उन्नाव रेप केस की पीड़िता ने रायबरेली में हुये सड़क हादसे का जिम्मेदार बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बताया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिए गए बयान में पीड़िता ने कहा विधायक कुलदीप सिंह उसका एक्सीडेंट नहीं बल्कि जान से मारना चाहता था। पीड़िता ने कहा है कि पिछले कई महीनों से विधायक सेंगर जान से मारने की धमकी दे रहा था। 28 जुलाई को पीड़िता की कार का रायबरेली में एक्सीडेंट हो गया था। इस केस की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने इस मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मुख्य आरोपी बनाया है।
पीड़िता को एम्स के आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। जांच एजेंसी ने अभी तक पीड़िता के वकील का बयान दर्ज नहीं कर पाई है। सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता ने सीबीआई को बताया कि ट्रक बिल्कुल सीधा आ रहा था, जिससे ये हादसा हो गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पीड़िता को लखनऊ के अस्पताल से एयर एंबुलेंस के जरिये दिल्ली लाया गया था।
एम्स में ही पीड़िता के लिए बनेगा अस्थायी कोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता का बयान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रामा सेंटर में जाकर दर्ज करने की मंजूरी दे दी। दिल्ली उच्च न्यायालय की प्रशासनिक शाखा की तरफ से इस आशय की अधिसूचना देर शाम जारी की गई। इसमें कहा गया कि मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश धर्मेश शर्मा बयान दर्ज करेंगे।
अधिसूचना में कहा गया कि मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों ने आदेश दिया, “विशेष न्यायाधीश धर्मेश शर्मा मुकदमे की सुनवाई के दौरान तीस हजारी जिला अदालत परिसर के अलावा ट्रामा सेंटर परिसर/इमारत में पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिये अदालत लगाएंगे।”
इससे पहले आज दिन में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़ित युवती के बयान दर्ज करने के लिये एम्स में अस्थाई अदालत लगाने के विशेष न्यायाधीश के अनुरोध पर जल्द निर्णय लिया जाये।
उन्नाव कांड से संबंधित मुकदमों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हाल ही में उच्च न्यायालय को एक पत्र लिखकर एम्स के एक बंद कमरे में अदालत की कार्यवाही करके पीड़ित युवती के बयान दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। ऐसा करने की वजह यह थी कि एम्स के चिकित्सकों ने कहा है कि पीड़ित युवती को अदालत परिसर में ले जाने की सलाह नहीं दी जा सकती। शर्मा ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित किया है कि सीबीआई , पीड़ित युवती और उसके परिवार को इस तरह से बयान दर्ज कराने में कोई आपत्ति नहीं है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने सीबीआई को भी सड़क दुर्घटना के मामले की जांच दो सप्ताह के भीतर पूरी करके अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस दुर्घटना में पीड़ित युवती की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। पीठ ने संकेत दिया कि यदि विशेष न्यायाधीश को अपनी कार्यवाही पूरी करने के लिये 45 दिन से अधिक समय की जरूरत होगी तो इस बारे में अनुरोध पर विचार किया जा सकता है।