करता है।" बोरोजोस्की ने बताया की विकासशील और विकसित देशों के बच्चों और वहां की मीडिया पर यह रिसर्च किया गया है। जिससे ये बात निकल कर सामने आई है कि विकासशील देशों में चलने वाले विज्ञापनों को मीडिया के रूप में ही देखा जाता है। इनका बच्चों या बच्चों की सेहत पर क्या फर्क पड़ेगा, इसकी कोई जांच-पड़ताल नहीं की जाती। जिसका सीधा असर बच्चों की सेहत पर देखने को मिलता है। 

भारत में नहीं हुई है कभी ऐसी रिसर्च

भारत सहित ब्राजील, चाइना, नाइजीरिया, पकिस्तान और रशिया में किये गए इस अध्यन से पता चला है कि इन विकासशील देशों में बड़े ब्रांड्स के विज्ञापनों की मार्केटिंग और उनके मीडिया पहलुओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि उस विज्ञापन से बच्चों के हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है इस बारे में कभी चर्चा नहीं होती। रिसर्च में इस बात का भी जिक्र है कि भारत या उस जैसे विसाशील देश में आज तक इस विषय पर कोई रिसर्च या शोध नहीं किया गया है।

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विकसित देशों में दिया जाता है ध्यान

रिसर्च में ये बात साफ निकल कर आई है कि विकसित देश में फास्ट फूड या प्रोसेस्ड फूड के ऐड से पहले उससे बच्चों पर होने वाले हेल्थ के प्रभाव की चर्चा की जाती है। विकसित देश में ऐड बनाने से पहले मीडिया और एसोसिएशन के बीच इस बारे में विचार-विमर्श भी होती है। 

हर देश के ढाई हजार बच्चों पर किया गया है रिसर्च

इस रिसर्च को भारत सहित ब्राजील, चाइना, नाइजीरिया, पकिस्तान और रशिया में पांच से छः साल तक के लगभग ढाई हजार बच्चों पर किया गया है। इस रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि बहुत ज्यादा फास्ट फूड खाने के चलते आने वाले 2030 तक चाइना में रहने वाले लगभग एक चौथाई बच्चे बचपन में ही मोटापे के शिकार हो जाएंगे।  

सिर्फ विज्ञापन है नहीं है कारण

इस रिसर्च को करने के लिए बच्चों को प्लेयिंग कार्ड्स और अलग-अलग  गेम्स का सहारा लिया गया। कुल 60 प्रतिशत बच्चों ने लोगो की सही-सही पहचान की। वहीं ब्राजील के 91 प्रतिशत, रशिया के 72 प्रतिशत बच्चों ने लोगो की सही पचान कर ली। रिसर्च से ये बात सामने आई है की ग्लोबल मार्केटिंग के इस तरीके से बच्चों में लोगो पहचाने की समझ बढ़ी है। सिर्फ विज्ञापन है नहीं रोड पर लगे बोर्ड्स और दूसरे माध्यमों से भी बच्चे फास्ट फूड के ब्रांड्स को पहचानते है और उन्हें खाने की जिद करते हैं।

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डीना बोरोजोस्की ने कहा कि भले ही हम अपने ब्रांड को या मार्केटिंग की देश और दुनिया भर में पहचान करवाना चाहते हैं लेकिन इसका बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ता है इसका ख्याल भी हर देश को रखना चाहिए।  

Web Title: Survey reveals real reason why children love fast food more

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