सीमांचल और कोसीः लाडो की बोली?, यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश में अधेड़ दूल्हों के हाथ बेच देते दलाल, गरीब और अनपढ़ माता-पिता चंद रुपयों की लालच!

By एस पी सिन्हा | Updated: July 30, 2025 15:08 IST2025-07-30T15:07:03+5:302025-07-30T15:08:26+5:30

Seemanchal and Kosi: प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 'आपकी बेटी' शब्द का उल्लेख करते हुए इन इलाकों में फर्जी शादी के नाम पर लड़कियों को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने की गुहार लगाई गई है।

Seemanchal and Kosi: Bid for Laddo? Agents sell their daughters to middle-aged grooms in UP, Haryana, Delhi and Madhya Pradesh, poor and illiterate parents lured by a few rupees! | सीमांचल और कोसीः लाडो की बोली?, यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश में अधेड़ दूल्हों के हाथ बेच देते दलाल, गरीब और अनपढ़ माता-पिता चंद रुपयों की लालच!

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Highlightsलड़कियों ने विवाह का पंचायत स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की है।फंसीं सैकड़ों नाबालिग लड़कियों का सालों बाद भी अता पता नहीं चल पाया है।राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब में ले जाते हैं और वहां अधेड़ लोगों को बेच देते हैं।

Seemanchal and Kosi:बिहार के सीमांचल और कोसी इलाके में लाडो(लडकी) की बोली लगने की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है। दलालों के माध्यम से बेटियों का सौदा करने वाला गिरोह क्षेत्र में लगातार सक्रिय है। चंद रुपयों के लिए बेटियों को वे यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि जगहों पर अधेड़ दूल्हों के हाथ बेच देते हैं। सीमांचल और कोसी इलाके के गांवों में रहने वाली 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को अक्सर मानव तस्कर अपना शिकार बनाते हैं। गरीब और अनपढ़ माता-पिता चंद रुपयों की लालच में लड़कियों की शादी करा देते हैं। ये शादियां फर्जी होती हैं।

शादी करने वाला लड़कियों को दूसरे राज्य ले जाता है। इसकी शिकायत करने के लिए कटिहार, अररिया, किशनगंज और सुपौल की 500 लड़कियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में इन लड़कियों ने विवाह का पंचायत स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में 'आपकी बेटी' शब्द का उल्लेख करते हुए इन इलाकों में फर्जी शादी के नाम पर लड़कियों को मानव तस्करी का शिकार होने से बचाने की गुहार लगाई गई है। इन इलाकों से झूठी शादी के नाम पर मानव तस्करों के चंगुल में फंसीं सैकड़ों नाबालिग लड़कियों का सालों बाद भी अता पता नहीं चल पाया है।

दलाल गांव में ही गुपचुप तरीके से अन्य राज्यों से आए अधेड़ दूल्हे के साथ झूठी शादी रचा देते हैं। फिर शादी के बाद नाबालिग हो या बालिग, लड़कियों को दूसरे राज्यों में ले जाकर देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता है। सीमांचल क्षेत्र में कई इस तरह की घटना ने लोगों को हैरान कर रखा है। कई मामले पारिवारिक प्रतिष्ठा व लड़कियों के संकोच तथा लज्जा के कारण सामने नहीं आ सके हैं।

खरीद-फरोख्त में बिचौलियों के साथ-साथ नजदीकी रिश्तेदार व स्वजन भी शामिल रहते हैं। सूत्रों की मानें तो क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में दलालों का नेटवर्क सक्रिय है, जो इन क्षेत्रों से शादीशुदा और नाबालिग लड़कियों को विवाह की रस्मों में बांधकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में ले जाते हैं और वहां अधेड़ उम्र के लोगों को बेच देते हैं।

अधिकांश लड़कियां दोबारा वापस नहीं लौटती और उनका कोई पता भी नहीं चलता कि वे कहां हैं? बिहार पुलिस ने पिछले छह महीनों में राज्य के अलग-अलग जिलों से 271 लड़कियों और 506 बच्चों को मानव तस्करी, देह व्यापार और बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया है। 191 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 23 महिलाएं शामिल हैं।

अधिकांश पीड़ित बिहार के अलावा अन्य राज्यों और नेपाल के निवासी हैं। पुलिस ने इन मामलों में कुल 245 प्राथमिकी दर्ज की हैं। पुलिस मुख्यालय के द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2025 से अब तक बचाई गई 271 लड़कियों में से 153 को जबरन आर्केस्ट्रा समूहों में नचाया जा रहा था, जबकि 118 लड़कियों को देह व्यापार में धकेला गया था।

यह बचाव अभियान रोहतास, सीवान, सारण, बेतिया, गोपालगंज और बेगूसराय सहित अन्य जिलों में चलाया गया। पुलिस ने बताया कि देह व्यापार में धकेलने के आरोप में 231 प्राथमिकी और ऑर्केस्ट्रा में जबरन नचाने के मामले में 14 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। पुलिस के अनुसार, कुछ लड़कियों को नशे की लत लगाकर देह व्यापार में उतारा गया था।

एडीजी(मुख्यालय) कुंदन कष्णन ने बताया कि पिछले छह महीने में 5958 बच्चे गुमशुदा पाये गये हैं। इनमें सर्वाधिक 5117 लड़कियां और 841 लड़के हैं। बिहार पुलिस ने इन गुमशुदा बच्चों की पड़ताल के बाद इनमें से 2416 लड़कियां और 383 लड़के सहित 2799 बच्चों को ढूंढ़ निकाला है। लेकिन अब भी 3145 बच्चों की बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है।

एडीजी (मुख्यालय) ने बताया कि ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड डॉट जीओवी डॉट इन वेब पोर्टल पर गुमशुदा, अपहृत व बरामद बच्चों से संबंधित डेटा अपलोड किया जाता है। वहीं, एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में औसतन हर दिन 172 से ज़्यादा लड़कियां लापता हुईं, 170 लड़कियों का अपहरण हुआ और लगभग तीन लड़कियों की तस्करी हुई।

हालांकि तस्करी की गई लड़कियों की संख्या से ज़्यादा लड़कियों को बचाया गया। लेकिन बड़ी संख्या में लापता और अपहृत या अगवा की गई लड़कियाँ न तो लापता हुईं और न ही बरामद हुईं। बचाई गई लड़कियों में अधिकांश नेपाल, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, दिल्ली, पंजाब और मध्य प्रदेश की निवासी हैं. इससे मानव तस्करी के अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की आशंका जताई जा रही है।

Web Title: Seemanchal and Kosi: Bid for Laddo? Agents sell their daughters to middle-aged grooms in UP, Haryana, Delhi and Madhya Pradesh, poor and illiterate parents lured by a few rupees!

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