आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई सीवाईएसएस के दिल्ली विश्वविद्यालय संघ (डूसू) चुनाव नहीं लड़ने की संभावना है। लिहाज़ा इस साल डूसू चुनाव में एबीवीपी, आइसा और एनएसयूआई के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। डूसू चुनाव 12 सितंबर को होंगे।
पिछले साल डूसू चुनाव में वाम समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) के साथ गठबंधन किया था, लेकिन यह गठजोड़ आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी और कांग्रेस के एनएसयूआई के मत प्रतिशत पर असर डालने में नाकाम रहा था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने चुनाव के लिए कमर कस ली है और 10 संभावित उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है जिसमें से चार को प्रत्याशी बनाया जाएगा।
एबीवीपी के एक कार्यकर्ता ने बताया कि 10 संभावित उम्मीदवार छात्रों से बात करने के लिए कॉलेज और छात्रवास जा रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और छात्रों के साथ उनकी बातचीत के आधार पर उनमें से चार को उम्मीदवार बनाया जाएगा। कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) और वाम प्रेरित आइसा अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। एनएसयूआई और आइसा अपने प्रचार के दौरान, इस बात को मुद्दा बना सकते हैं कि एबीवीपी ने कैसे ‘परिसर का भगवाकरण’ किया है और कैसे डीयू में हिंसा की संस्कृति लायी गयी? दोनों संगठनों के नेताओं ने कहा कि वे छात्रों को बताएंगे कि दक्षिणपंथी संगठन ने अंकिव बैसोया को नामित करके उनके साथ कैसे धोखाधड़ी की है।
बैसोया ने विश्वविद्यालय में कथित रूप से जाली प्रमाण पत्र के आधार पर दाखिला लिया था। बैसोया पिछले डूसू अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे लेकिन उनके प्रमाण-पत्र जाली पाए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस वजह से उन्हें अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था और डूसू उपाध्यक्ष शक्ति सिंह ने उनका स्थान लिया था। सिंह भी एबीवीपी से निर्वाचित हुए थे। इस बीच, एबीवीपी ने कहा, ‘‘ हम छात्रों के लिए छात्रवासों की कमी को मुद्दा बनाएंगे। छात्रों के लिए नए छात्रवासों को लाना पार्टी के एजेंडे में है। छात्रों को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने समेत केंद्र सरकार की उपलब्धियों के बारे में भी बताएंगे।’’
सूत्रों ने बताया कि एनएसयूआई ‘आवाज़ उठाओ सीटी बजाओ’ अभियान शुरू करेगी जिसके तहत वे बैसोया के जाली प्रमाण-पत्र, एबीवीपी के छद्म राष्ट्रवाद और दक्षिण पंथी संगठन की ‘गंडागर्दी’ को उठाएंगे। आइसा की दिल्ली प्रदेश प्रमुख कवलप्रीत कौर ने कहा, ‘‘ यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई है- वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ। एनएसयूआई अबतक कहीं दिख नहीं रही है। हम छात्रों को बताएंगे कि एबीवीपी ने कैसे छात्रों को ठगा है और कैसे वे हिंसा की संस्कृति लेकर आए हैं।
उन्होंने पाठ्यक्रम समिति के सदस्यों पर भी हमला करने की कोशिश की है।’’ सीवाईएसएस के एक कार्यकर्ता ने बताया कि सीवाईएसएस के इस बार चुनाव नहीं लड़ने की संभावना है। बहरहाल, इस बाबत अंतिम निर्णय एक सितंबर को सीवाईएसएस की चुनाव समिति की होने वाली बैठक में लिया जाएगा।