बालिका गृह कांड में पटना हाईकोर्ट ने महिला डीएसपी स्तर के अधिकारी से जांच कराने का दिया आदेश
By एस पी सिन्हा | Published: February 11, 2022 06:26 PM2022-02-11T18:26:03+5:302022-02-11T18:26:03+5:30
गायघाट बालिका रक्षा गृह की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने अनुसंधान को डीएसपी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया है।
पटना: पटना हाईकोर्ट ने राजधानी पटना स्थित गायघाट बालिका रक्षा गृह की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए अनुसंधान को डीएसपी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट भी तलब किया है। कोर्ट का यह भी कहना था कि बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी, यदि जरूरत हो तो जो मदद हो सके पीड़िता को उपलब्ध करवाए। महिला विकास मंच के मध्यस्थ आवेदन की अनुमति दी गई है।
अधिवक्ता मीनू कुमारी के अनुसार कोर्ट की ओर से इस जांच टीम में महिला पुलिसकर्मी को भी शामिल करने को कहा गया है। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से पीड़िता को अदालत के कक्ष में उपस्थित रहने और पीड़िता के बयान का वीडियोग्राफी करने को भी कहा गया है।
जांच में दोषी पाए जाने पर राज्य के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं होने पर अदालत हस्तक्षेप करेगा। कोर्ट ने राज्य के समाज कल्याण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों को अपने अपने हलफनामा को रिकॉर्ड पर लाने को भी कहा है, जिसमें पीड़िता द्वारा 4 फरवरी, 2022 का बयान भी शामिल हो।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों पीड़ितों की ओर से महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज हो गई है। एक का पीएस केस नंबर- 13/2022 है और दूसरे का पीएस केस नंबर-17/ 2022 दर्ज कर लिया गया है। पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई।
महाधिवक्ता ने पीड़िता द्वारा दिये गए बयान के उद्देश्य पर संदेह भी जताया है, उनका कहना था कि पीड़िता ने बालिका रक्षा गृह को वर्ष 2021 के अगस्त महीने में ही छोड दिया था, लेकिन वह पहली बार जनवरी, 2022 में आरोप लगा रही है। उल्लेखनीय है कि महिला थाना न्यायालय के संज्ञान के बाद हरकत में आई, जिसमें दोनों पीड़ितों का बयान और प्राथमिकी दर्ज किया गया है।
पीड़िता ने सीधा आरोप गाय घाट महिला रक्षा गृह की अधीक्षिका वंदना गुप्ता पर मारपीट, जबरन नशे का इंजेक्शन और बाहरी लड़कों द्वारा गलत कार्य करवाने का संगीन आरोप लगाया है। हालांकि इस मामले में बिना जांच के ही बिहार समाज कल्याण द्वारा अधीक्षक पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए क्लीन चिट दे दिया गया था। जबकि हाईकोर्ट ने इस याचिका को जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है।
कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। बालिका रक्षा गृह में 260 से भी ज्यादा महिलाएं वास करती हैं।